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लेट मैरिज को अब कहें न

समय के साथ लोगों की जीवनशैली और सोच में कितना भी फर्क क्यों न आ जाए, कुछ पारंपरिक मुद्दों पर बहस हमेशा जारी रहती है, जैसे कि शादी। शादी को लेकर आज भी लोगों के मन में कई धारणाएं बनी हुई हैं, मसलन रीति-रिवाज और विवाह योग्य उम्र आदि।

By Edited By: Published: Tue, 20 Dec 2016 05:47 PM (IST)Updated: Tue, 20 Dec 2016 05:47 PM (IST)
लेट मैरिज को अब कहें न
कहते हैं कि शादी के लिए कोई पूर्व निर्धारित उम्र नहीं होती है, बल्कि यह व्यक्ति की मानसिक व शारीरिक सहजता पर निर्भर करता है कि वह विवाह के बंधन में कब बंधे। जहां पहले स्कूल-कॉलेज की पढाई पूरी होते-होते ही लडकियों की शादी करवा दी जाती थी, वहीं बीच में 'लेट वेडिंग्स' का चलन बढता हुआ देखा गया था। जानते हैं, शादी की 'आदर्श उम्र' के मौजूदा ट्रेंड के बारे में। उम्र नहीं कोई बंधन उम्र महज एक अंक है, उससे ज्यादा कुछ नहीं, इसलिए शादी की कोई खास उम्र निर्धारित नहीं की जा सकती है। कोई अगर 20 वर्ष की उम्र में परिपक्व हो जाता है तो किसी-किसी में 30 की उम्र तक भी परिपक्वता नहीं आती है। एक समय था जब 18-19 वर्ष की लडकियों की शादी करवा दी जाती थी, कभी-कभी तो उनकी मर्जी तक नहीं पूछी जाती थी। फिर एक दौर आया जब लडकियों के लिए घर बसाने से ज्यादा जरूरी उनका आत्मनिर्भर होना बन गया। ऐसे में शादियां देर से होने लगीं, यानी कि 28-30 वर्ष तक की आयु को शादी के लिए परफेक्ट माना जाने लगा। इस उम्र तक दोनों ही पार्टनर्स अपने करियर, सेविंग्स को लेकर बिलकुल निश्चिंत हो चुके होते थे। हालिया दौर की बात करें तो एक बार फिर से मिड-ट्वेंटीज में शादी को तरजीह दी जानेे लगी है, यानी कि 23-25 वर्ष की उम्र को 'आइडियल एज' माना जा रहा है। अर्ली मैरिज: लौटता दौर आज की युवा पीढी बहुत ऐक्टिव है, वह अपनी जिंदगी से जुडे हर पहलू पर अपनी उचित राय रखना जरूरी समझती है। उसे जिंदगी का हर छोटा-बडा फैसला लेने का हक है, इसीलिए अब युवा अपनी शादी के विषय में भी खुल कर राय रख पाते हैं। करियर के प्रति गंभीर यह पीढी रिश्तों की अहमियत को बखूबी समझती है। जहां पहले लोग 26-27 वर्ष की उम्र तक करियर में सेटल हो पाते थे, वहीं अब 22-24 की उम्र में ही उन्हें आकर्षक पैकेजों वाली नौकरी मिल जाती है। ऐसे में उनके पास अपने सपनों और दूसरी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए भरपूर समय होता है। वे करियर में सेटल होते ही अपनी लाइफ को सेट करने में लग जाते हैं और कोर्टशिप पीरियड में एक-दूसरे को भली-भांति समझ भी लेते हैं। मल्टीनेशनल कंपनी में सिविल इंजीनियर के तौर पर कार्यरत तेजस मिड ट्वेंटीज में शादी करने को सही फैसला मानते हैं। वे कहते हैं, '25 वर्ष की उम्र तक शादी करने से आपके पास पार्टनर को समझने का पूरा समय होता है। आप अपने सपनों को साझा कर पूरा कर सकते हो, कुछ साल बिना किसी दबाव के सिर्फ एक-दूसरे को समर्पित कर सकते हो। वैसे भी इस एज में लोग अपोजिट सेक्स के प्रति आकर्षित होने लगते हैं, कई बार युवा भटक भी जाते हैं। ऐसे में शादी करना सही फैसला हो सकता है। जिन लमहों को दोस्तों या किसी और के साथ एंजॉय करने में लगा दिया जाता है, बेहतर रहेगा कि स्टेबल होकर अपने पार्टनर को वह समय दिया जा सके। मेरी शादी को अभी एक साल भी नहीं हुआ है, पार्टनर 23 साल की है। हम दोस्तों की तरह एक-दूसरे को समझ रहे हैं। दोनों जॉब करते हैं, घरेलू कामों में एक-दूसरे की मदद करते हैं और वीकेंड्स पर आउटिंग के लिए निकल जाते हैं। हमारे पास अपने रिश्ते को प्रगाढ बनाने के लिए बहुत समय है।' बदल रहा है नजरिया जिस तरह से अरेंज्ड मैरिज की तरह अब लव मैरिज को समाज में स्वीकृति मिलने लगी है, उसी प्रकार से वैवाहिक संस्था में और भी कई तरह के बदलाव देखे जा रहे हैं। 