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गणेशजी के इस मंदिर में हजारों पत्र और स्पीड पोस्ट भेजकर भक्‍त मांगते हैं मुराद

यहां आने वाले सभी पत्र पुजारियों को दे दिए जाते हैं और वे इन्हें भगवान गणेश के चरणों में अर्पित कर देते हैं।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 05 Sep 2016 06:34 AM (IST)Updated: Mon, 05 Sep 2016 10:26 AM (IST)
गणेशजी के इस मंदिर में हजारों पत्र और स्पीड पोस्ट भेजकर भक्‍त मांगते हैं मुराद

जयपुर। संदेश पहुंचाने के आधुनिक युग में आज भी राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले में डाकिये को प्रतिदिन करीब 1000 पत्र और स्पीड पोस्ट एक ही पते पर ले जाना पड़ते हैं। ये पता है रणथम्भौर किले में स्थित त्रिनेत्र गणेशजी मंदिर का।

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यहां आने वाले सभी पत्र पुजारियों को दे दिए जाते हैं और वे इन्हें भगवान गणेश के चरणों में अर्पित कर देते हैं। इसके बाद कुछ पत्र गणेशजी को दिन में दो बार पढ़कर सुनाए जाते हैं। आजकल कोरियर से भी पत्र यहां आने लगे है। मनोकामना सिद्धि के लिए प्रसिद्ध इस मंदिर में यह प्रथा कई वर्षों से चली आ रही है। यह माना जाता है कि यहां जो भी अपना दुख बताता है उसे वे दूर करते हैं।

खुद मंदिर में दर्शन नहीं करने नहीं पहुंचने वाले लोग पत्र के जरिए अपनी मन्नत भी भेजते हैं जो पूरी हो जाती है। इसके लिए पहाड़ी पर चलकर प्रतिदिन डाकिया कार्ड और पत्र लाता है। पुजारी लोगों की व्यथा और मन्नत के साथ उनके निमंत्रण को पढ़कर गणेशजी को सुनाते हैं और उनके चरणों में समर्पित कर देते हैं।

यहां के पुजारी कहते हैं गणेश जी की ये मूर्ति तराशी हुई नहीं है, बल्कि खुद ब खुद ए• चट्टान के रूप में मिली है। गणेश जी के तीन नेत्र हैं। भारत में ये अपने आप में अनोखा मंदिर है। इतिहास के अनुसार ये मंदिर 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हमीर ने बनवाया था।

मुगल काल से ही लोगों में इस मंदिर के प्रति भारी आस्था थी। मुगलकाल में भी लोग यहां जाकर दर्शन करते और मांगलिक कार्यों में निमंत्रण भी देते थे। घुड़सवार यहां राजाओं के निमंत्रण लेकर आया करते थे। सोमवार को गणेश चतुर्थी के कारण मेला अभी से शुरू हो गया। राजस्थान ही नहीं बल्कि दिल्ली, यूपी, मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों से भक्तों का पहुंचना प्रारम्भ हो गया।


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