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नंदगांव नहीं ब्याही जातीं बरसाने की छोरियां

'ऊधौ मन न भए दस-बीस, एक हुतो सो गयौ स्याम संग, कौ अराधे ईस'। सूरदास की यह पंक्तियां ब्रजवासियों खासकर गोपियों के कान्हा के प्रति प्रेम को बताने के लिए काफी हैं। कृष्ण को अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाली गोपियों और उद्धव की बातचीत को लगभग पांच हजार साल बीत गए। परंतु बरसाने की छोरियों के विवाह आज भी नंदगांव में नहीं होते।

By Edited By: Published: Wed, 05 Mar 2014 11:43 AM (IST)Updated: Wed, 05 Mar 2014 11:58 AM (IST)
नंदगांव नहीं ब्याही जातीं बरसाने की छोरियां

मथुरा। 'ऊधौ मन न भए दस-बीस, एक हुतो सो गयौ स्याम संग, कौ अराधे ईस'। सूरदास की यह पंक्तियां ब्रजवासियों खासकर गोपियों के कान्हा के प्रति प्रेम को बताने के लिए काफी हैं। कृष्ण को अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाली गोपियों और उद्धव की बातचीत को लगभग पांच हजार साल बीत गए। परंतु बरसाने की छोरियों के विवाह आज भी नंदगांव में नहीं होते। ये बात और है कि हर साल होली पर नंदगांव के कुंवर कन्हैया और बरसाना की गोरी रे रसिया की तर्ज पर यहां जमकर हुरंगा खेला जाता है।

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बरसाना और नंदगांव की होली विश्व विख्यात है। परंतु राधा-कृष्ण के अलौकिक प्रेम के साक्षी ब्रज के इन दो गांवों में आज भी भौतिक जगत के संबंधों को इजाजत नहीं दी जाती। यह अनूठा रिश्ता पिछले पांच हजार सालों से बरकरार है। होली खेलने के दौरान दोनों गांवों के हुरियारे-हु़रियारिनों के बीच खूब हंसी-ठिठोली होली होती है, लेकिन शादी संबंध कर सांसारिक रिश्तों में बंधना इन्हें मंजूर नहीं। ब्रज की होली के दौरान पहले नंदगांव के हुरियारे बरसाना की हुरियारिनों से होली खेलने जाते हैं। फिर बरसाना के हुरियारे नंदगांव जाते हैं।

रंगीली होली के दौरान प्रेम पगी गालियों का भी संबोधन होता है, लेकिन सब कुछ परंपरा के अनुसार। दरअसल, नंदगांव के विश्व प्रसिद्ध नंदबाबा मंदिर में राधारानी के दर्शन घर की बहू के रूप में होते हैं। नंदबाबा, माता यशोदा, बलभद्र और रेवती जी से अलग राधारानी एक कोने में बहू की परंपरा का निर्वहन करती हैं। वहीं बरसाना में भगवान श्रीकृष्ण ठाट बाट के साथ घर जमाई के वेश में अपनी चितवन से भक्तों को रिझाते हैं। स्वयं श्रीकृष्ण द्वारा बनाये गये इस रिश्ते के बाद कोई भी सांसारिक रिश्ता इन संबंधों को प्रभावित न कर सके, इस लिए दोनों गांवों के बीच शादी संबंध नहीं होते।

इनकी सुनिये-बरसाना के उपेंद्र गोस्वामी ने बताया, बरसाना और नंदगांव के महिला-पुरूषों के बीच आपसी संबंध में कोई किसी की बहन होगी तो कोई बुआ, ऐसे में शादी संबंध करने का कोई सवाल ही नहीं। दोनों गांवों के बीच सिर्फ राधाकृष्ण के अलौकिक प्रेम के संबंध निभाये जाते हैं।

बरसाने की लठामार होली नौ को - बरसाने की लठामार होली इस बार नौ मार्च को है। इसके लिए नंदगांव और बरसाने दोनों में ही तैयारियां शुरू हो गई हैं।


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