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जिनसे रोशन है इनकी जि़ंदगी

स्त्री के ऐसे ही कई रूपों के बारे में क्या सोचती हैं मशहूर हस्तियां, आइए जानते हैं सखी के साथ।..

By Edited By: Published: Sat, 25 Mar 2017 03:43 PM (IST)Updated: Sat, 25 Mar 2017 03:43 PM (IST)
जिनसे रोशन है इनकी जि़ंदगी

प्रकृति का हर नियम संतुलित और सच्चा होता है। जहां उसने पुरुष को शारीरिक बल दिया है तो वहीं स्त्री प्रेम, त्याग और करुणा की प्रतिमूर्ति है। कभी जीवनसंगिनी, कभी मां तो कभी बहन और दोस्त बनकर जीवन के हर मोड पर उसके साथ मजबूती से खडी होती है।

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इस सच से इनकार नहीं किया जा सकता कि इंसान की जिंदगी को खूबसूरत और पुरसुकून बनाने के लिए ही स्त्री को इस दुनिया में भेजा गया है। वह जीवनदायिनी मां बन कर अपने आंचल की छांव तले दुनिया की हर बला से महफूज रखती है, स्नेह वत्सला बहन के रूप में भाई पर अपनी खुशियां कुर्बान करने को सहर्ष तैयार रहती है। युवावस्था में हमकदम बनकर न केवल उसके साथ चलती है, बल्कि उसे जीने का सलीका भी सिखाती है। यहां रूबरू होते हैं स्त्री की कुछ ऐसी ही छवियों से, जो दिखने में भले ही अलग-अलग हों, चाहे उन्हें हम किसी भी नाम से पुकारें मगर इतना तय है कि उनके नूर से ही दुनिया रोशन है।

लता दीदी हैं मेरी प्रेरणा उदित नारायण, गायक मैं मूलत: गांव का रहने वाला हूं। बचपन से ही म्यूजिक मेरा पैशन रहा। लता दीदी की सुरीली आवाज मुझे बेहद आकर्षित करती थी। मुझे आज भी याद है, उन दिनों बारात बैलगाडी में आती थी, जिसके ऊपरी हिस्से पर बंधे लाउडस्पीकर पर लता दीदी के गीत बजाए जाते थे। जब भी मुझे ऐसी कोई बैलगाडी दिखती तो मैं उसके पीछे दौड पडता था। सच कहूं तो उनकी सुरीली आवाज से ही मुझे गायक बनने की प्रेरणा मिली। मेरी बडी दीदी इंदिरा का मेरे जीवन में बहुत बडा योगदान रहा है। उनकी शादी के वक्त मैं पांच साल का था। उनका विवाह बिहार के एक संपन्न जमींदार परिवार में हुआ था। मेरे पिता भी प्रतिष्ठित किसान थे पर उन दिनों हमारे परिवार की माली हालत अच्छी नहीं थी और वह मुझे स्कूल भेजने में असमर्थ थे। ऐसे में दीदी मुझे अपने साथ ससुराल ले गईं। उन्होंने दस वर्षों तक मां की तरह न केवल मेरी देखभाल की बल्कि पढाई का सारा खर्च भी खुद ही उठाया। वह बहुत नेकदिल स्त्री थीं। अब वह इस दुनिया में नहीं हैं पर मैं उनके प्रति हमेशा कृतज्ञ रहूंगा। अकसर मैंने लोगों से सुना था कि जो दुख में साथ निभाए, वही सच्चा दोस्त है। इस लिहाज से मेरी हमसफर दीपा ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं क्योंकि जीवन के सबसे मुश्किल दौर में उन्होंने हर कदम पर मेरा साथ निभाया।

