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स्मार्ट पैरेंटिंग

मेरी 14 वर्षीय बेटी घर के कामकाज में मेरा जरा भी सहयोग नहीं करती। इसके लिए मैं उसे बहुत प्यार से समझाने की कोशिश करती हूं, लेकिन मेरी बातों का उस पर कोई असर नहीं होता। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

By Edited By: Published: Mon, 01 Sep 2014 04:28 PM (IST)Updated: Mon, 01 Sep 2014 04:28 PM (IST)
स्मार्ट पैरेंटिंग

मेरी 14  वर्षीय बेटी घर के कामकाज में मेरा जरा भी सहयोग नहीं करती। इसके लिए मैं उसे बहुत प्यार से समझाने की कोशिश करती हूं, लेकिन मेरी बातों का उस पर कोई असर नहीं होता। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

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ऋतु शर्मा, भोपाल

यह आधुनिक जीवनशैली की बहुत बडी समस्या है। आप अचानक अपनी बेटी से ऐसी उम्मीद न करें कि वह घर के सभी कार्यो में आपका हाथ बंटाए। शुरुआत में आप उसे अपने काम खुद  करने के लिए प्रेरित करें। मसलन, अपनी किताबें और कपडे व्यवस्थित ढंग से रखना, अपने कमरे को साफ-सुथरा रखना, स्कूल शूज  में खुद पॉलिश  करना आदि। अगर वह इन कार्यो को सही से ढंग पूरा न करे तो आप उसकी मदद करने की कोशिश न करें। दो-तीन बार ऐसा करने पर, जब उसे असुविधा महसूस होगी तो वह खुद  ही अपने काम करने लगेगी। घर के दूसरे कार्यो के लिए आप उससे आदेश वाली भाषा में बात न करें, बल्कि उससे मदद मांगने वाले अंदाज में आग्रह करें। दो-तीन छोटे कार्यो का विकल्प देते हुए उसे प्यार से समझाएं कि इनमें से उसे जो भी कार्य पसंद हो, उसमें आपकी मदद करे। उसके हर सही प्रयास की सराहना करें। आप चिंतित न हों। आपका प्रोत्साहन पाकर वह जल्द ही जिम्मेदार बन जाएगी।

मैं अपने 8  वर्षीय बेटे के व्यवहार में अजीब सा बदलाव देख रही हूं। जब हम उसे कोई निर्देश देते हैं तो वह हमारी बातें ध्यान से नहीं सुनता। इसी वजह से उससे हर काम में गलतियां हो जाती हैं। जब हम उसे उसकी गलती का एहसास दिलाते हैं तो वह नाराज हो जाता है। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

निधि सक्सेना, लखनऊ

कहीं अनजाने में आप अपने बेटे को बहुत ज्यादा  निर्देश तो नहीं देतीं? अगर ऐसा है तो इससे उसके मन में झल्लाहट पैदा होगी और वह आपकी कोई भी बात मानना नहीं चाहेगा। सुरक्षा की दृष्टि से जिन कार्यो में सावधानी बरतने की जरूरत हो, उसे वही निर्देश दें। ऐसी छोटी-छोटी बातों को लेकर बेवजह चिंतित न हों। जब भी वह कोई कार्य सही ढंग से करे तो उसकी प्रशंसा करना न भूलें। इससे उसका सेल्फ एस्टीम बढेगा और वह आलोचना को सहजता से स्वीकार पाएगा। अगर दो महीने तक उसके व्यवहार में सुधार न आए तो स्कूल काउंसलर से सलाह लें।

मेरे दोनों बेटों की उम्र  12  और 9  वर्ष है। पहले दोनों भाइयों के बीच बहुत प्यार था और वे साथ-साथ खेलने जाते थे, लेकिन आजकल मेरा बडा बेटा अपने छोटे भाई के साथ बहुत बेरुखी  से पेश आता है। उसे कहीं भी साथ ले जाने को तैयार नहीं होता। इससे मेरा छोटा बेटा अकसर उदास हो जाता है। यह समस्या कैसे हल होगी?

