10 किरदार जो बनाते हैं शादियों को यादगार
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना! विवाह समारोहों के संदर्भ में यह कहावत बिलकुल सटीक बैठती है। शादी ऐसा शानदार आयोजन है, जिसमें शामिल होने वाले लोग बेहद खुश होते हैं, लेकिन सबकी खुशी की वजहें अलग-अलग होती हैं। जहां एक साथ सैकड़ों लोगों का हुजूम इकट्ठा हो वहां कुछ अनूठे, मजेदार और दिलों को गुदगुदाने वाले अनुभव न हों ऐसा हो ही नहीं सकता। कुछ बातें तो ऐसी होती हैं, जो हर शादी में देखने को मिलती हैं। आइए रूबरू होते हैं शादियों के कुछ ऐसे ही दिलचस्प नजारों से।
वैसे तो हर शादी अपने आप में अनूठी होती है। फिर भी कुछ ऐसी खास बातें हैं जो सभी शादियों में एक ही जैसी होती हैं पर हर आयोजन में उनका लुत्फ अलग-अलग होता है। कोई इंसान इस सवाल का जवाब आज तक नहीं दे पाया कि श्रृंगार रस से सराबोर इस खास मौके पर बैंड वाले ये देश है वीर जवानों का. जैसी ओजस्वी धुन क्यों बजाते हैं, फेरे से पहले शास्त्र सम्मत विधि-विधान को लेकर दोनों पक्षों के पंडितों के बीच बहस क्यों छिड जाती है, उपहारों के लेन-देन से बाराती हमेशा असंतुष्ट क्यों रहते हैं? एक नहीं कई ऐसी बातें हैं, जो हर शादी में लगभग एक जैसी ही होती हैं। ऐसा क्यों होता है, इस संबंध में मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. भागरानी कालरा कहती हैं, हमारी संस्कृति में सामाजिकता की भावना पर ज्यादा जोर दिया जाता है। तभी तो विचारों और रुचियों में मतभेद के बावजूद सभी रिश्तेदार ऐसे अवसरों पर एक साथ होते हैं। ऐसे में मामूली नोक-झोंक तो स्वाभाविक ही है। सच पूछो तो अलग-अलग व्यक्तित्व वाले लोगों की आपसी खींचतान ही माहौल को जीवंत बनाती है। आपके जेहन में भी शादी से जुडी कुछ यादें जरूर बसी होंगी, तो फिर देर किस बात की? आइए हम साथ मिलकर बनाते हैं खूबसूरत यादों का एक रंग-बिरंगा कोलाज..
1. मैडम सुरीली
भले ही आजकल शादियों में डीजे का बोलबाला रहता है, लेकिन पारंपरिक बन्ना-बन्नी गाने का अपना अलग ही मजा होता है। हर शादी में कोई न कोई एक ऐसी सुरीली स्त्री जरूर होती है, जिसके बिना संगीत की महफिल नहीं जमती। वह जहां भी जाती है ढोलक संभाल लेती है। इन मोहतरमा के पास गीतों की एक मोटी सी डायरी भी होती है, जिसमें जगह-जगह बुकमार्क की तरह कागज की चिप्पियां लगी होती हैं। हर गीत के मुखडे का आगाज वही करती है, तब जाकर दूसरी स्त्रियां उसे कोरस का रूप दे पाती हैं। जब वह गा-गाकर बोर हो जाती है तो बगल में बैठी अपनी नौसिखिया सहेली को ढोलक पकडा कर खुद दो-चार ठुमके भी लगा लेती है। बुजुर्ग औरतें दस-बीस के नोटों से उसकी नजर उतारने लगती हैं, पर उसके बिना लोगों को गाने में मजा नहीं आता तो कुछ ही मिनटों में उसे दोबारा गायन मंडली का नेतृत्व संभालना पडता है।
2. फ्लर्टी फोटोग्राफर
