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बेरोज़गारी दूर करने के अचूक सुझाव

यह सही है कि बेरोज़गारी देश में बहुत बढ़ गई है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि रोज़गार की कोई कमी भी नहीं है। आपकी चाहे जो योग्यता हो, रोज़गार करने और उसमें सफल होने के लिए केवल दो चीज़ें चाहिए - लीक से हटकर थोड़ा अलग नज़रिया और हौसला। आइए चलते हैं विकल्पों के एक सफर पर।

By Edited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 01:14 PM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 01:14 PM (IST)
बेरोज़गारी दूर करने के अचूक सुझाव

यह सही है कि बेरोजगारी देश में बहुत बढ गई है, लेकिन सच्चाई यह भी है कि रोजगार की कोई कमी भी नहीं है। आपकी चाहे जो योग्यता हो, रोजगार करने और उसमें सफल होने के लिए केवल दो चीजें चाहिए - लीक से हटकर थोडा अलग नजरिया और हौसला। आइए चलते हैं विकल्पों के एक सफर पर।

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जहां तक समस्याओं का प्रश्न है, हमारा देश इस नेमत से बुरी तरह मालामाल है। इस मामले में हम पर परमपिता परमात्मा की फुल कृपा है। उसने हमें बनाया ही ऐसा है कि जहां समस्या हो ही नहीं, हम वहां भी अच्छी-ख्ाासी समस्या खडी कर लेते हैं। जाति, धर्म, क्षेत्र, वर्ग, भाषा आदि की भूमि पर हमने भ्रष्ट आचरण के उन्नत बीज बोए हैं, जो हर वर्ष समस्याओं की लहलहाती फसलें प्रदान करते चले आ रहे हैं। समस्या सृजन के मामले में हमारा मस्तिष्क इतना उर्वर है कि कुछ न हो तो हम इसी बात पर समस्या पैदा कर सकते हैं कि कोई समस्या क्यों नहीं है।

समस्याएं भले अनगिनत हों, परंतु जिस प्रकार समस्त दुखों का मूल 'माया' को बताया जाता है, उसी प्रकार समस्त समस्याओं का मूल भी एक ही समस्या में निहित है और वह एकमात्र विलक्षण समस्या है - बेरोजगारी।

बेरोजगारी देखने में एक छोटी सी समस्या जरूर लगती है, लेकिन जिस प्रकार संस्कृत को समस्त भाषाओं की जननी माना जाता है, उसी प्रकार बेरोजगारी समस्त समस्याओं की माता है। सभी समस्याओं का मूल 'स्वार्थ में निहित है और बेरोजगारी मनुष्य को न चाहते हुए भी स्वार्थी बना देती है, जिससे नाना प्रकार की समस्याओं का जन्म पर जन्म होता चला जाता है।

अस्तु जीवन की समस्त समस्याओं से छुटकारा पाने का एक ही तरीका है और वह है बेरोजगारी से छुटकारा पाना। यदि बेरोजगारी को काबू कर लिया जाए तो हमारी अधिकांश समस्याएं उत्पन्न होने से पहले ही समाप्त हो जाएं।

जहां तक रोजग़ार का प्रश्न है, हमारा देश रोजगार उन्मूलन के कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में संपूर्ण विश्व में अग्रणी है। हमने कई उत्पादक क्षेत्रों का तो ऐसा बेडा गर्क कर दिया है कि आगामी कई श्रावणों तक यहां रोजगार की नन्ही कोपलें फूटने की कोई संभावना दूर-दूर तक नजर नहीं आती। हमारे सभी कर्ता-धर्ता इनका जीवन रस चूस-चूस कर उसे स्विस बैंकों तक पहुंचाने की परियोजनाओं में आकंठ निमग्न हैं।

ऐसे में मैंने सोचा कि क्यों न अपने बेरोजगारी परक अनुभवों के आधार पर बेरोजगार भाइयों की बेरोजगारी दूर करने के कुछ कारगर उपाय सुझा कर अपना जीवन सफल कर लिया जाए।

