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टीनएज डाइट फंडा

चॉकलेट, लाइमजूस, आइसक्रीम, टॉफियां पहले जैसे अब मेरे शौक हैं कहां..। यह गीत किशोर से युवा होते बच्चों पर फिट बैठता है। इस दौर में उन्हें स्कूल के जमाने का टिफिन नहीं भाता। कॉलेज की कैंटीन रास आने लगती है। लेकिन यही वह उम्र होती है जब ओबेसिटी का डर होता है। ऐसे में वे किन खास बातों का ध्यान रखें, बता रही हैं न्यूट्रिशनिस्ट नीलांजना सिंह।

By Edited By: Published: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)
टीनएज डाइट फंडा

उम्र के इस दौर में शरीर में कई बदलाव आते हैं। ये बदलाव न केवल शारीरिक, बल्कि भावनात्मक एवं मानसिक भी होते हैं। इस लिहाज से यह जरूरी है कि आहार में पर्याप्त पोषक तत्व मौजूद हों। यहां दी गई कुछ बातों का ध्यान रखकर फिट और स्वस्थ रहा जा सकता है।

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-अपने दिन की शुरुआत अच्छे ब्रेकफस्ट से करना पोषण संबंधी समस्याओं को दूर करने का सबसे अच्छा तरीका है। जब जरूरी पोषक तत्व दिन की शुरुआत में ही शरीर को मिल जाएं तो चीजें सारे दिन सामान्य रह पाती हैं। ब्रेकफस्ट में भरवां रोटी या दलिया, ओट्स या कोई एक सीरियल होना जरूरी है। साथ ही 1 ग्लास बनाना, मैंगो या मिल्क शेक।

-15-20 वर्ष की आयु के बीच पर्याप्त कैलरी जरूरी डाइट से मिलती है। जरूरत से कम या जरूरत से ज्यादा भोजन, दोनों ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। हालांकि आमतौर पर यह माना जाता है कि अल्प पोषण तब होता है, जब पर्याप्त भोजन नहीं मिलता, लेकिन हैरत की बात है कि अल्पपोषण तब भी होता है जब भोजन काफी मात्रा में लिया जाए।

-कैंटीन या कैफेटेरिया में सप्ताह में दो बार से अधिक भोजन न करें। कैंटीन में आम तौर पर उपलब्ध चिप्स या समोसे के बजाय इडली, राजमा-चावल, कढी-चावल का चयन ज्यादा ठीक होगा। बेहतर होगा कि कोई एक फल खाएं। मसलन सेब, संतरा, अंगूर या केला।

-घर से खाना ले जाना इस उम्र को गंवारा नहीं। ऐसे में टिफिन/लंच पैक को अधिक आकर्षक बनाना जरूरी है। भरवां पराठे आज ज्यादातर बच्चों को उबाऊ लगते हैं, लेकिन उसी परांठे को अगर काठी रोल स्टाइल में तैयार किया जाए तो हर कोई खाने को तैयार हो जाएगा।

-परांठे अलग-अलग अनाज के आटों को मिलाकर बनाए जा सकते हैं। परांठों में पैटी का मसाला, पनीर, स्प्राउट्स, काले चने या राजमा की स्टफिंग करके उन्हें अधिक पौष्टिक और लाजवाब बनाया जा सकता है। इसी तर्ज पर भुनी हुई शकरकंदी, मक्का या सिके हुए आलुओं से स्नैक्स तैयार किए जा सकते हैं।

-इस उम्र में कैल्शियम और आयरन की कमी आम बात है और भारत में तो यह समस्या काफी है। दूध की जगह अन्य पेय पदार्थ जैसे टैंग, सोडा या कोल्ड ड्रिंक के सेवन से आहार में कैल्शियम की कमी लाजिमी है। इस आयु में हड्डियों का विकास होता है। हड्डियों के विकास के लिए आहार में कम से कम 1200 मिग्रा कैल्शियम जरूरी है। इसलिए अपने साथ शेकर या कप क्लासेज में मिल्क शेक, जूस छाछ या लस्सी ले सकते हैं।

-फ्रूट योगर्ट, फलों का रस और लस्सी को अपनी डाइट का हिस्सा बनाना बहुत जरूरी है।

-उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर भारत में हाल ही में देखी गई दो समस्याएं हैं। रक्तचाप बढने का मुख्य कारण आहार में प्रोसेस्ड फूड का होना है। प्राकृतिक रूप से मिलने वाले पदाथरें में सोडियम का स्तर प्रोसेस्ड फूड की अपेक्षा 3 से 4 गुना अधिक होता है। किशोरों में बढे हुए कोलेस्ट्रॉल का कारण अधिक सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाले आहार के साथ-साथ कम शारीरिक गतिविधि करना है।

शोध से पता चला है कि फैटी धारियां जो रक्त वाहिकाओं में निर्मित होती हैं, उम्र के इस पडाव पर अपने आप विकसित होने लगती हैं। ऐसे में साल्टेड स्नैक्स, पैकेट बंद फूड से जहां तक हो सके, दूर रहना जरूरी है।

इला श्रीवास्तव


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