शादियों में अकसर एक ऐसे फोटोग्राफर जरूर होते हैं, जो दूल्हा-दुलहन के बजाय खूबसूरत लडकियों की तसवीरें उतारने में ज्यादा दिलचस्पी रखते हैं। लडकियों का पूरा हुजूम उसी के पीछे घूम रहा होता है। आखिर उन्हें अगले दिन सोशल नेटवर्किग साइट पर अपना फोटो अपलोड भी तो करना होता है। लडकियों के साथ फोटोग्राफर महोदय अतिशय विनम्रता से पेश आते हैं और उनकी हर फरमाइश पूरी करते हैं, अच्छी तसवीर के लिए पोज भी तो बढिया होनी चाहिए। अगर कोई लडकी सही पोज नहीं दे पाती तो वे बाकायदा उसकी मदद करते हैं। अपने काम में बेहद परफेक्शनिस्ट होते हैं ऐसे फोटोग्राफर। जब तक कोई अंकल उन्हें ढूंढते हुए वहां तक नहीं पहुंचते, उनका फोटो सेशन खत्म नहीं होता।
3. चुलबुली सालियां
दुलहन की छोटी बहनों और सहेलियों का एक धमाकेदार गुलाबी गैंग हर शादी में पूरे जी-जान से जूते छिपाने की कवायद में जुटा होता है। उनके इस ग्रुप में पांच से पचीस साल तक की कई खूबसूरत बालाएं नजर आती हैं। दल के नेतृत्व की कमान एक ऐसी वाक-पटु लडकी के हाथों में होती है, जिसमें दूल्हे की जेब से पैसे निकलवाने की कूवत हो। वैसे तो यह काम दो मिनट में ख्ात्म हो सकता है, लेकिन दूल्हे के दोस्तों को देर करवाने में ही मजा आता है। एक साथ इतनी खूबसूरत लडकियां कहां मिलेंगी भला? वे सोचते हैं, क्या पता, इन्हीं में से किसी एक के साथ अपनी भी सेटिंग हो जाए। पैसों की यह बार्गेनिंग तब तक चलती है, जब तक कि कोई बुजुर्ग आंटी आकर लडकियों को डांट नहीं लगातीं, अरे जल्दी करो, अभी बहुत रस्में बाकी हैं। कहीं विदाई का मुहूर्त न निकल जाए।
4. ब्यूटी क्वीन भाभी
आपने भी शादियों में कुछ ऐसी सजी-धजी स्त्रियों को जरूर देखा होगा, जो हमेशा ज्यूलरी शॉप की मैनिक्वीन की तरह नजर आती हैं। हर तीन घंटे बाद ये नई साडी और ज्यूलरी में नजर आती हैं। इनके पास ढेर सारा लगेज होता है। लोग बारात देखने में मशगूल होते हैं, लेकिन इन्हें ये ख्ुाशफहमी होती है कि सब मुझे ही देख रहे हैं। इसलिए पूरी तरह तैयार हो जाने के बाद भी पर्स से छोटा शीशा निकालकर बार-बार अपने मेकअप को फाइनल टच दे रही होती हैं। इनके पर्स में आपको हर शेड की लिपस्टिक और आई लाइनर मिल जाएगी। इसलिए ज्यादातर लडकियां इन्हीं के आसपास मंडराती रहती हैं। अपने साज-श्रृंगार से जब इन्हें थोडी फुर्सत मिलती है तो ये दूसरी स्त्रियों की हेयरस्टाइल और मेकअप संवारने में भी मदद करती हैं।
5. प्रो-ऐक्टिव होस्ट
हर शादी में दूल्हे या दुलहन के परिवार का कोई न कोई ऐसा युवा सदस्य जरूर होता है जो हमेशा अति व्यस्त दिखाई देता है। कभी वह मेहमानों को रिसीव करने स्टेशन जाता है, तो कभी लोगों के खाने का इंतजाम देख रहा होता है। ज्यादातर लोग उसे ही ढूंढ रहे होते हैं। पूरी शादी के माहौल में हर तरफ उसी का नाम सुनाई देता है। सारी जरूरी चाबियां उसके पास होती हैं। उसे अपने साथ ढेर सारा कैश भी संभालना पडता है। उसकी जेब में दो-तीन मोबाइल होते हैं, जो लगातार बज रहे होते हैं। बारात कितनी देर में पहुंचेगी? इसकी सबसे सही सूचना इसी व्यक्ति के पास होती है। व्यस्तता का आलम यह है कि उसे न तो खाने की फुर्सत होती है और न ही कपडे बदलने की। कुल मिलाकर यह व्यक्ति शादी के इवेंट का पीआर मैनेजर होता है।
