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ये है वही द्वारका जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों से बसाया था

मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के अपने धाम गमन करने के पश्चात उनके साथ ही उनके द्वारा बसायी गई द्वारका नगरी भी समुद्र में समा गई थी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 15 Apr 2017 03:43 PM (IST)Updated: Sat, 15 Apr 2017 03:43 PM (IST)
ये है वही द्वारका जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों से बसाया था
ये है वही द्वारका जिसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों से बसाया था

माना जाता है कि लगभग पांच हजार साल पहले जब भगवान श्री कृष्ण ने द्वारका नगरी को बसाया था तो उसमें जिस स्थान पर उनका निजी महल यानि हरि गृह था वहीं पर द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण हुआ। गुजरात के अहमदाबाद से लगभग 380 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है द्वारका। वही द्वारका जो हिंदुओं की आस्था के प्रसिद्ध केंद्र चार धामों में से एक है। वही द्वारका जिसे द्वारकापुरी कहा जाता है और सप्तपुरियों में शामिल किया जाता है। वही द्वारका जिसे मथुरा छोड़ने के बाद स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने अपने हाथों से बसाया था। वही द्वारका जो आज कृष्ण भक्तों सहित हिंदू धर्म में आस्था रखने वालों के लिये एक महान तीर्थ है। आइये जानते हैं भगवान श्री कृष्ण की नगरी द्वारका स्थित उनके धाम के बारे में।

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मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण के अपने धाम गमन करने के पश्चात उनके साथ ही उनके द्वारा बसायी गई द्वारका नगरी भी समुद्र में समा गई थी। लगभग पच्चीसौ वर्ष पूर्व उनके प्रपौत्र वज्रनाभ ने करवाया था जिसका कालांतर में विस्तार और जीर्णोद्धार किया गया। मंदिर के वर्तमान स्वरुप को 16वीं शताब्दी के आस-पास का बताया जाता है।  

वास्तु कला के नजरिये से भी द्वारकाधीश मंदिर को बहुत ही उत्कृष्ट माना जाता है। मंदिर एक परकोटे से घिरा है। मंदिर की चारों दिशाओं में चार द्वार हैं जिनमें उत्तर और दक्षिण में स्थित मोक्ष और स्वर्ग द्वारा आकर्षक हैं। मंदिर सात मंजिला है जिसके शिख की ऊंचाई 235 मीटर है। इसके बनाने के ढंग की निर्माण विशेषज्ञ तक प्रशंसा करते हैं। मंदिर के शिखर पर लहराती धर्मध्वजा को देखकर दूर से ही श्री कृष्ण के भक्त उनके सामने अपना शीष झुका लेते हैं। यह ध्वजा लगभग 84 फुट लंबी हैं जिसमें विभिन्न प्रकार के रंग आकर्षक रंग देखने वाले को मोह लेते हैं। मंदिर के गर्भगृह में भगवान श्री कृष्ण की शयामवर्णी चतुर्भुजी प्रतिमा है जो चांदी के सिंहासन पर विराजमान है। ये अपने हाथों में शंख, चक्र, गदा औक कमल धारण किये हुए हैं। यहां इन्हें रणछोड़ जी भी कहा जाता है।  

अन्य आकर्षण

द्वारकाधीश मंदिर के साथ साथ यहां पर अनेक मंदिर हैं जिनकी अपनी कहानियां हैं। गोमती की धारा पर बने चक्रतीर्थ घाट, अरब सागर और वहां पर स्थित समुद्रनारायण मंदिर, पंचतीर्थ जहां पांच कुएं हैं जिनमें स्नान करने की परंपरा है, शंकराचार्य द्वारा स्थापित शारदा पीठ आदि अनेक ऐसे स्थान हैं जो द्वारका धाम की महिमा को कहते हैं।

कैसे पंहुचे द्वारकाधाम

रेल और बस और हवाईमार्ग के माध्यम से देश के किसी भी कौने से द्वारकाधाम पंहुचा जा सकता है। देश की राजधानी दिल्ली सहित अन्य बड़े शहरों से द्वारका सड़क और रेलमार्ग के माध्यम से सीधा जुड़ा है। वहीं यदि आप हवाई सफर करने के इच्छुक हैं तो नजदीकी हवाई हड्डा जामनगर का लगता है। श्री कृष्ण की धर्म नगरी में ठहरने की व्यवस्था का भी उचित प्रबंध मिलता है। बरसात के बाद सर्दियों की शुरुआत का मौसम द्वारका धाम की यात्रा के लिये बहुत अच्छा रहता है।

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