राह दिखाने का हुनर
उनकी आंखों में मन की बात पढ़ लेने का हुनर है। करियर की पगडंडियों पर डगमगा रहे कदमों को जब उनके अनुभवी हाथ थामते हैं तो रास्ता खुद-ब-खुद नजर आने लगता है। जी हां, सही पहचाना। बात हो रही है करियर क ाउंसलर्स क ी। अगर आपको भी साइकोलॉजी का ज्ञान है और दूसरों की मदद करना अच्छा लगता है तो इस क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं तलाश सकते हैं। सखी ने इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से बात की।
करियर के कई क्षेत्रों के बारे में प्रचलित धारणा है कि उन्हें युवा कोई अन्य विकल्प न होने पर ही अपनाते हैं। करियर काउंसलिंग भी ऐसा ही क्षेत्र है। एक समय था करियर काउंसलर बनने वाले ज्यादातर लोग पूर्व शिक्षक होते थे। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। यह क्षेत्र चुनने वाले युवाओं की संख्या तेजी से बढ रही है। आज कई युवाओं की आंखों में करियर काउंसलर बनने का सपना पल रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो आइआइटी जैसे संस्थानों के कई छात्र भी करियर काउंसलर बनना चाहते हैं। लेकिन इस क्षेत्र के लिए हर कोई उपयुक्त नहीं होता। आइए इस क्षेत्र की संभावनाओं पर नजर डालते हैं।
बढा है स्कोप
भारत में युवाओं की बडी जनसंख्या है। करियर के ऑप्शन भी लगातार बढ रहे हैं। इतने अधिक विकल्प देखकर छात्रों में सही क्षेत्र के चुनाव को लेकर दुविधा पनप रही है। अगर युवाओं को उचित दिशा निर्देशन मिल जाए और वे अपनी रुचि और क्षमताओं के अनुरूप क्षेत्र चुनें तो उनका आत्मविश्वास उनके काम में झलकता है। साथ ही वे लीडर के रूप में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हैं। इसी वजह से करियर काउंसलर का काम बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है। काउंसलिंग के क्षेत्र में स्कोप लगातार बढ रहा है। लगभग सभी शिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षित काउंलर्स की जरूरत है, जो छात्रों को सही राह दिखा सकें। विशेष रूप से बारहवीं के बाद छात्रों को दिशा निर्देशन की जरूरत होती है।
जिम्मेदारी भरा काम
करियर काउंसलर्स का काम बेहद जिम्मेदारी वाला होता है। उनकी एक सलाह पर छात्रों का भविष्य टिका होता है। एक कुशल काउंसलर के सामने सबसे बडी चुनौती होती है छात्र के शैक्षिक रिकॉर्ड, उसके व्यक्तित्व और आर्थिक स्थिति से प्रभावित हुए बिना उसकी क्षमताओं और रुचि को पहचानना और सही क्षेत्र चुनने में मदद करना। काउंसलर बनने के इच्छुक युवाओं में सेवा और मदद करने की भावना का होना बेहद जरूरी है। साथ ही उनमें नए-नए अवसर तलाशने, उन क्षेत्रों की हलचलों पर नजर रखने और दूसरों की बात सुनने का धैर्य भी होना चाहिए। संवेदनशीलता, लोगों के साथ घुलने-मिलने की प्रवृत्ति, पढने-लिखने में रुचि होना और तकनीकी रूप से अपडेट रहना भी जरूरी है।
शैक्षिक योग्यता व कोर्स
साइकोलॉजी के छात्र-छात्राएं इस क्षेत्र में करियर बना सकते हैं। काउंसलिंग के लिए साइकोलॉजी की जानकारी होना जरूरी है इसलिए अगर आपने यह कोर्स नहीं किया है तो भी इसका विस्तृत अध्ययन जरूर करें। आप चाहें तो बारहवीं के बाद गाइडेंस एंड काउंसलिंग में पीजी डिप्लोमा जैसे कोर्स कर सकते हैं। भारत में कई संस्थान करियर काउंसलिंग के डिप्लोमा व सर्टिफिकेट कोर्स कराते हैं। कई संस्थान ऐसे भी हैं जहां से डिस्टेंस एजुकेशन के जरिये यह कोर्स किया जा सकता है।
