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30 के बाद दिल का हाल लेते रहो

कुछ वर्ष पहले तक माना जाता था कि कार्डियोवैस्कुलर समस्याएं सिर्फ पुरुषों को होती हैं, मगर आधुनिक जीवनशैली में स्त्रियां भी तेजी से इसकी चपेट में आने लगी हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है सुस्त जीवनशैली और व्यायाम की कमी। कैसे रखें अपने दिल को स्वस्थ, जानें एक्सपर्ट से।

By Edited By: Published: Tue, 01 Jul 2014 07:14 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jul 2014 07:14 PM (IST)
30 के बाद दिल का हाल लेते रहो

भारतीय स्त्रियों में कार्डियो समस्याएं एकाएक बढने लगी हैं। आनुवंशिक कारणों के अलावा सुस्त जीवनशैली, पर्यावरण प्रदूषण, धूम्रपान, एल्कोहॉल, खानपान की गलत आदतें इसका कारण हैं। लेकिन एक बडा कारण है- हेल्थ पर ध्यान न देना।

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हाल में हुई एक रिसर्च में कहा गया है कि 30 की उम्र के बाद स्त्रियों में एक्सरसाइज की कमी हृदय रोगों के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार है। धूम्रपान या ओबेसिटी से भी बडी समस्या व्यायाम न करना है। ऑस्ट्रेलिया में हुए इस अध्ययन में कहा गया है कि सुस्त और निष्क्रिय जीवनशैली सेहत के लिए सबसे खतरनाक है।

पूरे विश्व में, खासतौर पर अच्छी आर्थिक स्थिति वाले देशों में धूम्रपान, ओबेसिटी, ब्लड प्रेशर और खराब जीवनशैली के कारण हृदय रोगों में इजाफा हो रहा है। ब्रिटिश सरकार के एक मंत्री ने पिछले दिनों यह कहकर लोगों को चौंका दिया था कि यह पीढी अब तक की सबसे सुस्त पीढी है। इसके बाद से वहां की शैक्षिक संस्थाएं और हेल्थ क्लब सतर्क हो गए। ऑस्ट्रेलियन रिसर्च भी इसी ओर इशारा कर रही है। यूएस में भी ऐसे कुछ अध्ययन हुए हैं, जिनमें कहा गया है कि एक्सरसाइज स्त्रियों की दिनचर्या का हिस्सा नहीं है।

बढ रही हैं समस्याएं

मैक्स हॉस्पिटल साकेत, दिल्ली में कार्डिएक इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी लैब की डायरेक्टर व हेड डॉ. वनिता अरोडा के अनुसार, यह सही है कि अब भारतीय स्त्रियों में भी कार्डियो वेस्कुलर समस्याएं बढ रही हैं। कारण वही हैं, जो पुरुषों में हैं। आज की दबावपूर्ण जीवनशैली में स्वस्थ रहना सबसे बडी चुनौती है। मलेरिया या टीबी जैसे संक्रामक रोगों में इलाज संभव है, लेकिन लाइफस्टाइल डिजीज जैसे डायबिटीज, हृदय रोग और कैंसर साइलेंट किलर की तरह आते हैं और इनके लक्षण जल्दी पकड में भी नहीं आते। इसलिए इनका इलाज देर से शुरू होता है। स्त्रियों में अभी तक 50, 60 और 70 की उम्र में हार्ट प्रॉब्लम्स नजर आती थीं, मगर महानगरीय जीवनशैली में 30 की उम्र में ही डायबिटीज व कार्डियोवेस्कुलर समस्याएं उभरने लगी हैं।

लाइफस्टाइल और रोग

डॉ. वनिता कहती हैं, डायबिटीज, ओबेसिटी, हाइपरटेंशन और लाइफस्टाइल डिसॉर्डर स्त्रियों में हार्ट प्रॉब्लम का सबसे बडा कारण हैं। यदि किसी स्त्री को डायबिटीज है तो उसे अपने ब्लड प्रेशर और हार्ट को लेकर अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए। कोलेस्ट्रॉल स्तर संतुलित नहीं रहेगा तो डायबिटीज की समस्या जानलेवा हो सकती है। डायबिटीज होने पर कार्डियो समस्याओं की आशंका भी बढ जाती है। ये तमाम रोग काफी हद तक एक-दूसरे से जुडे हैं और इनके कारण और लक्षण भी एक-दूसरे से मिलते-जुलते हैं। इसलिए किसी एक समस्या के होने पर दूसरे की आशंका बढ जाती है। स्त्रियों में धूम्रपान और एल्कोहॉल का बढता चलन भी हृदय रोगों को बढावा दे रहा है। हाइ कोलेस्ट्रॉल स्तर, ओबेसिटी, व्यायाम की कमी, ओवर-न्यूट्रिशन, जंक फूड और दवाओं पर निर्भरता हार्ट के लिए बेहद खतरनाक संकेत हैं।

सही जांच है बडी चुनौती

दिल से जुडी समस्याओं से जूझने वाली स्त्रियों के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। जैसे- सही समय पर बीमारी की पहचान। कई बार हार्ट डिजीज का पता नहीं चल पाता या फिर लक्षणों के आधार पर किसी दूसरी समस्या का इलाज शुरू हो जाता है। हमारे देश में स्त्रियां समस्या होने पर लंबे समय तक डॉक्टर के पास ही नहीं जातीं। इसके अलावा जांच के गलत तरीके और लक्षणों का स्पष्ट न होना भी बडी वजह है हार्ट प्रॉब्लम्स के बढने की। कई बार स्टैंडर्ड स्क्रीनिंग टेस्ट या एक्सरसाइज स्ट्रेस टेस्ट के नतीजे गलत आ जाते हैं। स्त्रियों में हार्ट प्रॉब्लम्स अपेक्षाकृत नई समस्या है, लिहाजा इनकी जांच के आधुनिकतम तरीके कम ही अस्पतालों में उपलब्ध हैं। हालांकि पिछले दो दशकों से सही जांच तकनीक को लेकर अस्पताल जागरूक होने लगे हैं।