जिंदगी हो जाती है आसान अंगद हसीजा, टीवी कलाकार अगर मां ने मेरा साथ न दिया होता तो शायद में टीवी ऐक्टर नहीं बन पाता। बचपन से ही मेरा यही सपना था कि मैं अभिनय की दुनिया में अपनी पहचान बनाऊं। वह इस बात को बखूबी समझती थीं कि इस सपने को साकार करने के लिए मुझे चंडीगढ छोडकर मुंबई जाना पडेगा। अपने बेटे को खुद से दूर करना उनके लिए आसान तो नहीं था पर उन्होंने मेरी खुशियों की खातिर मुझे मुंबई भेजने का निर्णय लिया। उन्हें मुझसे बहुत ज्यादा लगाव है, इसलिए मैं समझ सकता हूं कि उनके लिए यहनिर्णय कितना मुश्किल रहा होगा। केवल मां ही ऐसा अनकंडीशनल लव दे सकती है। मेरी वाइफ एंजेल घर-परिवार की सभी जिम्मेदारियों को जिस खूबसूरती से निभाती है, वह काबिले-तारीफ है। मेरी व्यस्तता को समझते हुए उसने मुझे घरेलू जिम्मेदारियों से पूरी तरह मुक्त कर रखा है। मैं यह समझता हूं कि ऐक्टर की पत्नी को कितनी मुश्किलों का सामना करना पडता है लेकिन उसमें बहुत धैर्य है और मुश्किल हालात में भी शांत रहना मैंने उसी से सीखा है। इसके अलावा टीवी ऐक्ट्रेस सारा खान मेरी बेस्ट फ्रेंड है, जिसने मुझे दोस्ती निभाना सिखाया। हमारी प्रोफेशनल लाइफ में बहुत ज्यादा स्ट्रेस और स्ट्रगल है। ऐसे में परिवार, खासतौर पर पत्नी और मां का सपोर्ट काफी अहमियत रखता है। शाम को जब मैं थका-हरा घर लौटता हूं तो अपनी बेटी वैष्णवी के साथ खेलता और बातें करता हूं। इससे मेरा सारा तनाव दूर हो जाता है। सही मायने में स्त्रियां ही पुरुषों को जीने का सलीका सिखाती हैं।

मां हैं मेरी प्रेरणास्रोत सोनू सूद, अभिनेता मेरी मां सरोज सूद मेरी सबसे बडी प्रेरणा हैं। अब इस दुनिया में नहीं हैं। शुरू से ही उनका जीवन बेहद मुश्किलों से भरा था पर उन्होंने कभी हार नहीं मानी और मुझे भी हमेशा यही सिखाया कि मुश्किलें ही इंसान को मजबूत रहना सिखाती हैं। मुंबई आने के बाद अपने संघर्ष के शुरुआती दौर में जब मैं परेशान होता तो वह फोन पर मेरा हौसला बढातीं। वह मुझे हमेशा कडी मेहनत करने के लिए प्रेरित करती थीं। मेरा मनोबल बढाने के लिए वह अकसर मुझे पत्र लिखतीं, जिसमें सकारात्मक भावनाओं से भरी बहुत सुंदर कविताएं होती थीं। उनके साथ बिताया गया जीवन का हर पल मेरे लिए अनमोल है। उनकी डायरी को मैंने अभी तक संभालकर रखा है। जब भी मेरा मन उदास होता है तो मैं उसे जरूर पढता हूं। इससे मुझे महसूस होता है कि मां आज भी मेरे पास हैं और मुझे दिलासा दे रही हैं। मेरी बडी बहन मालविका भी स्वभाव से बिल्कुल मां जैसी हैं। जब भी मैं उदास होता हूं तो दीदी से बात करता हूं। मुझे उनमें मां की छवि दिखती है। इसलिए मैं उनसे दिल की सारी बातें शेयर करता हूं।

स्त्री ही संवारती है जीवन कैलाश खेर, गायक मेरी मां चंद्रकांता देवी बहुत अच्छी गायिका हैं। भले ही उन्होंने मंच पर कभी नहीं गाया लेकिन मेरी प्रेरणास्रोत वही हैं। वह बेहद अनुशासनप्रिय और सच्चे दिल की सीधी-सादी स्त्री हैं। बचपन में रियाज करने के लिए वह मुझे सुबह बहुत जल्दी उठा देती थीं। उनका यह अनुशासन मेरे जीवन में आज भी कायम है। मैं रियाज के लिए सुबह जल्दी उठ जाता हूं। मेरी बहन नूतन उम्र में भले ही मुझसे छोटी है पर वह बहुत केयरिंग है। उसे संगीत की अच्छी समझ है। मैं अपना हर गाना पहले उसे सुनाता हूं। इसके बाद ही मैं गीतों की रिकॉर्डिंग करवाता हूं। वह मेरी बहन ही नहीं बल्कि सबसे अच्छी दोस्त भी है। मेरी कामयाबी में उसका बहुत बडा योगदान है। शादी के बाद मेरी जीवनसंगिनी शीतल ने मेरी जिंदगी को संवार कर उसे और खूबसूरत बना दिया है। उसके साथ मेरी बहुत अच्छी अंडरस्टैंडिंग है। मेरा मानना है कि स्त्री के बिना पुरुष का जीवन अधूरा है। वह मां, बहन, दोस्त, पत्नी और बेटी बन कर हर पल जीवन को संवारती है।


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