किवदंती है कि मांं दुर्गा व महिषासुर का इसी पहाड़ के ऊपर दोनों के बीच निर्णायक युद्घ हुआ
दुर्गा मां द्वारा दानव महिषासुर के वध की कहानी तो कथा और पुराणों में आपने सुनी होगी लेकिन ये कथा और पुराण ये नहीं बताते कि माता ने उक्त राक्षस का वध वास्तव में किस स्थान पर किया
कोंडागांव। छत्तीसगढ़ के कोण्डागांव जिले के बड़े डोंगर गांव में स्थित पहाड़ के ऊपर चट्टानों में ऐसे निशान उभरे हैं जो हुबहु शेर के पंजे, भैंसे का सिंग और इंसानी पैर के तरह हैं। ये निशान ही इस किवदंती का आधार है कि इसी पहाड़ में दुर्गा मां ने महिषासुर का वध किया था। अपने पूर्वजों से सुनी कथाओं के आधार पर ग्रामीण बताते हैं कि महिषासुर पहाड़ों में रहने वाला दानव था और उसका बसेरा केशकाल से लेकर बड़े डोंगर तक फैली विशाल पर्वत श्रृंखलाओं में ही था।
जब महिषासुर के वध के लिए आदि शक्ति अवतरित हुईं। युद्घ के शंखनाद के बाद जब दोनों के मध्य जंग छिड़ी तो माता के तेज से आहत महिषासुर जान बचाने की नियत से घने जंगलों और पहाड़ों की ओर भागने लगा। पीछे चूंकि मां दुर्गा भी उसे दौड़ा रही थी लिहाजा भागते-भागते महिषासुर बड़ेडोंगर के इसी पहाड़ के ऊपर पहुंच कर छिपने लगा। किवदंती के मुताबिक माता दुर्गा भी महिषासुर के पीछे पहाड़ में पहुंची और इसी पहाड़ के ऊपर दोनों के बीच निर्णायक युद्घ हुआ।
आदि शक्ति दुर्गा मां द्वारा दानव महिषासुर के वध की कहानी तो कथा और पुराणों में आपने देखी व सुनी होगी लेकिन ये कथा और पुराण ये नहीं बताते कि माता ने उक्त राक्षस का वध वास्तव में किस स्थान पर किया। यदि आप इस अनसुलझे वाकये का समाधान चाहते हैं तो बस्तर का रुख कर सकते हैं।
जनश्रुति जिस इतिहास की ओर इशारा करती है उसकी माने तो दुर्गा जी ने कोंडागांव जिले में घनघोर जंगलों और पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य बसे बड़ेडोंगर में महिषासुर का वध कर लोगों को उसके तथाकथित आतंक से मुक्ति दिलाई थी। राजधानी रायपुर से एनएच 30 पर फरसगांव की दूरी 195 किमी तथा संभाग मुख्यालय से करीब 100 किमी है। फरसगांव से 16 किमी की दूरी पर बड़े डोंगर स्थित है।