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यह जो हर वक्त की थकान है

क्या आप हर समय थकी रहती हैं, आपके उत्साह में अचानक कमी आ गई है, सोकर उठने के बावजूद अपर्याप्त नींद का एहसास होता है? तो जरा संभल जाएं और इसे गंभीरता से लें।

By Edited By: Published: Fri, 14 Oct 2016 12:49 PM (IST)Updated: Fri, 14 Oct 2016 12:49 PM (IST)
यह जो हर वक्त की थकान है
बदलती जीवनशैली और व्यस्तता ने तमाम नए तरह के रोगों को जन्म दिया है। इन्हींमें से एक है टैट सिंड्रोम (टायर्ड ऑल द टाइम) यानी हर समय थकान का एहसास होना। हालांकि शुरुआत में इस समस्या को लोग अनदेखा कर देते हैं लेकिन इस मामले में लापरवाही दूसरी गंभीर समस्याओं को न्योता देती है। अभी यह शब्द बहुत ज्य़ादा आम नहीं हुआ है लेकिन इसके चंगुल में फंसने वाले लोगों की संख्या दिनों-दिन बढ रही है। हालिया अध्ययन बताते हैं कि प्रत्येक दस में से एक व्यक्तिटैट सिंड्रोम से पीडित है। यही नहीं, पुरुषों की अपेक्षा महिलाएं इससे कहीं अधिक पीडित हो रही हैं। घर-समाज और ऑफिस के स्तर पर बढी जिम्मेदारियां इसकी प्रमुख वजह हैं। मूल में है सीएफएस टैट सिंड्रोम कोई नया शब्द नहीं है। कुछ वर्ष पहले सीएफएस (क्रॉनिक फटीग सिंड्रोम) भी चर्चा में आया था। इसमें थकान की वजह से लोगों का बिस्तर से उठने तक का मन नहीं करता था। कुछ लोगों को तो मांसपेशियों में दर्द-कमजोरी, सिरदर्द और बुखार की शिकायत हमेशा बनी रहती थी। इसका सबसे दुखद पहलू यही था कि लोग बगैर इसका कारण जाने वर्र्षों से इससे पीडित रहते थे। उस वक्त डॉक्टरों ने थकान के अनुभव और उसके छह माह तक लगातार जारी रहने को सीएफएस करार दिया था। इसी का ही कम प्रभाव आज टैट सिंड्रोम के नामकरण से नवाजा गया है। टैट के कारण इसके लिए शारीरिक, भावनात्मक, जीवनशैली या खानपान से जुडी बातों को जिम्मेदार माना गया है। साथ ही दूसरी तरह की बीमारियों, गर्भावस्था या स्तनपान भी इसके कारणों में शुमार किए गए। घर बदलना, पारिवारिक या कार्यगत समस्याओं से उपजे तनाव और दबाव बढाने वाली स्थितियों को भी एक मुख्य कारण माना गया। शारीरिक बदलाव मोटापे सरीखे शारीरिक बदलाव को भी थकान का जिम्मेदार माना गया। एनीमिया, थायरॉयड व दिल से जुडी तमाम बीमारियों में भी व्यक्ति थका-थका महसूस करता है। साथ ही अनिद्रा या खर्राटेदार नींद भी इसके लिए जिम्मेदार मानी गई। भावनात्मक स्तर पर तनाव और चिंता से भी थकान पनपती है। किसी स्थिति पर नियंत्रण स्थापित न होने या नाकाम होने से जो कुंठा और चिडचिडापन पनपता है, वह टैट सिंड्रोम में ही आता है। आगे बढऩे का तनाव आर्थिक स्तर पर ज्यादा से ज्यादा कमाने का भूत अधिकतर लोगों के सिर पर सवार है। कई ऐसे लोग आपको मिल जाएंगे जिन्होंने तीन-तीन साल तक बगैर किसी छुट्टी के काम किया। ऐसे लोग नौकरी छूट जाने या दूसरों के आगे निकल जाने के डर से दिन-रात काम करते रहते हैं। वे इस फेर में जिस तनाव को पाल बैठते हैं, वह भी टैट सिंड्रोम का एक प्रमुख कारण है। नींद की कमी असामान्य या अव्यवस्थित नींद टैट सिंड्रोम से पीडित शख्स की समस्या बढाने का काम करती है। कम से कम आठ घंटे की अच्छी और गहरी नींद बहुत जरूरी है। बिस्तर पर करवटें बदलने से कहीं बेहतर है कि एक-दो घंटे कम किंतु अच्छी-गहरी नींद ली जाए। खानपान से जुडे पहलू मसलन पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं पीना, कम प्रोटीन लेना, कम या ज्य़ादा कार्बोहाइड्रेट का सेवन, कैफीन पर निर्भरता, तला-भुना भोजन, अनिश्चित खानपान और संतुलित भोजन का अभाव होना। आरामतलब जीवनशैली पसीना बहाना वास्तव में ऊर्जा स्तर में वृद्धि लाने का काम करता है और गैजेट फ्रीक लोग इसे भूलते जा रहे हैं। वे घर बैठे-बैठे एक क्लिक से काम निपटाने लगे हैं, सीढी की जगह लिफ्ट से जाते हैं। चलना-फिरना और मेहनत करना खत्म होता जा रहा है। इससे शरीर में थकान बढती है। कैसे बचें थकान का अनुभव कराने वाली चीजों को बंद कर दें या कम से कम करें। एक-दो सप्ताह तक आप जो भी काम करें, उसे कहीं लिखते जाएं। फिर इस लिस्ट पर निगाह डाल कर तय करें कि किन कामों को करने से आपको थकान होती है। नियमित व्यायाम से ऊर्जा स्तर में तो वृद्धि होती ही है, साथ ही शरीर में दर्द की अनुभूति भी कम होती है। हालांकि व्यायाम शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर की राय लेना न भूलें। अत्यधिक व्यायाम भी थकान का एक प्रमुख कारण होता है। ध्यान भी कई तरह से राहत देने का काम करता है। यह ऊर्जा में संतुलन लाता है। दिमाग को शांति प्रदान कर यह शरीर को भी हलका बनाता है। रोजाना सिर्फ 10 मिनट का ध्यान अधिकांश समस्याओं को कम कर सकता है। अगर आप प्राणायाम करते हैं तो इसके जादुई प्रभाव भी महसूस कर सकत हैं। अधिकतर लोगों को लगता है कि सहायक या वैकल्पिक चिकित्सा मसलन मालिश, एक्यूपंक्चर, योग और स्ट्रेचिंग से उन्हें आराम मिलता है। इस संदर्भ में ध्यान रखें कि कई बार ये उपाय समस्या को अधिक जटिल बना कर आपको नुकसान भी पहुंचा सकते हैं। बेहतर रहेगा कि इन्हें अपनाने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें। ध्यान रखे महज थकान का अनुभव करना ही टैट के लक्षण नहीं है। इसके अलावा अन्य लक्षण भी टैट सिंड्रोम के जिम्मेदार होते हैं। ऊर्जा स्तर में कमी का अनुभव लंबे समय तक भारीपन का अनुभव दिन भर पलकें भारी रहना यानी नींद का अनुभव करना मोटिवेशन की कमी एकाग्रचित्त होने में दिक्कत निर्णय लेने में कठिनाई दैनिक कार्यों को अंजाम देने में कठिनाई बगैर किसी कारण निराशा में डूबे रहना। संगीता सिंह (डॉ. नंद कुमार, असिस्टेंट प्रोफेसर, साइकायट्रिक विभाग, एम्स, दिल्ली से बातचीत पर आधारित)

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