ब्रज में चार महीने होगी आस्था की घनघोर बारिश
कदम-कदम पर मंदिर। 12 वन और 24 उपवनों की कतार। खुशबू बिखेरते रंग-बिरंगे कुंज-निकुंज। पक्षियों के मधुर स्वर से मादक और मनोहर बनते एकाकी स्थल। नृत्य के साथ ही पिउ-पिउ करते मयूर। कलकल करती यमुना और आस्था की बुलंदी दर्शाते गिरिराज जी। ऐसा नजारा जहां हो, वो तो तीनों लोकों से न्यारी नगरी होगी ही। इसी ब्रज में
मथुरा। कदम-कदम पर मंदिर। 12 वन और 24 उपवनों की कतार। खुशबू बिखेरते रंग-बिरंगे कुंज-निकुंज। पक्षियों के मधुर स्वर से मादक और मनोहर बनते एकाकी स्थल। नृत्य के साथ ही पिउ-पिउ करते मयूर।
कलकल करती यमुना और आस्था की बुलंदी दर्शाते गिरिराज जी। ऐसा नजारा जहां हो, वो तो तीनों लोकों से न्यारी नगरी होगी ही। इसी ब्रज में चार महीने तक आस्था की ऐसी घनघोर बारिश होगी, जिसमें सराबोर होने के लिए दुनिया भर के लोग तो क्या, देवता भी उतावले हैं।
प्रत्येक त्योहार, उत्सव, ऋतु, माह एवं दिन पर परिक्रमा देने का ब्रज में विशेष प्रचलन है। ब्रज परिक्रमा अति श्रद्धा की प्रतीक तो हैं हीं, ब्रज भ्रमण से नैसर्गिक चेतना, धार्मिक परिकल्पना, संस्कृति का अनुशीलन, उन्नयन, मौलिक व मंगलमयी प्रेरणा भी प्राप्त होती है। इसी अलौकिक नजारे की शुरुआत 12 जुलाई को गुरुपूर्णिमा से हो रही है।
गोवर्धन में छह जुलाई से 12 जुलाई तक करोड़ी मेला आस्था का समंदर बना रहेगा। ब्रज में जगह-जगह आश्रम-मठों में गुरुजन अपने शिष्यों को शिक्षा-दीक्षा की कंठी माला पहनाएंगे। गुरुओं से आशीर्वाद लेने के लिए देश और दुनिया से शिष्य ब्रज में आएंगे।
ब्रज के सावन भी निराले हैं। 14 जुलाई से सावन के सोमवार की शुरुआत के साथ ही मथुरा के चार पहरेदारों (रंगेश्वर, भूतेश्वर, गल्तेश्वर और गोकर्णनाथ शिवालय) का पूजन शुरू हो जाएगा। मंदिरों में हिंडोले सजने लगेंगे। रंग-बिरंगी घटाएं सजेंगी।
द्वारिकाधीश मंदिर में 15 जुलाई से सोने-चांदी के हिंडोले मंदिर से बाहर आ जाएंगे। इसमें बैठ ठाकुर जी मंद-मंद मुस्कराएंगे और उनकी एक झलक पाने को श्रद्धालुओं में होड़ लगी रहेगी। इसके साथ ही हर रोज विशेष रंग की घटाएं सजना शुरू हो जाएंगी। 13 जुलाई से 19 सितंबर तक श्रावण-भादों माह के दौरान ब्रज भ्रमण करने वालों का तांता लगा रहेगा।
40 दिन तक चलने वाली 84 कोस परिक्रमा का अपना महत्व है। 13 अगस्त को हरियाली तीज है। वृंदावन में बांकेबिहारी जी इस दिन स्वर्ण हिंडोले में दर्शन देंगे और हमेशा की तरह उनकी झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ना तय है। इस अवसर के लिए श्रद्धालु कई दिन पहले से ही वृंदावन में डेरा डाल लेते हैं। 18 अगस्त को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी है। श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर इस आयोजन के भागीदार बनने के लिए मानो पूरी दुनिया ही उमड़ती है।
रात के 12 बजते ही जब कान्हा के जन्म का उद्घोष होता है, तो दुनिया भर के कृष्णभक्त हषरेल्लास में डूब जाते हैं। दो सितंबर को राधाष्टमी है। बरसाना के राधारानी मंदिर में इस अवसर पर भव्य आयोजन होता है। राधा की सखियां बन श्रद्धालु बरसाना की गलियों में भ्रमण करते हैं। नृत्य करते हैं। 23 अक्टूबर को दीवाली और इसके बाद 24 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा के साथ अन्नकूट पर्व भी श्रद्धालुओं के लिए श्रद्धा प्रदर्शित करने का अवसर रहेगा।