देवताओं के कहने पर शिव लिंग के रूप में यहां स्थापित हो गए
बड़े होने पर जब भीम को अपने पिता की मृत्यु का कारण पता चला, तो उसने देवताओं से बदला लेने का निश्चय कर लिया।
एक बार कुंभकर्ण कर्कटी नाम की एक महिला पर मोहित हो गया और उससे विवाह कर लिया। विवाह के बाद कुंभकर्ण लंका लौट आया, लेकिन कर्कटी पर्वत पर ही रही। कुछ समय बाद कर्कटी को भीम नामक एक पुत्र हुआ। जब श्रीराम ने कुंभकर्ण का वध कर दिया, तो कर्कटी ने अपने पुत्र को देवताओं के छल से दूर रखने का फैसला
किया। बड़े होने पर जब भीम को अपने पिता की मृत्यु का कारण पता चला, तो उसने देवताओं से बदला लेने का निश्चय कर लिया।
भीम ने ब्रह्मा की तपस्या करके बहुत ताकतवर होने का वरदान प्राप्त कर लिया। भीम के मना करने पर भी जब कामरूपेश्वर नाम के राजा ने शिवलिंग की पूजा की तो उन्हें उन्हें बंदी बना लिया गया। राजा कारागार में ही शिवलिंग बना कर उनकी पूजा करने लगा। जब भीम ने यह देखा तो उसने शिवलिंग को तोड़ने का प्रयास किया।
ऐसा करने पर शिवलिंग में से स्वयं भगवान शिव प्रकट हो गए। भगवान शिव और भीम के बीच घोर युद्ध हुआ, जिसमें भीम की मृत्यु हो गई। फिर देवताओं ने भगवान शिव से हमेशा के लिए उसी स्थान पर रहने की प्रार्थना की। देवताओं के कहने पर शिव लिंग के रूप में उसी स्थान पर स्थापित हो गए और इस ज्योतिर्लिंग का नाम भीमशंकर पड़ गया।
कथासार : बुराई का हमेशा अंत होता है।