पन्नों पर पिघलता तकनीक का दिल
इंजीनियरिंग क्षेत्र के युवाओं को आजकल कलम काफी रास आ रही है। इसके ज़रिये जहां उन्हें तनाव से निजात पाने का तरीका मिला है, वहीं संवेदना को शब्द देने के लिए असीमित आकाश भी मिला है। सृजनात्मक लेखन में हाथ आज़माने वाले ऐसे ही कुछ इंजीनियर्स के मन को टटोला
इंजीनियरिंग क्षेत्र के युवाओं को आजकल कलम काफी रास आ रही है। इसके जरिये जहां उन्हें तनाव से निजात पाने का तरीका मिला है, वहीं संवेदना को शब्द देने के लिए असीमित आकाश भी मिला है। सृजनात्मक लेखन में हाथ आजमाने वाले ऐसे ही कुछ इंजीनियर्स के मन को टटोला सखी ने।
टेक्निकल शब्दावली में उलझी जिंदगी रचनात्मकता का साथ पाकर सुलझने लगती है। आपाधापी में भागते कदम जरा संयत हो जाते हैं। मन भीग-सा जाता है और भीगे मन से बूंद-बूंद बरसने वाले अल्फाज पन्नों पर उतर आते हैं। तकनीकी क्षेत्रों के युवाओं के मन का हाल इन दिनों कुछ ऐसा ही है। ग्रेड्स में उलझी इंजीनियरिंग कॉलेजों के स्टूडेंट्स की जिंदगी हो या टार्गेट्स को पूरा करने की जद्दोजहद से जूझती प्रोफेशनल इंजीनियर्स की जिंदगी। हर समय एक-सा काम करना इन युवाओं की जिंदगी को मोनोटोनस बना देता है और इससे उबरने का जरिया उन्हें सृजनात्मक कामों में मिल रहा है। विशेष रूप से लेखन के क्षेत्र में तो पिछले कुछ सालों में तकनीकी क्षेत्रों से जुडे कई लोगों ने कदम रखा है।
इंट्रोवर्ट युवाओं की पसंद
टेक्निकल क्षेत्र में बडी संख्या में इंट्रोवर्ट युवा पाए जाते हैं। सृजनात्मक लेखन इन्हें मुखर अभिव्यक्ति का जरिया देता है। इंजीनियर व लेखिका हर्षिता श्रीवास्तव कहती हैं, 'मैं बचपन से ही इंट्रोवर्ट हूं। नोएडा स्थित अपने कॉलेज में मेट्रो शहरों के सहपाठियों के बीच मैं अकेला महसूस करती थी। ऐसे में मेरी मॉम ने मुझे एक डायरी ख्ारीद कर दी जो धीरे-धीरे मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गई। इस तरह शब्दों से शुरू हुआ मेरा लगाव दिन पर दिन बढता ही गया।
स्ट्रेस बस्टर
बडी-बडी समस्याओं से जूझते टेकी युवाओं को रचनात्मक लेखन के रूप में तनाव दूर भगाने का जरिया मिलता है। इंजीनियर और उपन्यास 'नमक स्वादानुसार के लेखक निखिल सचान बताते हैं, 'तनाव दूर करने का सबका अपना तरीका है। कोई इसके लिए योग का सहारा लेता है, कोई जिम की शरण में जाता है, तो कोई मेडिटेशन करता है। मुझे लेखन से एक अलग ही संतुष्टि और ख्ाुशी मिलती है। हर सुबह लेखन से ही दिन की शुरुआत करता हूं।
कल्चरल फेस्ट देते हैं मौका
टेक्निकल क्षेत्रों के ज्य़ादातर लेखकों को यह चस्का इंजीनियरिंग कॉलेजों में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये लगता है। निखिल सचान बताते हैं, 'आइआइटी कानपुर में होने वाला कल्चरल फेस्ट अंतराग्नि और आइआइटी मुंबई में होने वाला कल्चरल फेस्ट मूड इंडिगो भारत के सबसे बडे कॉलेज स्तरीय कल्चरल फेस्ट्स हैं। इस तरह के इवेंट्स लगभग सभी इंजीनियरिंग कॉलेजों में होते हैं। ये स्टूडेंट्स को अपने पैशन को मूर्त रूप देने का मौका देते हैं। इनमें लेखन के कई अवसर होते हैं। इसके अलावा कॉलेज स्तर पर गठित विभिन्न लिटरेरी सोसायटीज भी स्टूडेंट्स की लेखन प्रतिभा निखारने में अहम भूमिका निभाती हैं।
समसामयिक शब्दावली
कला से संबंधित विषयों की पढाई कर लेखन के क्षेत्र में आने वालों की तुलना में टेक्निकल कोर्स कर लेखन करने वालों की भाषा और शब्दावली एकदम अलग है। इंजीनियर और कवि विश्व दीपक कहते हैं, 'मुझे लगता है कि कला क्षेत्र के लेखकों की भाषा बेहद साहित्यिक है। यकीनन उन्हें भाषा का पुख्ता ज्ञान होता है, पर पिछले कुछ सालों में तकनीकी कॉलेजों से भी कई अच्छे लेखक सामने आए हैं। मुझे लगता है कि अगर कोई व्यक्ति भाषा और साहित्य का बहुत अच्छा ज्ञान नहीं भी रखता है, फिर भी अगर वह ईमानदारी से अपनी भावनाएं कागज पर उतारे, तो कभी विफल नहीं हो सकता। आज कई इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स और प्रोफेशनल्स की लिखी किताबें लोकप्रिय हो रही हैं। इनमें नए-नए शब्द और मुहावरे देखने को मिल रहे हैं। साथ ही आम लोगों
