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पीठ की सेहत रहे ठीक

वयस्कों-बुज़्ाुर्गों से लेकर आजकल टीनएजर्स को भी घेरने लगा है पीठ का दर्द। रीढ़ की हड्डी पर पूरे शरीर का भार होता है। स्पाइन की सेहत ठीक रखने के लिए सही पोस्चर, खानपान और व्यायाम ज़्ारूरी है। ऊह, आह, आउच...जैसे शब्द सुनने में भले ही सुरीले लगें, मगर कमर या

By Edited By: Published: Fri, 31 Jul 2015 04:17 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2015 04:17 PM (IST)
पीठ की सेहत रहे ठीक

वयस्कों-बुज्ाुर्गों से लेकर आजकल टीनएजर्स को भी घेरने लगा है पीठ का दर्द। रीढ की हड्डी पर पूरे शरीर का भार होता है। स्पाइन की सेहत ठीक रखने के लिए सही पोस्चर, खानपान और व्यायाम ज्ारूरी है।

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ऊह, आह, आउच...जैसे शब्द सुनने में भले ही सुरीले लगें, मगर कमर या पीठ का दर्द बेसुरे राग की तरह होता है। स्पाइन या रीढ की हड्डी पर पूरे शरीर का भार होता है, इसलिए इसमें किसी भी समस्या का अर्थ है- पूरे शरीर का बेसहारा हो जाना। यह शरीर को ही परेशान नहीं करता, दिमाग्ा को भी प्रभावित करता है।

यूएस में हुए एक शोध के मुताबिक दुनिया में हर 10 में से लगभग एक व्यक्ति पीठ दर्द, ख्ाासतौर से लोअर बैक पेन से जूझता है। रिसर्च तो यहां तक कहती है कि शारीरिक अक्षमता जैसी स्थितियां पैदा करने में भी लोअर बैक पेन अव्वल है। यह शोध वर्ष 2010 में आए ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज्ाीज्ा के आंकडों पर आधारित है।

रीढ पर पडता दबाव

जब रीढ या स्पाइन सही अवस्था में नहीं रहती तो पीठ की मांसपेशियां, लिगमेंट्स और डिस्क पर अतिरिक्त दबाव पडता है। मज्ाबूत मांसपेशियां रीढ को उचित सीध में रखती हैं और पीठ दर्द से बचाती हैं। ये रीढ को सामान्य लचक से अधिक मुडऩे से भी रोकती हैं। रीढ के किसी भी हिस्से पर दबाव पडऩे से पीठ में दर्द हो सकता है। यह दर्द गर्दन से लेकर कमर के निचले हिस्से तक हो सकता है। ख्ाासतौर पर यह समस्या लोअर बैक में ज्य़ादा होती है। रीढ का ढांचा नाडिय़ों और रक्त नलिकाओं के जाल से मिल कर बनता है। स्लिप डिस्क की समस्या में इसके आसपास वाले हिस्से में नसों व मांसपेशियों पर अधिक दबाव पड सकता है।

लाइफस्टाइल में छिपे कारण

दर्द के कई कारण हो सकते हैं। ख्ाराब व निष्क्रिय जीवनशैली, उठने-बैठने का ग्ालत पोस्चर, चिकित्सीय कारण, उम्र बढऩा और आनुवंशिक कारण।

आजकल पीठ या कमर दर्द के अलावा स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं बहुत देखने को मिल रही हैं। टीनएजर्स में भी ऐसे कई मामले देखे गए हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि कार्यस्थल में एक ही अवस्था में ग्ालत पोस्चर में ज्य़ादा समय तक बैठने से पीठ, कमर या गर्दन के दर्द से जूझना पड सकता है। ग्ालत कुर्सी, टाइपिंग की ग्ालत टेक्नीक, मॉनिटर की पॉज्िाशन ठीक न होने, ठीक ढंग से खडे न होने या बैठने से भी पीठ का दर्द हो सकता है। पीठ के अलावा यह दर्द जोडों, कंधों, गर्दन या अंंगुलियों में भी हो सकता है। यानी ख्ाराब पोस्चर कई ऑर्थोपेडिक समस्याओं को जन्म देता है। पीठ को लगातार एक ही अवस्था में रखने से उस पर अधिक दबाव पडता है, जिससे स्लिप डिस्क जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो समय पर ध्यान न दिए जाने के कारण गंभीर रूप धारण कर सकती हैं।

