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स्मार्ट पेरेंटिंग

मेरी दोनों बेटियों की उम्र क्रमश:10 और 8 वर्ष है। छोटी बेटी काफी खुशमिजाज है, लेकिन बड़ी हर बात पर नाराज हो जाती है। उसका व्यवहार दिनोंदिन चिड़चिड़ा होता जा रहा है। इस समस्या का क्या समाधान है?

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 11:36 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 11:36 AM (IST)
स्मार्ट पेरेंटिंग

मेरी दोनों बेटियों की उम्र क्रमश:10 और 8 वर्ष है। छोटी बेटी काफी खुशमिजाज है, लेकिन बडी हर बात पर नाराज हो जाती है। उसका व्यवहार दिनोंदिन चिडचिडा होता जा रहा है। इस समस्या का क्या समाधान है?

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गरिमा मिश्रा, गुडगांव

हर बच्चे का स्वभाव दूसरे से अलग होता है। आप यह जानने की कोशिश करें कि आपकी बडी बेटी के व्यवहार में चिडचिडापन क्यों है? लगातार तुलना करने की वजह से यह सिब्लिंग राइवलरी की समस्या बन सकती है। सबसे पहले आप अपनी बडी बेटी को चिडचिडी कहना बंद कर दें। किसी भी तरह से छोटी बहन से उसकी तुलना न करें। उसके गुणों को प्रोत्साहित करें और अच्छे कार्यो की प्रशंसा करें। उसके साथ क्वॉलिटी टाइम बिताएं।

मेरी 7 वर्षीय बेटी को अगर खाने की कोई चीज पसंद आ गई तो वह रोजाना वही खाना चाहती है। कपडों के चुनाव के बारे में भी उसका ऐसा ही रवैया है। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

रश्मि गुप्ता, इंदौर

इस उम्र में अकसर बच्चे एक ही तरह की चीजों का चुनाव करने में सहजता महसूस करते हैं। आपके बार-बार कहने का भी उस पर कोई असर नहीं होगा। संभव हो तो उसकी एक-दो अच्छी ड्रेसेज की तारीफ करते हुए उन्हें उसके वॉर्डरोब में सबसे आगे रख दें और उसे खुद निर्णय लेने दें। उसकी शॉपिंग करते समय उसे भी साथ ले जाएं और कुछ भी खरीदते समय उसकी रजामंदी जरूर लें। उसके खानपान की आदतों में भी बदलाव लाने की कोशिश करें। घर पर ही तरह-तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाएं। सब्जियों और फलों के इस्तेमाल में भी विविधता होनी चाहिए। खाने के लिए बार-बार आग्रह करने के बजाय उसे सिर्फ एक बार पूछ कर छोड दें। संभव है कि ऐसा करने पर वह खुद ही कुछ नई चीजें खाने की कोशिश करे। कपडों की आदत पर चिंतित न हों। अगर उसकी फूड हैबिट न सुधरे तो काउंसलर से सलाह लें।

आजकल मैं अपने 7 वर्षीय बेटे की वजह से बहुत परेशान हूं। वह किसी भी हाल में अपनी गलती स्वीकारने को तैयार नहीं होता। टोकने या डांटने पर बहस करते हुए गलत बातों को भी सही ठहराने की कोशिश करता है। इस समस्या का क्या समाधान है?

मुग्धा शर्मा, लखनऊ

आपके लिए बेटे को अनुशासित करना बहुत जरूरी है। आप उसके खाने, पढने और खेलने के लिए निश्चित रूटीन बनाएं और पूरी निगरानी रखें कि वह उस दिनचर्या के नियमों का पालन कर रहा है या नहीं? बच्चे पेरेंट्स से बहस तभी करते हैं, जब वे भी बच्चों के साथ तर्क-वितर्क करते हैं। इसलिए अपने बेटे से बहस करने के बजाय उसे अपना निर्णय सुनाकर शांत हो जाएं।

मुझे अपने 8 वर्षीय बेटे के व्यवहार में संतुलन नहीं दिखाई देता। कभी वह समझदारी भरी बातें करता है तो कभी बहुत ज्यादा शरारतें करने लगता है। समझ नहीं पा रही हूं कि उसके व्यवहार को कैसे नियंत्रित करूं?