बेरोजगारी से बचने के लिए पहला सुझाव तो यह है कि आदमी को पढऩे-लिखने के चक्कर में नहीं पडऩा चाहिए। शिक्षा और विशेष रूप से भारतीय शिक्षा मनुष्य के अति मूल्यवान समय को बडी ही खूबसूरती से नष्ट करती है। बंदे के कीमती 20-22 साल घिसे-पिटे-आउटडेटेड पाठ्यक्रमों को रटने में व्यर्थ चले जाते हैं। रट्टाफिकेशन के द्वारा मस्तिष्क में भरे किताबी ज्ञान के कारण जीवन के वास्तविक अनुभवों को संग्रह करने के लिए न तो वहां जगह बचती है और न ऐसा करने के लिए समय ही।

शिक्षा का योग्यता से वैसे भी कोई संबंध नहीं है। प्राचीनकाल-मध्यकाल के संतों-महात्माओं-बादशाहों के पास कौन सी डिग्रियां थीं? प्राचीनकाल की बात जाने दें, आज के समय को ही देख लें। आधुनिक काल में भी महान राजनेताओं, फिल्म अभिनेता-अभिनेत्रियों, क्रिकेटरों, विश्वसुंदरियों आदि-आदि को कभी इस चीज की जरूरत महसूस नहीं हुई।

अपनी शिक्षा पद्धति के विषय में एक राज की बात और बताता चलूं। हमारे मेधावी छात्र बहुत अधिक पढ-लिख कर अफसर-डॉक्टर -इंजीनियर बनते हैं, जो सारा जीवन नौकरियां करके घर चलाते हैं। ठीक-ठाक पढ-लिख लेने वाले बिजनेसमैन बनते हैं, जो अफसरों-डाक्टरों-इंजीनियरों को नौकरी पर रखते हैं। फेल-फाल होते रहने वाले नेता बन जाते हैं जो बिजनेस करने वालों से चंदा वसूलते हैं और स्कूल का मुंह तक न देख पाने वाले धर्मगुरु बनते हैं जो इन सबसे चरण वंदना करवाते दिखते हैं।

शिक्षा और रोजगार में वैसे भी कोई रिश्तेदारी नहीं है। आपने अकसर सुना होगा कि हमारे महाविद्यालय और विश्वविद्यालय हर साल बेरोजगारों की एक बडी फौज खडी कर देते हैं। वैसे भी साल भर की मेहनत की परीक्षा तीन घंटे में लेने वाली और उस परीक्षा का मूल्यांकन तीन मिनट में करने वाली शिक्षा पद्धति से और उम्मीद भी क्या की जा सकती है?

आज के दौर में कुछ ऐसे रोजगारों की जरूरत है जो सही अर्थों में बेरोजगारी को दूर कर सकें। अपने यहां नेतागिरी को सबसे प्रतिष्ठित रोजगार माना जाता है, परंतु अब इस धंधे में पैर जमाना आसान नहीं रह गया है। सबसे पहली तो बात यह कि इस क्षेत्र में पदार्पण करने के लिए अत्यंत उच्च कोटि की योग्यता अनिवार्य है। वह भी केवल एक क्षेत्र की नहीं, कई भिन्न-भिन्न क्षेत्रों की योग्यताओं के पूरे समुच्चय की जरूरत होती है। इसके लिए जितनी योग्यताएं अनिवार्य मानी जाती हैं, सबका एक ही व्यक्ति में मिलना अद्भुत संयोग ही होता है। अत: नेता बनना अब हमारे-आप जैसों के बस की बात नहीं रही। अलबत्ता इनमें से दो-एक योग्यताएं भी हों तो छुटभैये नेता बनकर या किसी बडे नेता के चमचे बनकर अपना दाल-फुल्का चलाया जा सकता है।