में प्रचलित भाषा का प्रयोग किया जा रहा है। उदाहरण के तौर पर, एक युवा लेखक के उपन्यास में पुणे स्थित 'पीएमसी चौक को 'पिया मिलन चौक के रूप में वर्णित किया गया है। इस तरह के वर्णन से पाठक, विशेष रूप से युवा पाठक बहुत जल्दी कनेक्ट
करते हैं।
आकर्षक शैली
तकनीकी क्षेत्रों से आने वाले पोएट्री और प्रोज राइटर्स प्रचलित नियमबद्ध शैलियों की जगह नई-नई विधाओं को अपना रहे हैं। विश्व दीपक बताते हैं, 'मुझे बचपन से ही कविताएं लिखने का शौक रहा है। आइआइटी खडग़पुर में एडमिशन लेने के बाद भी कविताओं से मेरा लगाव कम नहीं हुआ था। मैंने कॉलेज के दौरान कई क्षणिकाएं लिखीं। साथ ही लेखक-फिल्म निर्देशक गुलजार की शुरू की गई विधा त्रिवेणी (तीन लाइन की कविता) को भी अपनाया। यह जापान की प्रचलित शैली हाइकु से थोडी ही अलग है। इंजीनियरिंग कोर्स पूरा करने के बाद मेरी जॉब लग गई। इसी दौरान मेरी कविताओं का संकलन 'ख्ौर छोडो... पब्लिश हुआ जिसे लोगों ने काफी पसंद किया।
विषयों में संजीदगी
जहां टेक्निकल फील्ड से निकले ज्य़ादातर राइटर्स कॉलेज लाइफ, रोमैंस और प्रोफेशनल लाइफ के इर्द-गिर्द कहानियों का ताना-बाना बुनते हैं, वहीं कुछ लेखक ऐसे भी हैं जो समसामयिक विषयों और समस्याओं को अपने लेखन का विषय बनाते हैं। बचपन से जुडी समस्याएं, नक्सलवाद और युवाओं में बढती सुसाइड करने की प्रवृत्ति ऐसे ही कुछ विषय हैं।
ब्लॉगिंग से खुलता रास्ता
पिछले कुछ सालों में ब्लॉगिंग का चलन भी बढा है। ख्ाास तौर पर तकनीक में माहिर इंजीनियरिंग क्षेत्र के युवाओं के बीच तो यह बहुत प्रचलित है। इसके जरिये युवाओं को अपनी रचनाएं पाठकों तक पहुंचाने का आसान जरिया मिल गया है। कुछ ऐसा ही हुआ हर्षिता श्रीवास्तव के साथ। वह बताती हैं, 'नोएडा में मेकैनिकल इंजीनियरिंग की पढाई के दौरान मैं दो ब्लॉग्स लिखती थी। पहला 'रिलेशनशिप वोज और दूसरा 'ड्रीम वर्सेज रिअलिटी। इन दोनों ब्लॉग्स के जरिये मैं आम युवाओं की रिलेशनशिप से जुडी समस्याओं से रूबरू हुई। इन अनुभवों ने मेरे दिल को इस कदर प्रभावित किया कि मैंने कॉलेज टाइम में ही अपना नॉवेल लिखना शुरू कर दिया। इस तरह मैं ब्लॉगर से नॉवेलिस्ट बन गई।
ये भी हैं रोल मॉडल्स
गायक शंकर महादेवन
ग्रेजुएट इन कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग
मिस इंडिया वल्र्ड 2012 वान्या मिश्रा
बैचलर ऑफ इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग
एक्टर अमोल पराशर
ग्रेजुएट इन मेकैनिकल इंजीनियरिंग
एक्टर सोनू सूद
ग्रेजुएट इन इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग
एक्ट्रेस अमीषा पटेल
ग्रेजुएट इन बायोजेनेटिक इंजीनियरिंग
एक्टर आर. माधवन
ग्रेजुएट इन इलेक्ट्रॉनिक्स
एक्सपर्ट टिप्स
- आप किसी भी क्षेत्र के हों, लेखन में हाथ आजमा सकते हैं। इसके लिए भाषा ज्ञान और ईमानदारी जरूरी है।
- अच्छा कंटेंट लिखने के लिए अच्छा कंटेंट पढऩा बहुत जरूरी है। ज्य़ादा से ज्य़ादा अच्छी किताबें पढें। इससे आपके अंदर विचारों का प्रवाह बढेगा।
- कोई किताब अगर आपको अच्छी न लगे, तो भी उसकी गलतियों से सीखने की कोशिश करें। उन्हें अपनी रचना में न दोहराएं।
- आप चाहे कहानियां लिखें, कविताएं लिखें, या उपन्यास लिखें- उनका विषय अलग हटकर चुनें। जिस विषय पर कई सारे उपन्यास लिखे जा चुके हैं, उसे दोहराने का कोई फायदा नहीं है।
- विषय का चयन करने के बाद अगला कदम होता है कंटेंट जुटाना। यह तय करें कि आपकी रचना में किस तरह का कंटेंट होगा। गहन रिसर्च करें। हर अच्छी किताब के पीछे उसे लिखने के लिए किया गया रिसर्च ही होता है। इसकी अनुपस्थिति में आपका लेखन सतही हो जाएगा।
ज्योति द्विवेदी