रचना जोशी, देहरादून

अपने बेटे की अच्छी आदतों की प्रशंसा और उसकी शरारतों की सीमा तय करें। गलती करने पर उचित नाराजगी दिखाएं। उसके अनुशासनहीन व्यवहार को बढावा न दें। आपके ऐसे प्रयासों से जल्द ही उसके व्यवहार में संतुलन नजर आएगा।

मेरी 4 वर्षीय बेटी अकसर हमारी जरूरी चीजें छिपा देती है। जब हम उसे उसकी मनपसंद चीज का लालच देते हैं तो वह हमारा खोया हुआ सामान हमें वापस दे देती है। मैं उसे कई बार समझा चुकी हूं कि यह गलत आदत है, पर उस पर कोई असर नहीं होता। मैं क्या करूं?

अदिति मेहता, चंडीगढ

अपनी बेटी को उसकी मनपसंद चीजों का लालच देना तुरंत बंद कर दें। वह जब भी ऐसी हरकत करे, परिवार के सभी सदस्य उसके प्रति अपनी नाराजगी दिखाएं। उसके रोने-चिल्लाने पर ध्यान न दें। सबसे जरूरी यह है कि कोई भी व्यक्ति उस वक्त आपकी बेटी के साथ प्यार जताने की कोशिश न करे। तीन-चार बार ऐसा करने पर उसकी यह आदत अपने आप छूट जाएगी।

आठवीं कक्षा में पढने वाली मेरी बेटी मुझसे मोबाइल दिलाने की जिद कर रही, पर मैंने उसे मना कर दिया। उसने अपने कई दोस्तों को मेरा मोबाइल नंबर दे दिया है और कभी-कभी मेरे फोन से अपने दोस्तों को कॉल कर देती है। इसके लिए मैं उसे कई बार मना कर चुकी हूं, पर वह मेरी बात नहीं मानती। मैं उसे सही रास्ते पर कैसे लाऊं?

डॉली शर्मा, धनबाद (झारखंड)

आप परेशान न हों। अगर आपके फोन पर उसके दोस्तों के कॉल्स आते हैं तो इसका यही मतलब है कि आपकी बेटी ने आपके निर्णय को स्वीकार कर लिया है। अब उसे भी मालूम हो गया है कि िफलहाल आप मोबाइल नहीं दिलवा रहीं। उसे अपना फोन इस्तेमाल करने का निश्चित समय निर्धारित कर दें। इससे आप उसके दोस्तों पर भी नजर रख पाएंगी। आपकी चिंता निराधार है। आपकी बेटी किसी गलत रास्ते पर नहीं जा रही। मोबाइल और इंटरनेट जैसी चीजें आधुनिक जीवनशैली का अहम हिस्सा बन चुकी हैं। बच्चों को इनसे दूर रखना व्यावहारिक रूप से संभव नहीं है। ऐसे में पेरेंट्स की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे अपने बच्चों को इनके दुरुपयोग से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं।

बचाव अनुशासनहीन व्यवहार से

-बच्चों के लिए पेरेंट्स ही उनके रोल मॉडल होते हैं और वे उन्हीं का अनुसरण करते हैं। इसलिए आपका व्यवहार भी अनुशासित होना चाहिए।

-बच्चे के हर गलत व्यवहार पर एक ही तरीके से नाराजगी दिखाएं क्योंकि हर बार अलग ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करने पर बच्चा सही व्यवहार कभी नहीं सीख पाएगा।

-छोटी-छोटी बातों पर हमेशा डांटने के बजाय आप उसके लिए अनुशासन के कुछ स्पष्ट नियम बनाएं और समझा दें कि हर हाल में उसे उन नियमों का पालन करना ही होगा।

चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट

डॉ. रीमा सहगल


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