Move to Jagran APP

बेटियां हैं स्पेशल

बेटियां बहुत प्यारी होती हैं। उनकी हंसी से घर गुलजार हो उठता है, बोलती हैं तो जैसे फूलों की बरसात होती है। वे चिडि़यों की तरह घर भर में फुदकती हैं और माहौल को खुशगवार बना देती हैं। वह घर बहुत भाग्यशाली है, जहां बेटी जन्म लेती है।

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 04:27 PM (IST)
बेटियां हैं स्पेशल

जिसकी मीठी बातें दिल को गुदगुदाती हैं, उसकी खिल-खिलाहट घर में रोशनी बिखेर देती है, वह खिलती है तो घर में फूलों की महक बस जाती है, रूठ जाती है तो भरे बादलों सी बरसने को तैयार हो जाती है, उसके होने से घर भरा-भरा लगता है, जाने से हर कोना मानो शिकायतें करने लगता है..। घर ही नहीं संवारती, माता-पिता के मन को भी संवारती है बेटी। इसीलिए तो वह ऊर्जा का स्रोत है। वह आती है इंद्रधनुष सी और जीवन के आसमान पर खुशनुमा रंग बिखेर देती है। बेटी है तो जीवन है, जिंदादिली है।

loksabha election banner

हर बात शेयर करती है बेटी

विशाल निगम, मास्टर शेफ, रेडिसन ब्ल्यू गाजियाबाद

मेरी बेटी आस्था 11 साल की है। अभी पांचवी कक्षा में पढती है। एक बेटा भी है, लेकिन मेरा मानना है कि बेटे की तुलना में बेटी माता-पिता के ज्यादा नजदीक होती है। खासतौर पर पिता के दिल में तो खास जगह होती है बेटी की। आस्था के जन्म के बाद मेरे विचारों और सोच में ही नहीं, मेरी प्रोफेशनल लाइफ में भी बहुत बदलाव आया। वह मेरे लिए बहुत भाग्यशाली रही है। उसके होने के बाद मैं ज्यादा जिम्मेदार पिता बना। बहुत बोलती है मेरी बेटी। घर पर होती है तो पूरा घर चहकता रहता है। उसके साथ कोई बोर नहीं हो सकता। मेरे साथ तो वह हर बात शेयर करती है। स्कूल के पूरे दिन का हाल मुझे फोन पर बताती है। पढाई-लिखाई की बातें वह ज्यादातर मां से करती है, क्योंकि मेरा वक्त घर के बाहर ज्यादा बीतता है। लेकिन अच्छे मा‌र्क्स मिलें, स्पो‌र्ट्स में अच्छा करे, टीचर्स स्टार दें तो वह तुरंत मुझे फोन करके बताती है। दोस्तों से झगडा हो तो भी मुझे ही सबसे पहले बताती है। उसे साइंस में दिलचस्पी है और बडी होकर वह डॉक्टर बनना चाहती है। पेरेंट्स के रूप में हम चाहते हैं कि उसके सपनों को पूरा करने के लिए पूरा माहौल दें। आज के जमाने में पेरेंटिंग में बहुत बदलाव आया है। अब बेटा-बेटी का भेद बहुत कम हो गया है। खासतौर पर महानगरों में तो शिक्षित माता-पिता बेटी को पूरा मौका दे रहे हैं। बेटियां माता-पिता के बारे में बहुत सोचती हैं। उन्हें अपने रिश्ते मेंटेन करना अच्छी तरह आता है। शादी के बाद वे अपने घर-परिवार के साथ-साथ माता-पिता की जिम्मेदारियां भी उठाने से पीछे नहीं हटतीं। पेरेंट्स को कोई भी कष्ट हो, बेटी ही सबसे पहले हालचाल लेती है। मेरी बेटी को मेरी बहुत फिक्र रहती है। बहुत ही प्यारा रिश्ता होता है पिता और बेटी का।