6. चिडचिडी चाची
ज्यादातर शादियों में दूसरे शहर से आकर लंबे समय तक टिकने वाली कोई एक ऐसी चाची या ताई जरूर होती हैं, जिन्हें खानपान से लेकर लेन-देन तक हर जगह बदइंतजामी नजर आती है। वह जब भी मौका पाती हैं, दूसरे मेहमानों से मेजबान की बुराई करने लगती हैं, अपनी पिंकी की शादी में तो मैंने सभी मेहमानों के लिए एसी रूम बुक करवाया था, पर यहां कूलर के शोर में ठीक से नींद भी नहीं आती। कभी उन्हें चाय में चीनी ज्यादा लगती है तो कभी दाल में नमक कम, कभी वह मेजबान को कंजूस बताती हैं तो कभी फिजूलखर्च। कुल मिलाकर वह शादी में आने को लेकर बार-बार पछताती हैं, पर अपने घर वापस जाने का नाम भी नहीं लेतीं।
7. रूठने वाले दामादजी
जामाता, दामाद जी, जमाई राजा या कुंवर-सा.. चाहे आप उन्हें जिस नाम से पुकारें, पर देश के हर प्रदेश में इनका एक ही रूप नजर आता है। शादियों में रूठना तो इनकी हॉबी होती है। तभी तो नौ ग्रहों के बाद इन्हीं का नंबर आता है। इनके रूठने का अंदाज भी कुछ अलग होता है, कई बार तो लोगों को दो दिनों के बाद मालूम होता है कि दामाद जी रूठ गए थे। ब्रदर-इन-लॉ (हिंदी का शब्द लिखना असंसदीय लगता है) की शादी में इनके जलवे देखने लायक होते हैं। रिश्तेदारों के सामने अपनी इमेज खराब न हो, इसलिए जमाई राजा यदा-कदा पत्नी के सामने बडबडाते रहते हैं, कभी इन्हें हमारे घर आकर देखना चाहिए कि दामाद की खातिरदारी कैसे की जाती है? तीन दिनों से घास-फूस पर जी रहा हूं..ये भी इंसानों के खाने लायक खाना है भला? मैं कल ही वापस चला जाऊंगा। तुम बच्चों के साथ आराम से आना। पत्नी पतिदेव की ऐसी आदतों से बख्ाूबी परिचित है। उसे मालूम है कि शगुन का लिफाफा, सोने की अंगूठी और सूट पीस लिए बिना यह व्यक्ति यहां से हिलने वाला नहीं है। इसलिए वह अपने पति के इस गुस्से पर कोई प्रतिक्रिया जाहिर नहीं करती और मुसकुराती हुई दूसरे कमरे में चली जाती है।
8. खाऊ मेहमान
मेजबान के करीबी रिश्तेदारों और फेमिली फ्रेंड्स के अलावा शादियों में कुछ मेहमान ऐसे भी होते हैं, जिन्हें महज जान-पहचान की औपचारिकता की वजह से निमंत्रण दिया जाता है। वे बेचारे भी बडी दूर से बीवी-बच्चों समेत दस-बारह किलोमीटर ड्राइव करके विवाह में अपनी हाजिरी लगाने पहुंचते हैं। कुछ लोग तो ऐसे भी होते है, जो अपने पिताजी या बॉस की तरफ से सिर्फ शगुन का लिफाफा और बुके पहुंचाने आए होते हैं। वेन्यू में एंट्री लेने के साथ ही इनकी चौकस निगाहें मेजबान को ढूंढने लगती हैं, ताकि उन्हें लिफाफा पकडाकर अपनी उपस्थिति दर्ज करा दें और निश्चिंत होकर खा-पी सकें। इन्हें दूल्हा-दुलहन, बारात, डांस-डीजे आदि में कोई दिलचस्पी नहीं होती। ये पहले से ही कोने के एक टेबल पर अपनी सीट सुरक्षित कर लेते हैं और बार-बार