काउंसलिंग के प्रकार
करियर काउंसलिंग आम तौर पर दसवीं या बारहवीं के बाद की जाती है। यही वह समय होता है जब छात्र करियर का चुनाव करते हैं। इस वक्त उनके मन को पढना और उनकी दुविधाएं दूर करना बेहद जरूरी होता है। वहीं एजुकेशन काउंसलिंग के तहत किसी विशेष क्षेत्र में अध्ययनरत छात्रों को उनके क्षेत्र से जुडी संभावनाओं के बारे में जानकारी दी जाती है।
काउंसलर्स के गुरु मंत्र
- इस क्षेत्र में करियर बनाने से पहले अपनी क्षमताओं का आकलन करें। यह तय करें कि आप इसके लिए उपयुक्त हैं या नहीं।
- सफलता के लिए उचित शैक्षिक योग्यता के साथ ही अनुभव भी बेहद जरूरी है।
- जो युवा इस क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं, उन्हें पहले किसी स्थापित करियर काउंसलर के साथ काम का अनुभव लेना चाहिए।
- छात्रों की काउंसलिंग करने से पहले उनके मन की बात जानने की कला सीखें। सभी छात्र एक-दूसरे से अलग होते हैं।
डॉ. रूपा तालुकदार
करियर काउंसलर
जब मेरे बेटे का करियर चुनने का समय आया तो मैंने बेहद तल्लीनता से रिसर्च किया। उसके दोस्त भी मुझसे सलाह लेने आने लगे। इस क्षेत्र में मेरा मन इतना रम गया कि मैं इसमें हर दिन नया करने की कोशिशें करने लगी। मैंने गौर किया कि जैसे-जैसे परंपरागत व्यवसाय विलुप्त हो रहे हैं, वैसे-वैसे नई संभावनाएं जन्म ले रही हैं। यह देख कर मेरी इस क्षेत्र में रुचि और बढी। छात्रों को दुविधा और नाउम्मीदी से बाहर निकालने की ललक जागी। और इस तरह यह मेरा रोजगार बन गया।
जतिन चावला
करियर एक्सपर्ट
जब मैंने इंटरमीडिएट का एग्जैम पास किया, तब करियर काउंसलिंग का कोई कॉन्सेप्ट नहीं हुआ करता था। मेरे मन में सही क्षेत्र चुनने को लेकर काफी भटकाव था। कभी मेडिकल क्षेत्र की तरफ आकर्षित होता तो कभी डिफेंस की तरफ। काफी सोच-विचार के बाद एमबीए करने का फैसला किया। इस कोर्स को करने के बाद विभिन्न कार्पोरेट संस्थानों में नौकरी की। खाली वक्त में कुछ संस्थानों में मैनेजमेंट विषय भी पढाया। लेकिन कुछ समय बाद मुझे ऐसा लगने लगा कि मैंने गलत क्षेत्र चुन लिया है। काफी सोच विचार के बाद साल 2000 में मैंने एक साइकोलॉजिस्ट के साथ मिलकर करियर काउंसलिंग का काम शुरू किया। हमने दिल्ली-एनसीआर के विभिन्न स्कूलों में सेशंस लेना शुरू किया। शुरुआती दौर में जागरूकता की कमी के चलते काफी दिक्कतें आई। ज्यादातर जगह हमें यही सुनने को मिलता कि उनके छात्रों को काउंसलिंग की जरूरत नहीं है। लेकिन मेरा निश्चय दृढ था। मैंने स्कूलों को आश्वस्त किया कि सही क्षेत्र चुनने के लिए करियर काउंसलिंग बच्चों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है।
विष्णुप्रिया पाण्डेय, सीनियर लेक्चरर एंड काउंसलर, आइएमएस नोएडा
करियर काउंसलिंग चुनौतियों से भरा हुआ क्षेत्र है। अगर आप मन से काम करें तो यह क्षेत्र बेहद आत्म संतोष देता है। इसमें रचनात्मकता के भी भरपूर अवसर हैं। पत्रकारिता और व्यक्तित्व विकास की शिक्षिका के काम के दौरान मैंने जाना कि छात्रों के मन में करियर को लेकर कई शंकाएं होती हैं जिन्हें वे किसी से शेयर नहीं करते। खुद ही उन सवालों के जवाब तलाशते रहते हैं। बच्चों का रुझान, उनमें छुपी प्रतिभा और सपनों को पहचानना मुश्किल होता है। यह क्षेत्र दूसरे क्षेत्रों की तरह ही चुनौतीपूर्ण है। काबिल करियर काउंसलर्स की मांग लगातार बढ रही है। करियर ऑप्शंस बढने से बच्चे ही नहीं, अभिभावक भी कन्फ्यूज हैं।
ज्योति द्विवेदी