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कुल्लू का रघुनाथ मंदिर

भारत में दशहरे के विशिष्ट व ऐतिहासिक आयोजनों में कुल्लू का दशहरा सर्वाधिक लोकप्रिय है। इसे अब कुल्लू में हर साल अंतरराष्ट्रीय मेले के तौर पर मनाया जाता है, जो एक सप्ताह चलता है।

By Edited By: Published: Thu, 25 Oct 2012 03:22 PM (IST)Updated: Thu, 25 Oct 2012 03:22 PM (IST)
कुल्लू का रघुनाथ मंदिर

भारत में दशहरे के विशिष्ट व ऐतिहासिक आयोजनों में कुल्लू का दशहरा सर्वाधिक लोकप्रिय है। इसे अब कुल्लू में हर साल अंतरराष्ट्रीय मेले के तौर पर मनाया जाता है, जो एक सप्ताह चलता है। इस मेले में कुल्लू-पार्वती घाटी के गांवों के सैकड़ों देवता शिरकत करते हैं, जिनका नेतृत्व रघुनाथजी करते हैं। दरअसल कुल्लू के रघुनाथ मंदिर से ही विजयादशमी के दिन कुल्लू दशहरे के आयोजनों की शुरुआत होती है, जो बाद में कुल्लू के ढालपुर मैदान में चरम पर पहुंचती है। 17वीं सदी में कुल्लू के राजा जगत सिंह ने अयोध्या से मंगाकर भगवान रघुनाथ की मूर्ति सिंहासन पर स्थापित की थी। उसके बाद से रधुनाथ जी कुल्लू घाटी के राजा कहलाए जाने लगे। दशहरे पर उनकी रथ-यात्रा निकलने लगी, जिसमें कुल्लू के सारे देवता शामिल होने लगे। कुल्लू के राजपरिवार के वंशज अब भी रघुनाथ मंदिर में जाकर पूजा करते हैं। ऊपरी कुल्लू में स्थित रघुनाथ मंदिर सैलानियों के लिए भी सबसे लोकप्रिय स्थान है।

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