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कहीं इसकी लत न लग जाए

शायद ही कोई ऐसी स्त्री होगी जिसे शॉपिंग पसंद न हो लेकिन यह ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है कि यह शौक कहीं एडिक्शन न बन जाए।

By Edited By: Published: Wed, 17 Aug 2016 01:00 PM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2016 01:00 PM (IST)
कहीं इसकी लत न लग जाए
अपनी जरूरत के लिए खरीदारी करना तो स्वाभाविक है पर कुछ स्त्रियां शॉपिंग का बहाना ढूंढ रही होती हैं। कभी अपने लिए, कभी सहेली या रिश्तेदार के लिए तो कभी यूं ही टाइम पास के लिए शॉपिंग मॉल की ओर निकल पडऩा उनकी आदत में शुमार होता है। इसीलिए कहा जाता है कि शॉपिंग से स्त्रियों का करीबी नाता है। खासतौर पर टेक्नोलॉजी के इस युग में तो ऑनलाइन शॉपिंग की सुविधा ने स्त्रियों के लिए खरीदारी करना और भी आसान बना दिया है। जब पल भर में एक माउस क्लिक से घर बैठे खरीदारी की जा सकती है तो भला कोई कैसे खुद को रोके मगर ऐसी सुविधा जल्द ही उन्हें शॉपिंग एडिक्ट बना देती है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि समय रहते इसके लक्षणों को पहचानकर उन्हें दूर करने की कोशिश की जाए। क्या है शॉपिंग एडिक्शन किसी भी चीज की इस हद तक आदत पड जाना कि सामान्य जीवन अस्त-व्यस्त हो जाए तो समझ लीजिए कि आप एडिक्शन की राह पर चल पडे हैं। अगर आपकी शॉपिंग की आदत भी इस हद तक पहुंच जाए कि उससे पारिवारिक और प्रोफेशनल लाइफ में परेशानी शुरू होने लगे तो समझ लीजिए कि यहां से आपको अपनी आदत पर रोक लगाने की जरूरत है। इसमें लोगों को ऑफिस में बैठे हुए या घर में खाना खाते या सोते हुए भी कुछ न कुछ ऑर्डर करने का मन करेगा। पहचानें लक्षण आप बाजार से ऐसा सामान भी खरीद लाती हैं, जिसकी आपको कोई आवश्यकता नहीं होती। आप सामान यह सोचकर खरीदती हैं कि उसका बाद में इस्तेमाल कर लेंगी लेकिन उसका वास्तव में कोई इस्तेमाल नहीं होता। आप चीजों को केवल स्टोर करती हैं। पैसे न होने पर आप बिना सोचे-समझे क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल कर लेती हैं। खरीदारी के लिए कई बार घर पर झूठ भी बोल सकती हैं। बुरा है प्रभाव इससे आपको डिप्रेशन हो सकता है। किसी बात से प्रभावित होकर आप जरूरत से ज्यादा शॉपिंग करती हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप डिप्रेस्ड हैं। ऐसे लोगों को शॉपिंग खुशी का एहसास कराती है। शॉपिंग करने पर उनके दिमाग में एक खास हॉर्मोन एंडोर्फिन और डोपामाइन रिलीज होता है। इसे आम भाषा में हैपिनेस हॉर्मोन भी कहा जाता है। इस हॉर्मोन की वजह से ही हमें कुछ भी करने में खुशी होती है। शॉपिंग एडिक्ट लोगों को यह एहसास शॉपिंग से मिलता है। अगर वे किसी दिन खरीदारी नहीं करते तो उन्हें कुछ अधूरा सा लगता है। ऐसे लोगों का शायद ही कोई दिन ऐसा होता है, जब वे शॉपिंग न करते हों। शॉपिंग का एडिक्शन आपको कहीं न कहीं आर्थिक रूप से कमजोर तो बनाता ही है, जीवन के अन्य पहलुओं पर भी इसका बुरा प्रभाव पडता है। अपनी लत को बरकरार रखने के लिए लोग अपने ही घर में चोरी भी करते हैं। ऐसे लोग कर्ज भी ले लेते हैं और कई बार इस कारण आत्महत्या तक कर सकते हैं। शॉपिंग एडिक्शन से कार्यक्षमता में कमी आती है क्योंकि आपका ज्यादातर समय इंटरनेट या बाजारों में ही बीत जाता है। ये लोग हर वक्त शॉपिंग के बारे में सोचते हैं, जिससे इनकी नींद प्रभावित होती है। ये मानसिक व शारीरिक रूप से काफी बीमार हो जाते हैं। इनमें चिडचिडापन, धैर्य की कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। मिताली जैन इनपुट्स : डॉ. एकता सोनी, मनोवैज्ञानिक, इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल

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