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सुंदरता यहां है

सुंदरता क्या है? इसे लेकर लंबी-लंबी परिभाषाएं और व्याख्याएं दी

By Edited By: Published: Fri, 14 Oct 2016 12:29 PM (IST)Updated: Fri, 14 Oct 2016 12:29 PM (IST)
सुंदरता यहां है
सुंदरता क्या है? इसे लेकर लंबी-लंबी परिभाषाएं और व्याख्याएं दी जा सकती हैं। अगर कोई अपने भीतर खुश और शांत है, उसे अपने जीवन का मकसद पता है और वह निरंतर स्वयं को बेहतर बनाने की कोशिश करता है तो वह सुंदर है। चेहरा सिर्फ एक आवरण है, जिसके भीतर एक सुंदर आत्मा छिपी है। मैं दीदी जितनी सुंदर क्यों नहीं हूं? मैं सांवली और दुबली हूं, मेरे बाल भी दीदी जैसे लंबे नहीं...। सारे लोग दीदी की तारीफ करते हैं। क्या मैं इतनी बुरी हूं? मां, प्लीज मुझे पार्लर ले चलो, सुंदर बना दो न...। ऐसा पहली बार नहीं है, जब 12 साल की निकिता मां से ये बातें कह रही है। वह पढाई और स्पोट्र्स में अच्छी है, अनुशासित है लेकिन अपनी दीदी की तुलना में खुद को कम सुंदर मानती है। उसके मन में उठने वाले सवाल दरअसल समाज की उस मानसिकता के कारण हैं जहां सुंदर होना चेहरे से आंका जाता है। दर्पण देखो बार-बार यह छोटी सी कहानी निकिता और उसकी तरह सोचने वाली अन्य लडकियों के लिए प्रेरक है। महान दार्शनिक सुकरात सुंदरता के पैमानों पर खरे नहीं उतरते थे लेकिन उन्हें आईना देखने का शौक था। कहा जाता है कि वह अपने पास हमेशा दर्पण रखते थे। एक दिन किसी दोस्त ने पूछा, 'आप इतनी बार आईना क्यों देखते हैं?' सुकरात ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, 'मैं अपने कार्यों द्वारा याद रखा जाना चाहता हूं, चेहरे से नहीं। इसलिए बार-बार आईना देखता हूं, ताकि अच्छे कार्य कर सकूं और खुद को याद दिला सकूं कि इस चेहरे का प्रतिकार मुझे अपने सद्कर्मों से करना है।' फिर उन्होंने दोस्त से कहा, 'मैं सुंदर लोगों को भी यही सलाह देना चाहता हूं कि वे बार-बार आईना देखें ताकि सीख सकें कि ईश्वर ने उन्हें जो सौंदर्य दिया है, कहीं वे उसे बुरे कार्यों से दूषित न कर दें।' कार्यों से मिलती सुंदरता 'अष्टावक्र गीता' जैसा ग्रंथ लिखने वाले अष्टावक्र का शरीर आठ जगह से टेढा था। इसीलिए उन्हें यह नाम दिया गया लेकिन वे इतने विद्वान थे कि शास्त्रार्थ में उनसे कोई जीत नहीं सकता था। कम उम्र में ही उन्होंने सारे पुराणों और ग्रंथों का अध्ययन कर लिया था। ऐसे कई उदाहरण बताते हैं कि सुंदरता जितनी चेहरे पर होती है, उससे कहीं ज्य़ादा वह व्यक्ति के कार्यों में छिपी होती है। सबसे अच्छा मेकअप आत्मविश्वास, स्वाभिमान, प्रसन्नता, ज्ञान और सद्कार्य जैसे मेकअप प्रसाधनों से कोई भी सुंदर दिख सकता है। बाहरी सुंदरता एक दिन खो जाती है पर भीतरी सौंदर्य सदा बना रहता है, इस पर उम्र का प्रभाव नहीं पडता। सुंदरता वह नहीं, जिसे आईने में देखा जाता है, बल्कि वह है, जिसे महसूस किया जाता है। कई बार सामान्य चेहरे भी खास दिखते हैं क्योंकि उनमें कोई न कोई गुण ऐसा होता है, जो उन्हें दूसरों से अलग करता है। मुझमें है कुछ खास संसार के सारे प्राणी एक-दूसरे से भिन्न हैं। हर किसी में कोई विशेष गुण है। जरूरत है, उसे पहचानने और उभारने की। जब कभी ऐसा लगे कि सुंदरता की परिभाषा में फिट नहीं हैं तो खुद से कुछ बातें कहें- मैं मजबूत हूं क्योंकि मुझे अपनी कमजोरी पता है। मैं सुंदर हूं क्योंकि मुझे अपनी क्षमताओं के बारे में पता है। मुझे कोई भय नहीं क्योंकि वास्तविकता और भ्रम के फर्क को समझना मुझे आता है। मैं बुद्धिमान हूं क्योंकि गलतियों से सीखने की कोशिश करता/करती हूं। मेरे भीतर प्यार और दया है क्योंकि मैंने जीवन में घृणा को महसूस किया है। मुझे हंसना आता है क्योंकि मुझे उदासी का सबब मालूम है। मेरे भीतर आत्मसम्मान है क्योंकि दूसरों का सम्मान करना मुझे आता है। मेरे भीतर बच्चे सा उत्साह और मासूमियत है क्योंकि मैं निरंतर सीखने को तैयार हूं। ये बातें खुद को समझने में मदद देती हैं। खुद को समझने का अर्थ है- जीवन को समझना। जिस दिन अपने भीतर इस गुण को विकसित कर लेंगे, जीवन से हमारी शिकायतें भी दूर हो जाएंगी। इंदिरा

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