30 या उससे अधिक उम्र में शादी करने पर दोनों ही पार्टनर्स वेल-सेटल्ड हो चुके होते हैं, उनके जीने का एक तरीका सेट हो चुका होता है, उनके सपने पूरे हो चुके होते हैं या हो रहे होते हैं। ऐसे में कई बार किसी के लिए खुद को बदलना, किसी के साथ एडजस्ट या कॉम्प्रोमाइज करना मुश्किल हो जाता है। वहीं 25-27 वर्ष की उम्र तक शादी करने के कई फायदे होते हैं। - पूरी जिंदगी में ट्वेंटीज वाला दौर सबसे बेफिक्री वाला होता है क्योंकि करियर सेट हो जाने के बाद किसी और चीज के लिए बहुत ज्यादा दबाव नहीं रह जाता है। यह समय एक बार जाने के बाद कभी लौट कर नहीं आ सकता है। - इस उम्र में साथ मिलकर 100 प्रकार के 'फस्ट्र्स' को एंजॉय किया जा सकता है। पहला प्रमोशन, पहली विदेश यात्रा, पहली कार या घर जैसे खास लमहों को मिलकर यादगार बनाया जा सकता है। - जल्दी शादी करने पर तुरंत पैरेंट्स बनने का दबाव कोई नहीं डालता है। ऐसे में शादी के बाद के कुछ सालों को एक-दूसरे को जानने-समझने में बिताया जा सकता है। तब तक व्यक्ति खुद को पारिवारिक जिम्मेदारियां उठाने के काबिल बना सकता है। - इस उम्र में व्यक्ति फिजिकली भी काफी ऐक्टिव होता है इसलिए ट्रेकिंग या पार्टी आदि के शौकीन लोग अपने पार्टनर के साथ इन शौकों को आसानी से पूरा कर सकते हैं। इसके विपरीत उम्र अधिक होने पर कई तरह की शारीरिक व मानसिक समस्याओं से लोग जूझने लगते हैं, जिससे नवविवाहितों में भी बहुत चार्म नजर नहीं आता है। - देर से शादी करने पर बच्चे भी काफी देर से होते हैं। उनकी तुलना में यंग पैरेंट्स अपने बच्चों को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं और उनके साथ दोस्ती का रिश्ता बना लेते हैं। बच्चों के सााथ समय बिताने और खेलने-कूदने से बॉण्डिंग स्ट्रॉन्ग होती है, जिसके लिए दोनों पार्टनर्स का फिजिकली ऐक्टिव होना बहुत जरूरी है। - यंग एज में व्यक्ति ज्यादा एडजस्टिंग होता है। वह किसी भी परिस्थिति में सहजता से खुद को ढाल लेता है। शादी के बाद शहर बदलना हो, जॉब स्विच करनी पडे या नए लोगों के साथ एडजस्ट करना हो, इस उम्र में यह सब कर पाना बहुत मुश्किल नहीं होता है। सेटल हो जाने के बाद किसी के लिए खुद को बदलना या रूटीन में बदलाव लाना कठिन हो जाता है। - 25 की उम्र तक शादी करने से कम उम्र में व्यक्ति जिम्मेदार बन जाता है जो कि उसके करियर में भी नजर आता है। गंभीर व दूरदर्शी निर्णय लेने की क्षमता अपने आप विकसित होने लगती है। उसे पता होता है कि हर परिस्थिति में साथ देने के लिए कोई अपना उसके साथ है। - इस समय व्यक्ति खुद को समझते हुए करियर को समय दे रहा होता है। ऐसे में कई बार वह परिवार से कटने लगता है। शादी या एंगेजमेंट होने के बाद उसका परिवार से जुडाव बढऩे लगता है। मुश्किल नहीं है डगर कुछ लोग शादी के नाम से ही घबराने लगते हैं। किसी के मन में यह डर होता है कि वे नए परिवार में एडजस्ट कैसे करेंगे तो कोई शादी को अपनी आजादी पर पहरा मानने लगता है। वहीं कुछ लोग दूसरों के कटु अनुभवों से डर जाते हैं जबकि शादी सिर्फ दो लोगों के बीच नहीं, बल्कि दो परिवारों के बीच होती है। वे हर वक्त अपने बच्चों का साथ देने के लिए साथ खडे रहते हैं। इस संबंध में 26 वर्षीय रूपाली अपना अनुभव बताती हैं, 'मेरी शादी को लगभग डेढ साल हो चुका है। शुरुआत में एडजस्ट करने में बहुत परेशानी होती थी। मेरी नई जॉब थी और पति ने मेरे कारण ट्रांस्फर लिया था। दोनों अपने फ्रेंड सर्कल्स में मशगूल रहते थे। कुछ दिनों के लिए मेरे सास-ससुर हमारे साथ रहने आए। उनके साथ वक्त बिताते-बिताते हम कब करीब आ गए, पता ही नहीं चला।' रिश्ते की शुरुआत अगर दोस्ती के साथ की जाए तो मुश्किल कभी आ ही नहीं सकती है, एडजस्टमेंट या कॉम्प्रोमाइज जैसी बातें तब कोई मायने नहीं रखती हैं। समस्या तब होती है, जब हम उसे ढूंढने लगते हैं वर्ना हलकी-फुल्की नोक-झोंक तो रिश्ते में प्यार को बढाने का काम करती है। दीपाली पोरवाल प्री वेडिंग काउंसलर अनुपमा जैन से बातचीत पर आधारित

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