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अजब-गजब खरीदार

त्योहारों का मौसम आते ही शुरू हो जाता है शॉपिंग का अनवरत सिलसिला। खरीदारी के दौरान आपको तरह-तरह के लोग नजर आते होंगे। आइए मिलते हैं कुछ ऐसे ही अजब-गजब खरीदारों से, जिनसे शायद आप पहले भी मिल चुके होंगे।

By Edited By: Published: Mon, 03 Nov 2014 11:29 AM (IST)Updated: Mon, 03 Nov 2014 11:29 AM (IST)
अजब-गजब खरीदार

मोल-भाव में माहिर

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हर व्यक्ति इन्हें अपने साथ शॉपिंग के लिए ले जाना चाहता है। बार्गेनिंग की गुंजाइश वाली दुकानें इनका मनपसंद ठिकाना होती हैं। ये इतने आशावादी होते हैं कि फिक्स्ड प्राइस वाली दुकानों में भी बार्गेनिंग का चांस लेने से नहीं चूकते। दुकानदार द्वारा बताई गई कीमत को आधी करके बोलना इनका उसूल होता है। दुकानदार इन्हें पहली नजर में पहचान लेते हैं और कई गुना बढाकर कीमत बताते हैं।

सखी की राय : आप मोल-भाव में माहिर हैं। यह अच्छी बात है, लेकिन जो चीजें आपकी सेहत से जुडी हों उन्हें हमेशा किसी अच्छी जगह से ही खरीदें और पैसों की खातिर क्वॉलिटी से समझौता न करें।

ऑलवेज कन्फ्यूज्ड

शॉपिंग के लिए इन्हें हमेशा किसी मददगार जरूरत पडती है। इन्हें हमेशा यही डर सताता रहता है कि अगर मैं अकेले गया/ गई तो दुकानदार मुझे ठग लेगा। शॉपिंग के लिए इन्हें अकसर अपने दोस्तों की खुशामद करनी पडती है। जब सेल्समैन इनकी पसंद के मुताबिक तीन-चार डिजाइंस वाले आउटफिट्स अलग करके रख देता है तो ये बारी-बारी से सबका ट्रायल लेंगे, पर उनमें से कोई भी इन्हें पसंद नहीं आएगा। दोस्त के साथ दस दुकानों का चक्कर लगाने के बाद ये दोबारा उसी दुकान पर वापस जाकर वही सामान खरीदते हैं, जिसे पहली बार रिजेक्ट किया था। इस श्रेणी में कुछ ऐसी लडकियां भी शामिल हैं, जो व्हाट्स ऐप की मदद के बिना शॉपिंग नहीं कर पातीं। वे दुकान में पसंद आने वाली हर ड्रेस की फोटो खींच कर पहले अपनी सहेलियों को मेसेज करती हैं और उनका जवाब आने के बाद ही सामान खरीदने का निर्णय लेती हैं।

सखी की राय : बाजार जाने से पहले घर पर ही अच्छी तरह सोच-विचार कर लें कि आपको क्या खरीदना है और उस सामान के लिए आप कितना खर्च कर सकते हैं। इससे आपका वक्त बर्बाद नहीं होगा।

मैडम मीन-मेख

खरीदारों की इस श्रेणी में स्त्रियों की तादाद ज्यादा होती है। इन्हें जल्दी कोई सामान पसंद नहीं आता। एक मामूली सी चीज के लिए दुकानदार से सौ सवाल पूछ डालती हैं। फिर दूसरी मार्केट का हवाला देते हुए कहेंगी कि वहां तो यही ड्रेस इससे सस्ती और ज्यादा अच्छे डिजाइन में मिलती है। तंग आकर दुकानदार हाथ जोड लेता है, जहां मिलती है, वहीं से ले लो न। ये दुकानदार की ऐसी बातों का जरा भी बुरा नहीं मानतीं। चाहे इन्हें अपना पूरा दिन ही क्यों न खर्च करना पडे, लेकिन अपनी मनपसंद चीज लेकर ही घर लौटती हैं। ऐसी स्त्रियां ज्यादातर अपनी सहेलियों के साथ शॉपिंग करना पसंद करती है क्योंकि पति इनके साथ जाते हुए घबराते हैं।

सखी की राय : ज्यादा भाग-दौड से बचने के लिए पहले लोगों से बात करके पूरी छानबीन कर लें कि अच्छी क्वॉलिटी और वाजिब कीमत में कौन सा सामान किस मार्केट में मिलता है।

