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उन्हें दिखाएं सही रास्ता

टीनएजर्स के माता-पिता अकसर यही सोचकर चिंतित होते हैं कि इस उम्र में विपरीत सेक्स के प्रति स्वाभाविक आकर्षण की वजह से उनके बच्चे कहीं गलत रास्ते पर न चले जाएं। ऐसे मामले में पेरेंट्स को पूरी सजगता बरतते हुए अपने बच्चों का सही मार्गदर्शन करना चाहिए।

By Edited By: Published: Fri, 03 Apr 2015 10:29 AM (IST)Updated: Fri, 03 Apr 2015 10:29 AM (IST)
उन्हें दिखाएं सही रास्ता

बच्चों की दुनिया कब और कैसे बदल जाती है इसका हमें अंदाजा ही नहीं होता। बचपन और युवावस्था के बीच का यह दौर बेहद नाजुक होता है। हॉर्मोन संबंधी बदलाव की वजह से किशोरों के दिलोदिमाग में अजब सी हलचल मची रहती है। मूड स्विंग की वजह से छोटी-छोटी बातों पर उनका अप्रत्याशित व्यवहार कई बार पेरेंट्स को परेशान कर देता है। इसके साथ ही विपरीत सेक्स के प्रति स्वाभाविक आकर्षण टीनएजर्स को नए रिश्तों की ओर बढऩे के लिए प्रेरित करता है। ऐसे में पेरेंट्स की रोक-टोक उन्हें सबसे ज्यादा परेशान करती है। ऐसे में हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम बच्चों की इस मनोदशा को समझते हुए उनका सही ढंग से मार्गदर्शन करें। कहने में भले ही यह आसान लगता है, पर आज समाज जिस रफ्तार से बदल रहा है, वैसी स्थिति में टीनएजर्स की पेरेंटिंग वाकई चुनौतीपूर्ण हो गई है।

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शुरू से करें शुरुआत

टीनएजर्स के साथ दोस्ताना रिश्ता बनाना तभी संभव है, जब छोटी उम्र से ही इसकी शुरुआत की जाए। अगर पेरेंट्स अपने बच्चों के साथ रोजाना हलके-फुलके अंदाज में बातचीत के लिए समय निकालेंगे तो शुरू से ही वे अपने माता-पिता के साथ सहज महसूस करेंगे। जो अभिभावक अनुशासन के नाम पर बच्चों से दूरी बनाकर रखते हैं, बडे होने के बाद उनके बच्चे माता-पिता के साथ अपने दिल की बातें शेयर नहीं कर पाते। यह तभी संभव होगा, जब बच्चे को अपने पेरेंट्स पर पूरा भरोसा होगा कि हमारे माता-पिता हर मुश्किल से बाहर निकलने में हमारी मदद करेंगे। टीनजर्स को अपने साथ सहज महसूस करवाना बहुत जरूरी है। इसके लिए आप उनके साथ अपनी किशोरावस्था से जुडी परेशानियां शेयर करें। उन्हें यह एहसास दिलाएं कि शारीरिक-मनोवैज्ञानिक बदलाव से भरा यह बेहद नाजुक दौर है। इससे घबराने के बजाय इस बदलाव को सहजता से स्वीकारने की कोशिश करनी चाहिए।

जाहिर करें ख्ाुशियां

ज्यादा तारीफ करने से बच्चे बिगड जाते हैं। पेरेंटिंग की यह पुरानी धारणा अब गलत साबित हो चुकी है। बच्चे के साथ अच्छे संबंध विकसित करने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम उसकी छोटी-छोटी ख्ाुशियों का ख्ायाल रखें। जब भी वह कोई अच्छा काम करे तो उसकी तारीफ करने में कंजूसी न बरतें। आजकल बारह-तेरह साल की उम्र तक बच्चे काफी समझदार हो जाते हैं। इसलिए आप भी उनके साथ अपनी भावनाएं शेयर करें। उनके सामने अपनी छोटी-छोटी ख्ाुशियों का इजहार करें। अगर किसी लडकी/लडके के प्रति आपके बेटे/बेटी का आकर्षण बढ रहा हो तो इस बात को लेकर ज्यादा चिंतित न हों और न ही ऐसी दोस्ती को लेकर रोक-टोक करें, पर आपको उनके सभी दोस्तों के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए। बर्थडे जैसे ख्ाास अवसरों पर उनके दोस्तों को अपने घर जरूर बुलाएं। दोस्तों के माध्यम से अपने बच्चे को करीब से जानने का मौका मिलता है। बच्चे की सुरक्षा की दृष्टि से भी उसके दोस्तों पर नजर रखना बेहद जरूरी है।