बार काउंटर के चक्कर काटते हैं। बीवी-बच्चे सॉफ्ट ड्रिंक्स के साथ स्टार्टर्स का लुत्फ उठा रहे होते हैं। इनकी श्रीमती जी हर पांच मिनट बाद बच्चों को देखने के लिए भेजती हैं, जाओ देखो खाना शुरू हुआ या नहीं? डिनर शुरू होते ही ये सपरिवार काउंटर्स पर टूट पडते हैं। खाते हुए मन ही मन हिसाब भी लगा रहे होते हैं कि आखिर 2100 रुपये दिए हैं, गाडी का पेट्रोल अलग से फूंका है, ऐसे में गुलाबजामुन और आइसक्रीम की सेकंड सर्विग तो बनती ही है।
9. फ्री स्टाइल डांसर
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना, यह कहावत ऐसे ही सच्चे शादी प्रेमियों के लिए बनी है। इन्हें खाने के बजाय पीने में ज्यादा दिलचस्पी होती है। शादी-ब्याह में दो-चार पैग ज्यादा भी हो जाए तो चलता है। इतने लोग साथ होते हैं, कोई न कोई उठा कर घर तक पहुंचा ही देगा। इन्हें तो बस, शादी का निमंत्रण चाहिए। बारात में इनसे डांस के लिए आग्रह करने की जरूरत नहीं होती। कई बार इन्हें मेजबान भी नहीं पहचान पाते क्योंकि कभी-कभी ये किसी दोस्त के साथ यूं ही चले आते हैं। इन्हें तो फ्री स्टाइल में जी खोल कर नाचना पसंद हैं और ज्यादा मूड में आ गए तो जेब से रुमाल निकाल कर उससे बीन बजाने लगते हैं। फिर उनके दूसरे दोस्त का नागिन डांस का ऐसा मस्त समां बांध देते हैं, आधे घंटे तक बारात वहीं रुकी रहती है। जब बहुत देर तक इनका अद्भुत नृत्य प्रदर्शन नहीं रुकता तो परिवार के लडके-लडकियों को परेशानी होने लगती है। उन्हें ऐसा लगता है कि अरे! ये कौन अजनबी लोग हैं, जिन्होंने हमारी बारात को हाइजैक कर लिया है। विडियो वाला लगातर इन्हीं पर कैमरा जमाए हुए है। ये भी कोई बात हुई भला? हमें भी तो डांस करना है। नकचढी बबली जब बडे ताऊ जी से उनकी शिकायत करती है, तब जा कर घर के बच्चों को डांस करने का मौका मिल पाता है।
10. रस्मों की विशेषज्ञ दादी
शादी के साथ दादी का बडा पुराना नाता है। हर विवाह समारोह में यही एक ऐसी अकेली प्राणी होती हैं, जिन्हें सभी रस्म-रिवाजों की बिलकुल सही और प्रामाणिक जानकारी होती है। इतना ही नहीं, जिस तरह डॉक्टर हमें सही ढंग से दवाएं न लेने पर उससे होने वाले नुकसान के बारे में बताता है, ठीक उसी तरह अगर कोई रस्म सही ढंग से न निभाई जाए तो उसके साइड इफेक्ट का पूरा लेखा-जोखा दादी के पास होता है। इस मामले में परिवार की सभी स्त्रियां दादी का लोहा मानती हैं। मंडप के बिलकुल सामने कुर्सी पर विराजमान दादी सभी रस्मों की तैयारी का पूरी मुस्तैदी से जायजा ले रही होती हैं। बीच-बीच में उनके छोटे-छोटे निर्देश सुनाई देते रहते हैं, अरे! छोटी बहू पूरब दिशा इधर नहीं, उधर है। दूल्हे का आसन वहीं लगाओ। शगुन की थाली में पान के पत्ते क्यों नहीं रखे गए, अरे! दूल्हे की बुआ कहां रह गई, कोई उसे जल्दी बुला लाओ, हल्दी का मुहूर्त निकला जा रहा है.. हमारे यहां पहली हल्दी बुआ ही लगाती है !
आलेख : विनीता, इलस्ट्रेशन : मुखी चौधरी
सखी प्रतिनिधि