व्यायाम है जरूरी

डॉक्टर्स मानते हैं कि 30 की उम्र के बाद स्त्रियों के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। स्थिति यह है कि स्त्रियों पर घर-बाहर की जिम्मेदारियां इस उम्र में सर्वाधिक होती हैं और इन सबके बीच वे सेहत को नजरअंदाज करने लगती हैं। दुनिया भर के डॉक्टर्स-वैज्ञानिक मानते हैं कि एक्सरसाइज की कमी स्त्रियों के लिए सबसे बडा खतरा है। यदि स्त्रियां हर हफ्ते लगभग 150 मिनट की हलकी-फुलकी एक्सरसाइज करें तो कई बीमारियों से बच सकती हैं। कार्डियो वेस्कुलर और मेटाबॉलिक हेल्थ के लिए एरोबिक्स जरूरी है। नियमित स्ट्रेंथ ट्रेनिंग एक्सरसाइज भी अनिवार्य है। व्यायाम से ब्लड प्रेशर संतुलित रहता है, बॉडी फैट कम होता है और शुगर स्तर ठीक रहता है।

ध्यान दें

स्त्रियां सेहत की फिक्र करें तो सही समय पर बीमारी पकड में आ सकती है। हार्ट अटैक के कुछ खास लक्षण हैं- घबराहट होना, ब्लड प्रेशर बढना, सीने में दर्द, बांहों में डिस्कंफर्ट, पीठ या जबडे में दर्द, सांस उखडना, अचानक बिना वजह पसीना आना, नॉजिया या हलका सिरदर्द। ऐसी किसी भी स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

हेल्दी टिप्स

डॉ. वनिता अरोडा के अनुसार, लाइफस्टाइल में थोडे से बदलाव बडी समस्याओं से बचा सकते हैं। नियमित 25-30 मिनट की स्ट्रेचिंग और एक्सरसाइज कई समस्याओं से राहत दे सकती है। बीएमआइ 23 से ज्यादा न होने दें, कोलेस्ट्रॉल स्तर की जांच कराते रहें, हाइ ब्लड प्रेशर और डायबिटीज को संतुलित रखें, जरूरत पडने पर दवा अवश्य लें। ऐसी किसी भी समस्या के होने पर अपनी डाइट और एक्सरसाइज का ध्यान जरूर रखें। सैच्युरेटेड फैट को अपने आहार से बाहर रखें। जानते हैं कुछ और टिप्स हार्ट को हेल्दी रखने के-

1. वजन न बढने दें और बीएमआइ को सीमा से बाहर न जाने दें।

2. नियमित मॉर्निग वॉक करें। 39 मिनट्स में तीन किलोमीटर की वॉक जरूरी है।

3. स्मोकिंग और एल्कोहॉल को न कहें।

4. जंक व प्रोसेस्ड फूड का सेवन न करें, क्योंकि इनमें भारी मात्रा में ट्रांसफैट्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल स्तर को बढाते हैं। सैच्युरेटेड फैट भी बुरे कोलेस्ट्रॉल को बढाता है। रेड मीट, डेयरी प्रोडक्ट्स, बटर जैसी चीजों का सेवन सीमित मात्रा में करें।

5. फिजिकल एक्टिविटीज में हिस्सा लें। छोटे-छोटे कार्य स्वयं करने की आदत डालें।

6. नमक-चीनी का सीमित सेवन करें।

7. हरी पत्तेदार सब्जियों-ताजे फलों का सेवन न सिर्फ कोलेस्ट्रॉल को कम करता है, बल्कि पाचन क्रिया को भी दुरुस्त रखता है। ज्यादातर डायटीशियंस मानते हैं कि दिन भर में कम से कम 400 ग्राम ताजे फल व सब्जियों का सेवन करना चाहिए। इनमें भरपूर एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं जो किसी भी बाहरी संक्रमण से बचाव करते हैं।

8. पसीना बहाएं। एयरकंडिशंड कमरों में लगातार बैठे रहना आधुनिक जीवनशैली की सबसे बडी समस्या है। ऐक्टिव लाइफ न होने से हार्ट प्रॉब्लम्स ज्यादा हो रही हैं। व्यायाम से वजन, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल, शुगर स्तर संतुलित रहता है। अच्छे कोलेस्ट्रॉल में वृद्धि होती है, रक्त-संचार सुचारु रहता है और हार्ट मजबूत होता है। इसके अलावा व्यायाम से फील गुड हॉर्मोन एंडोर्फिंस में वृद्धि होती है, जिससे दबाव व तनाव घटता है।

9. नींद की कमी से भी कई समस्याएं पैदा होती हैं। इसलिए रोज 7-8 घंटे की नींद हर व्यक्ति के लिए जरूरी है।

10. तनाव व दबाव का दिल के रोगों से क्या संबंध है, ये आंकडे तो उपलब्ध नहीं हैं लेकिन एक्सप‌र्ट्स मानते हैं कि निरंतर तनाव, अवसाद या दबाव में घिरा व्यक्ति कभी स्वस्थ नहीं रह सकता। इसलिए हर स्थिति में खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखें।

इंदिरा राठौर


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