जरूरी है सवाल पूछना

बेशक हमें अपने टीनएजर्स को पूरी आजादी देनी चाहिए, लेकिन जब भी आपको ऐसा महसूस हो कि वे इस आजादी का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं तो आपको उनसे उनकी गतिविधियों के बारे में सवाल जरूर पूछना चाहिए। यह सही है कि इस उम्र में बच्चे बहुत इमोशनल होते हैं और छोटी-छोटी बातों पर बहुत जल्दी नाराज हो जाते हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि पेरेंट्स बेवजह मुझ पर शक कर रहे हैं, पर बच्चों की नाराजगी के डर से उनकी गलतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्हें सही रास्ता दिखाना आपकी जिम्मेदारी है। उम्र के स्वाभाविक आकर्षण की वजह से वे जितनी आसानी से एक-दूसरे के करीब आते ही है, उतनी ही जल्दी उनके ऐसे रिश्ते टूट भी जाते हैं। हमारी नजरों में ये बातें बहुत छोटी लगती हैं, पर वे इस आकर्षण और मनमुटाव को 'रिलेशनशिप और 'ब्रेकअप का नाम देते हैं। ज्यादातर टीनएजर्स की दुनिया इन्हीं दो शब्दों के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। ब्रेकअप के बाद उन्हें ऐसा लगता है कि सब कुछ ख्ात्म हो गया। अगर कभी आपके बेटे/बेटी के सामने ऐसी कोई स्थिति आती है तो उसे समझाएं कि वह तुम्हारे लिए बेहद ख्ाास था/थी, पर समय के साथ जीवन में बहुत कुछ बदलता रहता है। अब वह तुम्हें नापसंद करता/करती है तो इससे तुम्हारी अहमियत कम नहीं हो जाती। तुम हमारे लिए आज भी सबसे ख्ाास हो। जिस तरह आज उसे कोई और पसंद आ गया है, हो सकता है कल इससे भी कहीं ज्यादा अच्छे लडके/लडकी से तुम्हारी दोस्ती हो जाए। इसलिए जितनी जल्द हो सके, ऐसे दुखद अनुभवों को भूलकर जीवन में आगे बढऩे की कोशिश करनी चाहिए।

अहमियत भावनाओं की

हमें दूसरों की भावनाओं का सम्मान कैसे करना चाहिए, अपने बच्चों को यह बात सिखाने की सही उम्र यही है। इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि पहले उनमें दूसरों की बातें सुनने-समझने की क्षमता विकसित हो। हर अभिभावक की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह अपने बेटे-बेटियों को सही सामाजिक व्यवहार सिखाए। आप अपने बेटे को बताएं कि लडकियों के साथ शालीन व्यवहार कैसे करना चाहिए। उसी तरह लडकियों को भी यह समझाना जरूरी है कि लडकों के साथ दोस्ती के दौरान उसे किस तरह सम्मानजनक दूरी बनाए रखनी चाहिए। चाहे आपका बेटा हो या बेटी इस उम्र में बच्चों को अपने किसी भी रिश्ते के प्रति ईमानदारी सिखाना बेहद जरूरी है। मौज-मस्ती के लिए किसी के सामने झूठी तारीफ करना और बाद में अपने दोस्त का मजाक उडाने जैसी हरकतें टीनएजर्स अकसर करते हैं। उन्हें समझाएं कि पीयर प्रेशर में आकर वे कोई भी ऐसा व्यवहार न करें, जिससे किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचे।

सेक्स एजुकेशन से क्यों घबराना

यह सही है आजकल टीवी, फिल्मों और इंटरनेट की वजह से बच्चों को सेक्स के बारे बहुत कुछ सही उम्र से पहले ही मालूम हो जाता है, पर यह अधकचरी जानकारी उनके लिए बहुत नुकसानदेह साबित होती है। ऐसे में अभिभावकों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को इस उम्र में होने वाले शारीरिक-मनोवैज्ञानिक बदलाव, विपरीत सेक्स के प्रति सहज आकर्षण और प्रेम का फर्क, असुरक्षित यौन संबंध से होने वाले नुकसान आदि के बारे में खुल कर समझाएं। सेक्स साथ नैतिक मूल्यों को जोडकर देखने की परंपरा इस दृष्टि से बहुत फायदेमंद है कि इसकी वजह से टीनएजर्स यौन संबंधों के मामले में स्वच्छंदता नहीं बरतेंगे। इसलिए हमें अपने बच्चों में शुरू सेे ही अच्छे संस्कार विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए। आप उन्हें समझाएं कि लडकों/लडकियों से दोस्ती करने में कोई बुराई नहीं है, पर सेक्स के लिए उनकी उम्र बहुत छोटी है। इसलिए अभी उन्हें इससे दूर ही रहना चाहिए।

अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो टीनएजर्स के व्यक्तित्व का विकास संतुलित ढंग से होगा और उनकी दोस्ती को एक सही दिशा मिलेगी।

कुछ जरूरी बातें

- अपने टीनएजर्स को स्पोट्र्स, म्यूजिक और आर्ट जैसी एक्टिविटीज में व्यस्त रखने की कोशिश करें। इससे उनकी ऊर्जा का इस्तेमाल सही दिशा में होगा और उनका ध्यान गलत रास्ते की ओर नहीं भटकेगा।

- इस उम्र में पीयर प्रेशर बहुत ज्यादा होता है। इसलिए अपने बच्चों के सभी दोस्तों और उनके परिवार के बारे पूरी जानकारी रखें।

- कभी-कभी उत्सुकतावश टीनएजर सिगरेट, एल्कोहॉल और ड्रग्स का भी सेवन करते हैं। इसलिए उनकी गतिविधियों पर नजर रखें और उन्हें इनसे होने वाले नुकसान के बारे में बताएं।

- अपने शालीन व्यवहार से बच्चों का रोल मॉडल बनने की कोशिश करें क्योंकि वे बडों से ही सीखते हैं।

- अगर कभी आपको उसके व्यवहार में कुछ गलत दिखाई दे तो भी उसे उसी वक्त डांटने की जल्दबाजी न दिखाएं। बाद में उसे धैर्यपूर्वक समझाएं कि उस वक्त तुम्हें ऐसा नहीं करना चाहिए था।

- अगर कभी उससे कोई गलती हो जाए तो बहुत ज्यादा डांटकर अपमानित करने के बजाय उसे समझाकर सही रास्ते पर लाने की कोशिश करें। उसे ख्ाुद को सुधारने का मौका जरूर दें।

- अपने प्यार भरे व्यवहार से टीनएजर्स का विश्वास जीतने की कोशिश करें, ताकि वे बिना किसी डर के आपसे सच बोल सकें।

विनीता

(चाइल्ड काउंसलर पूनम कामदार से बातचीत पर आधारित)


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