अति जागरूक

जागो ग्राहक, जागो! यही नारा है ऐसे लोगों का। ये हर चीज ठोक-बजा कर खरीदने में यकीन रखते हैं। फ्रिज, टीवी और वॉश्िाग मशीन जैसी बडी चीजें खरीदने के महीनों पहले से ये मार्केट रिसर्च करते हैं और प्रोडक्ट्स के गहन तुलनात्मक अध्ययन के बाद ही खरीदारी का निर्णय लेते हैं। अगर सामान पसंद न आए या घर ले जाते ही कोई मामूली सा भी नुक्स नजर आए तो उसे लौटाने में जरा भी आलस नहीं करते। सामान खरीदने से पहले पैकेट पर लिखी एक्सपायरी डेट और चीजों की एमआरपी जरूर चेक करते हैं। अगर दुकानदार एमआरपी से एक रुपया भी ज्यादा वसूलने की कोशिश करता है तो उसे फटकार लगाने से नहीं चूकते। वारंटी कार्ड और सभी बिल संभालकर रखते हैं। इन्हें इस बात की पूरी जानकारी होती है कि किस कंपनी का कौन सा प्रोडक्ट सबसे अच्छा, सस्ता और टिकाऊ होता है। ऐसे लोग दुकानदार को हमेशा शक की निगाहों से देखते हैं और छोटी-छोटी बातों पर उपभोक्ता अदालत में जाने की धमकी देते हैं।

सखी की राय : आपकी जागरूकता सराहनीय है। अपना यह ज्ञान आसपास के लोगों के साथ भी बांटें, लेकिन दुकानदार पर बेवजह शक करना ठीक नहीं। यह न भूलें कि आखिर वह भी मुनाफे के लिए ही काम करता है।

मि. उधारी लाल

बैंकों ने ऐसे ही लोगों के लिए क्रेडिट कार्ड बनाया है। इन्हें क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल के बदले मिलने वाले प्वाइंट्स का इतना लोभ होता है कि ये सारी शॉपिंग उसी से करते हैं। जब बिल चुकाने की बारी आती है तो दोस्तों से गुजारिश करते फिरते हैं, एक सप्ताह के लिए मेरे अकाउंट में पांच हजार रुपये ट्रांस्फर कर दो। इमर्जेसी है प्लीज।

सखी की राय : प्वाइंट्स के लालच में क्रेडिट कार्ड का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल न करें। शॉपिंग के लिए डेबिट कार्ड बेहतर विकल्प है।

टाइमपास शॉपर

जिनके पास ढेर सारा खाली वक्त होता है और सामान खरीदने की कोई खास जरूरत नहीं होती वे अकसर ऐसी शॉपिंग करना पसंद करते हैं। गर्मियों के मौसम में शॉपिंग मॉल इनका मनपसंद ठिकाना होता है और सर्दियों में दिन के वक्त ये लोकल मार्केट का रुख कर लेते हैं। दुकानदारों से चीजों का मोल-भाव करते हुए इनका अच्छा टाइप पास हो जाता है। कुछ लोगों को घर से बाहर निकलने का मन नहीं होता तो ऐसे लोग लैपटॉप की स्क्रीन पर ही शॉपिंग की सारी वेबसाइट्स खंगालते रहते हैं और इन्हें हर प्रोडक्ट के बारे में बहुत अच्छी जानकारी होती है। बुजुर्ग खरीदारों की मनपसंद जगह होती है- मुहल्ले की मोबाइल रिचार्ज शॉप। जहां वे हर नेटवर्क की अलग-अलग स्कीम्स के बारे में दुकानदार से घंटों पूछताछ करते हैं। दुकानदार को जब उनकी असली मंशा का अंदाजा हो जाता है तो वह अपने काउंटर के साथ लगी लिस्ट की ओर इशारा कर देता है, अंकल जी, देख लीजिए यहां सारी स्कीम्स की डिटेल लगी हुई है।

सखी की राय : अगर यह आपकी हॉबी है तो इसमें कोई बुराई नहीं, लेकिन ऐसा करते हुए दूसरों के वक्त की कीमत का भी ध्यान रखना चाहिए।

सेल के शौकीन

कुछ लोगों को सेल के सीजन का सारा अपडेट मालूम होता है। ये अपने ऊनी कपडे हमेशा मार्च-अप्रैल की ऑफ सीजन सेल में खरीदते हैं। यहां तक कि ऑनलाइन सेल के लिए ये सुबह सात बजे से उठकर कंप्यूटर स्क्रीन पर टकटकी लगाए रहते हैं। अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के लिए बर्थडे गिफ्ट ये पूरे साल में एक ही बार सेल से खरीद कर रख लेते हैं। शहर में लगने वाली हर सेल का फायदा उठाने के चक्कर में ये अनावश्यक चीजें भी खरीद लाते हैं। वैसे, स्त्रियों में यह लत ज्यादा देखने को मिलती है।

सखी की राय : किफायत से खर्च करना फायदेमंद होता है, पर हमेशा नहीं। ज्यादा पैसे बचाने के चक्कर में कई बार फायदे के बजाय नुकसान हो जाता है। इसलिए अपनी जरूरतों के बारे में सोच-विचार करने के बाद ही सेल से खरीदारी करें।

आलेख : विनीता

इलस्ट्रेशन : श्याम जगोता


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