आज की जीवनशैली में शारीरिक कार्य कम होते जा रहे हैं। घरेलू कार्यों के लिए मशीनें हैं और दफ्तरों में कंप्यूटर और कुर्सी। इसके अलावा व्यायाम न करने की आदत से भी पीठ के साथ-साथ मांसपेशियां कमज्ाोर हो जाती हैं। शारीरिक श्रम न करने, लगातार एक ही मुद्रा में लंबे समय तक बैठे रहने से कई समस्याएं हो सकती हैं। जोडों और शरीर के लिए लचक ज्ारूरी है, जो व्यायाम और शारीरिक श्रम से ही आती है।

कई बार एकाएक भारी वज्ान उठाने या खींचने से भी रीढ के किसी हिस्से पर दबाव पडता है और इससे स्लिप डिस्क जैसी समस्या हो सकती है।

संक्षेप में पीठ का दर्द गिरने, फिसलने, भारी वज्ान उठाने, उम्र बढऩे, दुर्घटना में चोट लगने के अलावा आनुवंशिक कारणों से हो सकता है।

दर्द की डेडलाइन

हर दर्द की एक मियाद होती है। डॉक्टर्स का मानना है कि गंभीर पीठ दर्द भी 4 से 12 हफ्ते में ठीक हो सकता है। लोअर बैक पेन अधिक गंभीर होता है और यह कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकता है। अगर तेज्ा दर्द हो तो बिस्तर पर सीधे लेटें और दो-तीन दिन आराम करें। दर्द ज्य़ादा होने पर डॉक्टर की सलाह पर पेनकिलर्स ले सकते हैं। स्त्रियों-पुरुषों को समान रूप से यह दर्द हो सकता है। यह कभी-कभी, अचानक, तेज्ा, हलका या लगातार हो सकता है। क्रॉनिक पेन 12 हफ्ते या इससे अधिक समय तक रह सकता है।

कुछ मामलों में दवाओं, आराम करने और िफज्िायोथेरेपी से दर्द ठीक हो जाता है तो कुछ में मेडिकल या सर्जिकल ट्रीटमेंट के बावजूद दर्द बना रहता है। यह दर्द कुछ समय तक रहता है, फिर ट्रीटमेंट से ठीक हो जाता है, मगर कुछ ही समय या एकाध वर्ष बाद यह फिर उभर जाता है और गंभीर हो जाता है।

न बढाएं दर्द

1. रीढ और गर्दन को सीधा रखें। लगातार झुक कर काम करने से दर्द हो सकता है।

2. की-बोर्ड या टाइपराइटर पर काम करते हों तो कलाइयां सीधी रखें। कलाइयां मुडऩे से नसों में रक्त-संचार धीमा हो सकता है और उस पर दबाव पडऩे लगता है। कुहनी लगभग 60 डिग्री पर मोड कर रखें।

3. कुर्सी का डिज्ााइन भी दर्द की वजह बन सकता है। कुर्सी कार्य के अनुरूप होनी चाहिए। यानी पीठ वाला हिस्सा कंधे के स्तर से थोडा ऊपर हो, कुर्सी में हाइट बढाने-घटाने की व्यवस्था हो और इसमें हत्थे हों। ख्ाराब कुर्सी में बैठने से शरीर की पॉज्िाशन भी ख्ाराब हो जाती है।

4. कुर्सी की ऊंचाई इतनी रखें कि पैर फर्श पर आसानी से टिकें। घुटनों को 90 डिग्री तक मोड कर रखें।

5. हर दो घंटे में 5-10 मिनट का ब्रेक लें। एक ही अवस्था में ज्य़ादा देर तक बैठने से पीठ, गर्दन व अंगुलियों पर अधिक दबाव पडता है। इससे बचने के लिए वॉशरूम जाएं, कॉरीडोर या छत पर थोडी-थोडी देर वॉक करें।

6. बीच-बीच में अंंगुलियों व कलाइयों की एक्सरसाइज्ा करते रहें।

7. छह-सात घंटे लगातार डेस्क जॉब के बीच कम से कम दो बार खडे होकर बांहें फैलाएं और उन्हें आगे-पीछे करते रहें, ताकि एक ही अवस्था में बैठे रहने से कंधे में होने वाली अकडऩ से बच सकें।