अनु जैन, कोटा

आपका बडा बेटा टीनएज  में प्रवेश कर रहा है। इसीलिए उसके व्यवहार में यह बदलाव दिखाई दे रहा है। इस उम्र में बच्चों को खुद से बडी उम्र के दोस्त ज्यादा  पसंद आते हैं, लेकिन कई बार ऐसी संगति की वजह से बच्चों में कुछ गलत आदतें विकसित होने का खतरा  रहता है। अगर आपके बडे बेटे के साथ भी ऐसी समस्या है तो बहुत सावधानी के साथ उसे ऐसी दोस्ती से अलग करें। इसके लिए सीधे मना न करें, क्योंकि इस उम्र में बच्चों को वही काम करना अच्छा लगता है, जिनके लिए उन्हें मना किया जाता है। आप उसे उसकी रुचि से जुडी एक्टिविटीज  में भेजना शुरू कर दें। इससे उसके पास अपने ऐसे दोस्तों से मिलने-जुलने का समय ही नहीं होगा। अकेले में बडे बेटे से बातचीत करके उसे भाई के साथ रिश्ते की अहमियत समझाएं। दोनों बच्चों के साथ क्वॉलिटी  टाइम बिताएं। इससे उनके बीच प्यार बढेगा और यह समस्या आसानी से दूर हो जाएगी।

मेरी 4  वर्षीया बेटी बेहद शर्मीली है। जब भी घर भी घर में कोई मेहमान आता है तो वह दूसरे कमरे में छिप जाती है। वह किसी भी नए व्यक्ति से बातें करने में बहुत झिझकती है। मुझे उसके लिए क्या करना चाहिए?

सुमिता  माथुर, जयपुर

आप अपनी बेटी को रोजाना पार्क में ले जाएं। वैसे परिवारों से दोस्ती बढाएं, जहां उसके हमउम्र बच्चे हों। उसके स्कूल के दोस्तों के पेरेंट्स  से संपर्क बनाए रखें और कभी-कभी उन्हें अपने घर पर बुलाएं। नए लोगों के सामने उसे बार-बार नमस्ते  करने या नर्सरी राइम्स  सुनाने को न कहें। मेहमानों की उपस्थिति में उसे किसी भी बात के लिए न टोकें। इससे बच्चे का शर्मीलापन  और बढ जाता है। उसे जो भी सही व्यवहार सिखाना हो, लोगों से मिलने के पहले ही सिखाएं। ध्यान रखें, अगर आपके सामाजिक संबंध अच्छे होंगे तो बेटी का शर्मीलापन अपने आप दूर हो जाएगा।

मेरी 9  वर्षीय बेटी पढाई में अच्छी है, लेकिन असफलता के डर से किसी भी एक्स्ट्रा  कैरिकुलर एक्टिविटी  में शामिल होने को तैयार नहीं होती। उसका यह भय कैसे दूर होगा?

नूपुर मिश्रा, पटना

जिन बच्चों पर हर क्षेत्र में अव्वल आने दबाव होता है, उनके मन में असफलता का भय बैठ जाता है। इसलिए जरूरी यह है कि आप अपने बच्चे को स्कूल की एक्टिविटीज  में शामिल होने के लिए प्रेरित करें, न कि प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए। उसकी क्लास टीचर से मिलकर उनसे आग्रह करें कि वह उसे स्कूल की उन एक्टिविटीज में शामिल होने के लिए प्रेरित करें, जहां प्रतियोगिता जैसी कोई बात न हो। मसलन, स्कूल की असेंबली में न्यूज पेपर पढना, कल्चरल  प्रोग्राम की कंपेयरिंग  करना आदि। इससे उसका आत्मविश्वास बढेगा और वह दूसरी एक्टिविटीज में भी सहजता से शामिल होने लगेगी।

बचाव शर्मीलेपन  से

- बच्चे के साथ रोजाना बातचीत का समय निकालें, ताकि वह अपनी भावनाएं सही ढंग से अभिव्यक्त करना सीखे।

-उसे घर से बाहर नए हमउम्र दोस्त बनाने के लिए प्रेरित करें। बच्चे के लिए दोस्तों के साथ खेलने का निश्चित समय निर्धारित करें।

- जब कभी घर से बाहर जाएं तो किसी न किसी बहाने बच्चे को अजनबियों से बातचीत का मौका जरूर दें और अपना सामाजिक दायरा बढाने की कोशिश करें।

डॉ. रीमा सहगल

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट


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