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इतनी मौते होने के कारण आज भी खुदाई करने पर यहाँ की मिट्टी का रंग लाल दिखायी पड़ता है

कुरूक्षेत्र भारत के हरियाणा राज्य के उत्तर में स्थित एक जिला है जो अम्बाला, यमुना नगर कैथल और करनाल से जुड़ा है। यही वह जगह है जहाँ पर कौरवों और पाण्डवों के मध्य महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था जिसमें बड़ी संख्या में योद्धाओं की मौत हुयी थी, शायद इसीलिये

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 04 Feb 2016 02:51 PM (IST)Updated: Fri, 05 Feb 2016 10:30 AM (IST)
इतनी मौते होने के कारण आज भी खुदाई करने पर यहाँ की मिट्टी का रंग लाल दिखायी पड़ता है

कुरूक्षेत्र भारत के हरियाणा राज्य के उत्तर में स्थित एक जिला है जो अम्बाला, यमुना नगर कैथल और करनाल से जुड़ा है। यही वह जगह है जहाँ पर कौरवों और पाण्डवों के मध्य महाभारत का भीषण युद्ध हुआ था जिसमें बड़ी संख्या में योद्धाओं की मौत हुयी थी, शायद इसीलिये आज भी खुदाई करने पर यहाँ की मिट्टी का रंग लाल दिखायी पड़ता है।

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यही पर युद्ध के दौरान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था इस जगह को ज्योतिसर के नाम जाना जाता है जो यहाँ से मात्र 4 कि0मी0 की दूरी पर है। कुरूक्षेत्र को बहुत ही पवित्र तीर्थ माना जाता है, इसका हमारे वेदों, पुराणों एवं स्मृतियों में जगह-जगह में उल्लेख मिलता है। यहाँ की पौराणिक नदी संरस्वती भी अति वंदनीय है। कुरूक्षेत्र का सबसे प्रमुख आकर्षण ब्रह्म सरोवर है, सूर्यग्रहण के अवसर पर यहाँ एक विशाल मेले का आयोजन होता है जिसमें देश विदेश के लाखों लोग इस सरोवर में स्नान करके दान देकर पुण्य कमाते है, इस सरोवर का उल्लेख महाभारत तथा तमाम पुराणों में भी हुआ है। यहाँ का ‘सन्निहित सरोवर’ भी बहुत महत्व रखता है कहते है कि महाभारत के अति रक्तरंजित युद्ध के बाद पाण्डवों ने सभी दिंवगतों की मुक्ति के लिये यहाँ पर पिण्डदान किया था तभी से इस जगह में पिण्डदान का बहुत ही महत्व माना जाता है तथा प्रति वर्ष लाखों लोग अपने पूर्वजों का पिण्डदान यहाँ पर करवाते है तथा उनके मोक्ष की कामना करते है।

समीप ही बाण गंगा का भी बहुत महत्व है कहते है यहाँ पर शर-शय्या पर लेटे भीष्म पितामह को प्यास लगने पर अर्जुन ने अपने बाण द्वारा धरती से जल निकाल कर पिलाया था। यहाँ पर श्री देवीकूप भद्रकाली मंदिर जो दुर्गा माँ के शक्तिपीठों में है श्रद्धा एवं आस्था का बहुत बड़ा केन्द्र है यहाँ पर माँ दुर्गा का दायां टखना गिरा था। कहते है इस सिद्ध शक्तिपीठ में पाण्डवों ने महाभारत के युद्ध से पूर्व अपनी विजय के लिये माँ भद्रकाली की पूजा-अर्चना की थी। मान्यता है कि श्रीकृष्ण एवं बलराम जी का मुण्डन संस्कार भी यहीं पर हुआ था। यहाँ का स्थानेश्रर महादेव मंदिर भी श्रद्धा का प्रमुख केन्द्र है, कुरूक्षेत्र में आने वाले श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ के यहाँ पर अवश्य ही दर्शन करते है


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