8. टाइप करते समय फोन को कान से सटा कर गर्दन एक ओर झुका कर बात करने से बचें। इससे गर्दन व कमर में दर्द हो सकता है। बेहतर हो कि टाइपिंग छोड कर पहले फोन ही सुन लें।

9. ओवरवेट हैं तो वज्ान कम करने की कोशिश करें।

10. नियमित व्यायाम करें। दर्द के लिए िफज्िायोथेरेपी करा रहे हों तो डॉक्टर की हर सलाह मानें। पीठ दर्द में वॉकिंग सबसे अच्छी एक्सरसाइज्ा है। दर्द या स्लिप डिस्क जैसी स्थिति में भारी चीज्ों उठाने, आगे झुकने या झटके से उठने-बैठने से बचें।

कुछ अजीब कारण

कई बार यूं ही सुबह उठने पर एकाएक पीठ में दर्द का एहसास होता है। न चोट, न कोई रोग, मगर कमर, गर्दन या पीठ में तेज्ा दर्द 2-3 दिन बिस्तर से उठने नहीं देता। दरअसल हमारी जीवनशैली में कुछ ऐसी वजहें छिपी हैं, जो जाने-अनजाने पीठ दर्द का रूप धारण कर लेती हैं। आधुनिक जीवनशैली में 70-80 प्रतिशत लोग कभी न कभी पीठ दर्द से जूझते हैं।

1. अचानक छींक आए, जिसमें आप संतुलन न बिठा सकेें। यह ज्ाोर की छींक पूरे शरीर को हिला देती है। इससे भी स्लिप डिस्क जैसी समस्या हो सकती है। डॉक्टर्स का मानना है कि जब भी छींक आए, पीठ व कमर सीधी रखें, संभव हो तो अपना एक हाथ कमर पर रखें, इससे रीढ पर दबाव कम होगा।

2. एक ही अवस्था में लगातार कई घंटे बैठे रहना भी पीठ दर्द की बडी वजह है। की-बोर्ड या माउस पर एक ही पॉज्िाशन में बार-बार काम करने से पीठ में दर्द हो सकता है। सिलाई मशीन पर एक ही स्थिति में कई घंटे बैठे रहने वाले लोगों को भी दर्द घेर सकता है। एक्सपट्र्स का मानना है कि डेस्क जॉब करने वालों को हर आधे-एक घंटे में 5-10 मिनट वॉक या स्ट्रेचिंग करनी चाहिए।

3. ऊंचा तकिया रख कर सोना, तकिये को फोल्ड करके सोना या ग्ालत मुद्रा में सोना भी पीठ दर्द का कारण हो सकता है। हड्डी रोग विशेषज्ञ और िफज्िायोथेरेपिस्ट का कहना है कि पीठ के बल सीधे लेटें या करवट लेकर एक तरफ सोएं। करवट लेकर सोने वालों को सलाह है कि पैरों के बीच एक तकिया रख कर सोएं। बिस्तर बहुत सॉफ्ट न हों। हार्ड बिस्तर पर सोना पीठ के लिए ठीक होता है।

4. स्त्रियां अकसर बडे शॉपिंग बैग्स का इस्तेमाल करती हैं। इन्हें लगातार देर तक कंधे पर टांगना भी पीठ, गर्दन या कमर दर्द की वजह बन सकता है। लैपटॉप बैग भी दर्द की वजह बन सकते हैं। शॉपिंग के लिए ट्रॉली बैग्स का इस्तेमाल करें। ज्य़ादा सामान के लिए होम डिलिवरी सुविधा का उपयोग करें।

5. ज्य़ादातर स्त्रियां सोचती हैं कि वे तो घरेलू काम करती हैं, इसलिए उन्हें एक्सरसाइज्ा या वॉक की ज्ारूरत नहीं है। घरेलू कार्य स्वयं करने के बावजूद वर्कआउट, व्यायाम व योग का अलग महत्व है। एक ही काम रोज्ा करने से शरीर उसका अभ्यस्त हो जाता है और उससे पूरा लाभ नहीं मिलता। इसलिए व्यायाम या काम में परिवर्तन करते रहना ज्ारूरी है।

इंदिरा राठौर

(इनपुट्स : डॉ. राजीव के. शर्मा, सीनियर कंसल्टेंट, ऑर्थोपेडिक एंड जॉइंट रिप्लेसमेंट सर्जन, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स, दिल्ली


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