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कई बीमारियों का इलाज स्टेम सेल्स

चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सेल बैंकिंग एक विशेष विकल्प है। आंकड़ों के अनुसार इसके जरिये 80 बीमारियों का इलाज संभव है। भारत में भी यह पद्धति तेजी से पैर पसार रही है। इससे जुड़ी सावधानियों और इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी दे रही है सखी।

By Edited By: Published: Thu, 02 Apr 2015 11:21 AM (IST)Updated: Thu, 02 Apr 2015 11:21 AM (IST)
कई बीमारियों का इलाज स्टेम सेल्स

चिकित्सा के क्षेत्र में स्टेम सेल बैंकिंग एक विशेष विकल्प है। आंकडों के अनुसार इसके जरिये 80 बीमारियों का इलाज संभव है। भारत में भी यह पद्धति तेजी से पैर पसार रही है। इससे जुडी सावधानियों और इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी दे रही है सखी।

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अपने बच्चे का भविष्य सुरक्षित करने की चाहत हर अभिभावक के मन में होती है। चाहे वह आर्थिक सुरक्षा हो या स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा। स्टेम सेल बैंकिंग भी बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी सुरक्षा मुहैया कराने की दिशा में किया गया एक प्रयास है। स्टेम सेल्स शरीर की वे कोशिकाएं होती हैं जो विभाजित होकर अन्य प्रकार की कोशिकाओं का निर्माण करती हैं। स्टेम सेल बैंकिंग के तहत इन कोशिकाओं को विशेष स्थितियों में (बेहद कम तापमान पर लिक्विड नाइट्रोजन के वेपर फेस के साथ) संरक्षित किया जाता है। भविष्य में कुछ विशेष स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने पर ये सेल्स उपचार के काम आते हैं। यह पद्धति बच्चे के लिए एक सिक्योरिटी ब्लैंकेट की तरह है।

कॉर्ड ब्लड सेल्स की भूमिका

आंकडों के अनुसार स्टेम कोशिकाओं की मदद से 80 बीमारियों का इलाज हो सकता है। इनमें मुख्य तौर पर विभिन्न प्रकार के पीडियट्रिक कैंसर, एप्लास्टिक एनीमिया, टाइप वन (जुवेनाइल) डायबिटीज, पीडियट्रिक ब्रेन इंजरी, ल्यूकीमिया और लिंफोमा जैसे कुछ विशेष कैंसर, मेटाबॉलिज्म संबंधी समस्याएं, थैलेसीमिया मेजर जैसे ब्लड डिसऑर्डर्स आदि शामिल हैं। अगर किसी के परिवार में इन बीमारियों का इतिहास रहा है तो उसे अपने परिवार में पैदा होने वाले नवजात शिशु के कॉर्ड ब्लड सेल्स (गर्भनाल रक्त कोशिकाओं)का संरक्षण जरूर करवाना चाहिए।

पब्लिक व प्राइवेट बैंकिंग

स्टेम सेल बैंकिंग दो प्रकार की होती है- पब्लिक व प्राइवेट। पब्लिक स्टेम सेल बैंकिंग के तहत अभिभावक स्वेच्छा से अपने शिशु की गर्भनाल रक्त कोशिकाएं बैंक को डोनेट करते हैं। इनकी मदद से किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति का इलाज किया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर प्राइवेट स्टेम सेल बैंकिंग के तहत जिस शिशु की गर्भनाल रक्त कोशिकाएं स्टोर की जाती हैं, उसके या उसके परिवार के किसी सदस्य के इलाज के लिए उन सेल्स का इस्तेमाल किया जाता है। भारत में एम्स जैसे कुछ विशेष मेडिकल संस्थानों में पब्लिक स्टेम सेल बैंक हैं। वहीं प्राइवेट स्टेम सेल बैंकिंग की सुविधा कई जगह उपलब्ध है।

कौन करवा सकता है

सभी अभिभावक अपने बच्चों को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए स्टेम सेल बैंकिंग का विकल्प अपना सकते हैं। वयस्कों के स्टेम सेल्स को भी संरक्षित किया जा सकता है लेकिन वे उतने उपयोगी नहीं होते जितने एक नवजात शिशु के जन्म के समय एकत्रित कॉर्ड ब्लड स्टेम सेल्स। इन सेल्स में जरूरत के हिसाब से बदलाव किया जा सकता है, जबकि वयस्कों के स्टेम सेल्स में कुछ खास बदलाव करने की संभावना नहीं होती।

सतर्कता से करें चयन

- स्टेम सेल बैंक का बैकग्राउंड और उसकी विश्वसनीयता को जरूर परखें।

- बढा-चढाकर बातें करने वाले बैंकों पर विश्वास न करें। ऐसे मामलों में भ्रमित होने की गुंजाइश रहती है।

- स्टेम सेल बैंक की आर्थिक स्थिरता के बारे में भी पडताल करनी चाहिए।

- तकनीकी रूप से प्रशिक्षित स्टेम सेल बैंक का ही चयन करें।

(कॉर्डलाइफ साइंसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर डॉ. प्रशांतो चौधरी और एशियन हॉस्पिटल, फरीदाबाद की स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. पूजा ठुकराल से प्राप्त इनपुट्स के आधार पर)


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