अमरनाथ की पहाडि़यों के विचरण के दिन फिर शुरू
पहाड़ों के बीच विराजमान भोले बाबा के दर्शन और अमरनाथ की पहाडि़यों के विचरण के दिन फिर शुरू हो गया हैं। इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 2 जुलाई से शुरू ।
पहाड़ों के बीच विराजमान भोले बाबा के दर्शन और अमरनाथ की पहाडि़यों के विचरण के दिन फिर शुरू हो गया
हैं। इस वर्ष अमरनाथ यात्रा 2 जुलाई से शुरू हुई । पुरुषोत्तम पूर्णिमा से शुरू होकर श्रावण पूर्णिमा यानी रक्षाबंधन वाले दिन तक चलने वाली यह यात्रा अगस्त को समाप्त होगी।
कश्मीर की खूबसूरत लिद्दर घाटी की एक संकरी खाई में बसे हैं बाबा अमरनाथ। यह स्थान समुद्र तल से करीब 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जब कभी भी अमरनाथ यात्रा की बात होती है, तो सबसे भगवान महादेव के बर्फ से बने विशाल शिवलिंग की छवि आंखों के सामने उभर आती है। हिन्दू धर्म में इस धार्मिक यात्रा बड़ा महत्व है।
बूंदों से बनता है शिवलिंग धरती का स्वर्ग कहलाने वाली कश्मीर घाटी से होकर श्री अमरनाथ की पवित्र गुफा का रास्ता जाता है। हर साल सावन के महीने में यहां प्राकृतिक हिम शिवलिंग की पूजा की जाती है। अमरनाथ मंदिर की खास बात यहां पर बर्फ से बना शिवलिंग है। हर कोई इस शिवलिंग को देख आश्चर्यचकित रह जाता है। उसके मन में एक ही सवाल उठता है कि आखिर इतनी ऊंचाई पर स्थित गुफा में इतना लंबा बर्फ का शिवलिंग कैसे बनता है। यह अपने आप में ही किसी चमत्कार से कम नहीं है।
कहा जाता है कि इस शिवलिंग का निर्माण गुफा की छत से पानी की बूंदों के टपकने से होता है। ये बूंदें इतनी ठंडी होती हैं कि नीचे गिरते ही ठोस होकर बर्फ का रूप ले लेती हैं। यही बर्फ धीरे-धीरे लगभग 12 से 18 फीट ऊंचे शिवलिंग का रूप ले लेता है।
शास्त्रों के अनुसार, इस पवित्र स्थान पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरकथा सुनाई थी। जब पार्वती सो गईं कहा जाता है कि अमरकथा सुनने के दौरान माता पार्वती को नींद आ गई। भगवान शिव जब यह कथा सुना रहे थे, तो दो कबूतर भी यह सुन रहे थे। बह्मांड का रहस्य जानकर उन कबूतरों को अमरत्व की प्राप्ति हो गई। कहते हैं कि हर साल सावन मास की पूर्णिमा को ये कबूतर गुफा में दिखाई पड़ते हैं। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को बाबा बर्फानी अमरनाथ के दर्शन के साथ-साथ पार्वती शक्ति पीठ के भी दर्शन होते हैं। शिवलिंग के साथ ही इस गुफा में मां पार्वती की एक लेटी हुई आकृति भी बनती है। ऐसा इसलिए, क्योंकि पार्वती कथा सुनते हुए सो गई थीं।
तैयारी है जरूरी
अमरनाथ यात्रा पर जाने से पहले श्रद्धालुओं के मन में बहुत से सवाल होते हैं, जैसे कि यह यात्रा कितनी जोखिम भरी है? बच्चों को वहां ले जाना ठीक है या नहीं? क्या इस यात्रा के पहले फिटनेस का ख्याल रखना जरूरी है?
इस यात्रा को शुरू करने से पहले आपका शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है। इसके लिए आपको अपनी मॉर्निंग वॉक
नियमित रखनी होगी। बड़े-बुजुर्गों को अपने साथ यात्रा पर ले जाने से पहले उनके स्वास्थ्य की जांच करवानी होगी कि वे इस यात्रा के लिए फिट है या नहीं। यदि जरूरत पड़े तो यह यात्रा घोड़े, खच्चर या हेलीकॉप्टर से भी की जा सकती है। ब्लड प्रेशर और हार्ट के पेशेंट्स के लिए यह यात्रा डॉक्टर की सलाह पर ही प्लान की जानी चाहिए।
रजिस्ट्रेशन जरूरी
अमरनाथ यात्रा के लिए अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा रजिस्ट्रेशन कराना होता है। श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड सभी तीर्थयात्रियों को एक लीगल यात्रा परमिट जारी करता है, जिसमें इंश्योरेंस कवर भी शामिल होता है। यह इंश्योरेंस यात्रा के समय संभावित दुर्घटना को देखते हुए दिया जाता है। यहां पर आपको उंची चढ़ाई और बर्फीली हवाओं का सामना करना पड़ता है। अपने साथ ऊनी कपड़े और अन्य सामान ले जाएं। आपका आइडेंटिटी कार्ड और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड द्वारा जारी यात्रा परमिट कार्ड आपके साथ होना जरूरी है।
कैसे पहुंचें?
दिल्ली से जम्मू के लिए अनेक ट्रेनें हैं। साथ ही, बस, निजी वाहन या टैक्सी आदि से भी जाया जा सकता है। जम्मू से श्रीनगर बस, टैक्सी, निजी वाहन से जाना सुविधाजनक है। दिल्ली से सीधे श्रीनगर के लिए हवाई यात्रा भी सुगम है। श्रीनगर से बालटाल के लिए टैक्सी और बस जम्मू-कश्मीर टूरिज्म डिपार्टमेंट चलाता है। प्राइवेट टूर आपरेटर की सेवा भी है। बालटाल से टूरिज्म डिपार्टमेंट और मंदिर समिति द्वारा हेलीकॉप्टर सेवा द्वारा मात्र 5-7 मिनट में गुफा के निकट स्थिति हैलीपैड पर पहुंचा जा सकता है। पैदल, घोड़े, पालकी से भी पहुंच सकते हैं।