पहले दूर-दूर रहती थी अब दोस्त बन गई है बेटी - सलिल भट्ट, संगीतकार, जयपुर

मेरी बेटी सत्कृति 12 साल की है। सातवीं में पढती है। बेटा सात्विक पैदा हुआ था तो मुझे बहुत खुशी हुई थी, क्योंकि वह पहला बच्चा था। लेकिन बेटी का जन्म अलौकिक सा एहसास था। मैंने अपने बच्चों के नाम शिव के नामों पर रखे हैं- सात्विक और सत्कृति। मुझे उसके जन्म से जुडी कई बातें याद हैं। मेरी पत्नी प्रीति लेबर रूम में थीं और मैं चार साल के बेटे सात्विक के साथ बाहर इंतजार कर रहा था। सत्कृति हुई तो नर्स ने सबसे पहले उसे बेटे की गोद में दिया। नन्हा सात्विक शरमा गया। फिर बोला, अरे पापा, यह तो बहुत सॉफ्ट है, मुझे इसे छूने में डर लग रहा है। जब मैंने बेटी को गोद में लिया, उसी क्षण जैसे मैं बदल गया। एकाएक जिम्मेदारी का भाव मन में जगा। पहले मेरी छवि एक गुस्सैल व्यक्ति की थी। शायद इस वजह से मेरी बेटी मुझसे कटी-कटी सी रहती थी। परंपरागत भारतीय परिवारों में पिता की छवि गंभीर किस्म की होती है। मैं भी वैसा ही था। एक और वजह यह थी कि मेरा ज्यादा वक्त घर से बाहर म्यूजिक कंस‌र्ट्स में बीतता है। घर पर भी रहूं तो रियाज में समय निकलता है। बेटी के बडे होने की प्रक्रिया में मैं उसके साथ कम रह पाया। लेकिन जब मुझे लगा कि मेरी बेटी मेरे पास नहीं आना चाहती तो मुझे झटका लगा। कई बार तो मुझे देखकर वह अजीब तरीके से प्रतिक्रिया जताती। तब मुझे लगा कि मुझे अपनी छवि बदलनी होगी। मैंने अपने भीतर के कोमल पहलू को तलाशा। खुद को शांत पिता की भूमिका में लाने की कोशिश की। सत्कृति भी धीरे-धीरे मुझसे खुलने लगी। अब तो हम अच्छे दोस्त हैं। हम रिमोट को लेकर नहीं झगडते। मैं समझौता कर लेता हूं। जो प्रोग्राम वह देखती है, वही मैं भी देखने लगता हूं। अब उसे लगने लगा है कि मैं उतना भी बुरा नहीं हूं, जितना दिखता हूं। मेरी बेटी कम बोलती है। बेटा आउटगोइंग है, अपनी जिद मनवा लेता है। मगर बेटी खुल कर अपनी ख्वाहिश नहीं बता पाती। खैर, इतने वर्षो में मैंने एक सौहार्दपूर्ण माहौल बनाया है। उसे कुकिंग का शौक है। मास्टर शेफ कार्यक्रम देखती है और किचन में नई रेसिपीज ट्राई करती है। बेटी के शौक को आगे बढाना चाहता हूं। उसके लिए पूरी नई कुकिंग रेंज लगाई है घर में। किचन की लेटेस्ट टेक्नोलॉजी ढूंढता हूं। हाल ही मेरा नया अलबम लॉन्च हुआ है। उसका नाम मैंने बेटी के नाम पर सत्कृति रखा है। इसमें मैंने अपने प्रिय राग जोग और किरवानी बजाए हैं। माना जाता है कि राग जोग की रचना स्वयं भगवान शिव ने की थी। मेरा मानना है कि स्त्री सृष्टि है। उसके बिना संसार का अस्तित्व ही नहीं हो सकता। इसलिए अपने इस म्यूजिक अलबम को मैंने सत्कृति सहित दुनिया की सभी बेटियों को समर्पित किया है।

मेरी ऊर्जा का स्रोत है बेटी

अनिका पुरी, सीओओ, मम्मा मियां फोर्टिस हेल्थ केयर लिमिटेड

मेरे दो बच्चे हैं। बेटा बडा है। बेटी इनायत अभी छह साल की है। मेरी ख्वाहिश थी कि एक बेटी हो तो ऊपर वाले की कृपा से मेरी बेटी हुई। इसके लिए मैं उसकी शुक्रगुजार हूं। मेरी बेटी पहली कक्षा में है, मगर वह बहुत इंडीपेंडेंट, मजबूत और मस्त रहने वाली बच्ची है। बेटा थोडा इमोशनल है, मगर बेटी स्ट्रॉन्ग है। मेरे पिता कहते थे, बेटी हमेशा माता-पिता के मन के करीब रहती है। बेटा तो शादी के बाद अपनी पत्नी का हो जाता है, लेकिन बेटी कहीं भी रहे, माता-पिता को नहीं भूलती। मेरी बेटी बहुत प्यारी है। हंसती है तो उसके गालों पर डिंपल पडते हैं। शाम को घर लौट कर उसका स्वागत करता चेहरा देखती हूं तो सारी थकान मिट जाती है। वह हंसती है तो पूरे घर का माहौल बदल जाता है। वह मेरी ताकत व ऊर्जा का स्रोत है। बेहद केयरिंग है मेरी बेटी। हमेशा मुझसे मेरे दिन के बारे में पूछती है। अब समय सचमुच काफी बदल गया है। पेरेंट्स भी बदल गए हैं। मेरी बेटी अभी से स्पो‌र्ट्स में आगे रहती है, जबकि बेटा म्यूजिक सीख रहा है। मुझे लगता है कि बेटा-बेटी का फर्क पिछले कुछ सालों में बहुत कम हुआ है। मैं बर्थ एजुकेटर हूं। क्लासरूम में कपल्स से बातचीत के दौरान मुझे लगता है कि समय बहुत बदला है। ज्यादा तर कपल्स अब बेटी की चाह रखने लगे हैं। वे साफ कहते हैं कि उन्हें बेटी ही चाहिए। मैं खुशनसीब हूं कि मेरी नन्ही परी इनायत मेरे घर आई। बडी होकर वह जो भी करना चाहेगी, मैं उसकी मदद करूंगी। मैंने बर्थ एजुकेटर का करियर चुना। मेरे पिता होते तो समझ ही न पाते कि ऐसा भी कोई प्रोफेशन हो सकता है। मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी जो भी करना चाहे, उसे पूरे जज्बे से करे और उसमें खुश रहे। मेरी तरफ से उस पर कभी कोई दबाव नहीं होगा।

प्रस्तुति : इंदिरा राठौर


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.