इसी प्रकार खानदानी वैद्य बनना भी करियर का एक अच्छा विकल्प हो सकता है। नब्बे प्रतिशत गुप्त और दस प्रतिशत प्रकट रोगों का इलाज करके मोटा धन-यश कमाया जा सकता है। परंतु अब इसमें ख्ातरा बहुत बढ गया है। आए दिन क्वालिफाइड डॉक्टरों को आम लोगों के कोप का भाजन बनते देखकर इस ताल में उतरने की सलाह मैं कम ही तैराकों को देता हूं। पर आप चिंता न करें। रोजगार के दो क्षेत्र ऐसे भी हैं, जो अब तक नितांत निरापद हैं। इन्हें आज तक कभी जांच की आंच नहीं सहनी पडी। साथ ही, इनमें ग्रोथ की संभावनाएं भी बहुत हैं।

पहला है - दूसरों का भविष्य बताना। आप एक भविष्य वाचन केंद्र खोल सकते हैं, जिसके बोर्ड पर एक ओर हाथ और दूसरी ओर कुंडली बनी हुई हो। भले जानकारी एक की भी न हो, पर बोर्ड पर लिखा हो - पचास साल का अनुभव... स्पेशलिस्ट इन हैंड, फेस, स्नैप रीडिंग... माताओं-बहनों को प्राथमिकता... आदि। केंद्र की दीवारों पर तख्तियां टंगी हों - व्यर्थ मत भटकें, हमारी पूजा का तुरंत असर शुरू, दुआ से तकदीर बदलें, कोशिश से बंद दरवाजे खुल सकते हैं।

आप प्रकांड भविष्यवक्ता बनकर समाज से प्रेम विवाह, गृहक्लेश, सौतन, तलाक, मुकदमा, नौकरी, तरक्की, तबादला, मॉडलिंग, फिल्मी करियर, कारोबार, विदेशयात्रा... जैसी विकट समस्याओं को भी दूर कर सकते हैं और अपना घर भी चला सकते हैं।

आपको करना बस यह है कि प्रश्नकर्ता जो सुनना चाहता है, अस्सी प्रतिशत वह सुनाएं और बीस प्रतिशत उल्टा-सीधा बताकर जो मन में आए, उपाय बता दें।

दूसरा है - तंत्र-मंत्र। आप एक तांत्रिक बन जाएं। नाम रख लें - मलंग बाबा झुमरी तलैया वाले... काले इल्म के बादशाह...

और बोर्ड लगा लें - ऊपरी असर, किया-कराया, खिलाया-पिलाया, जादू-टोना, ख्ाून के छींटे पडऩा, कपडे कटना, मूठ करनी, वशीकरण करना या तुडवाना, दुश्मन को तारे दिखाना, वाहन-पशु-फसल का नुकसान, सास-बहू, बाप-बेटे, भाई-भाई में अनबन... जैसी सदाबहार समस्याएं आपके टोटकों की प्रतीक्षा कर रही हैं। आप इनके समाधान को स्टांप पेपर पर लिख कर देने का दावा करके अपनी बगिया हरी-भरी कर सकते हैं।

यहां करियर के जितने विकल्पों की चर्चा की गई है, मजे की बात यह है कि देश के किसी विश्वविद्यालय या महाविद्यालय में इनके शिक्षण-प्रशिक्षण या डिग्री की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसी स्थिति में इनके सर्टिफिकेशन जैैसी समस्या तो आडे आनी ही नहीं है और इन क्षेत्रों में बेरोजगारों की भीड लगने का सवाल भी पैदा नहीं होता। समस्याएं सदाबहार, विशेषज्ञ बेहद कम, ऐसी संभावनाएं किस क्षेत्र में हैं?

वैसे मेरे पास और भी करिअर ऑप्शन हैं, पर आज बस इतना ही। सब एक झटके में बता दिया तो कल मुझे कौन पूछेगा? यह तो बस एक काउंसलिंग सेमिनार टाइप प्रमोशनल स्पीच मात्र थी। शेष फिर कभी...

डॉ. राजेंद्र सिंह साहिल


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