Move to Jagran APP

स्मार्ट पेरेंटिंग

मेरा बेटा 9 साल का है और बेटी की उम्र 4 वर्ष है। समस्या यह है कि वह अपनी छोटी बहन का जरा भी खयाल नहीं रखता। अगर कभी वह ़गलती से भाई की किताबें या खिलौने छू भी लेती है तो वह उसकी पिटाई कर देता है। उसे सही रास्ते पर कैसे लाऊं?

By Edited By: Published: Tue, 01 Jul 2014 07:15 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jul 2014 07:15 PM (IST)
स्मार्ट पेरेंटिंग

मेरा बेटा 9 साल का है और बेटी की उम्र 4 वर्ष है। समस्या यह है कि वह अपनी छोटी बहन का जरा भी खयाल नहीं रखता। अगर कभी वह गलती से भाई की किताबें या खिलौने छू भी लेती है तो वह उसकी पिटाई कर देता है। उसे सही रास्ते पर कैसे लाऊं?

loksabha election banner

निधि रावत, देहरादून

आपका बेटा कहीं न कहीं अपने साथ भेदभाव महसूस करता होगा, तभी वह अपना गुस्सा छोटी बहन पर उतारने की कोशिश करता है। इस समस्या को बच्चों की मामूली खींचतान समझकर नजरअंदाज न करें। अगर आपके बेटे के मन में लंबे समय तक यही भावना रह गई तो बडे होने के बाद भी बहन के साथ उसके संबंध सामान्य नहीं हो पाएंगे। सबसे पहले इस बात पर ध्यान दें कि आप अपने बेटे को उसकी बहन की वजह से दिन भर में कितनी बार डांटती हैं, उसकी कितनी बार तारीफ करती हैं? छोटी बहन को उसका सम्मान करने को कहती हैं या नहीं? अनजाने में ही सही, लेकिन बेटे के मामले में आपकी ओर से थोडी लापरवाही हो रही है। इसलिए बेटे के साथ नियमित रूप से बातचीत करें और उसके अच्छे कार्यो की प्रशंसा करें। इससे उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव नजर आएगा।

मेरी 12 वर्षीय बेटी बहुत जल्दी अपने दोस्तों की बातों में आ जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि अगर कोई दोस्त उसकी किसी ड्रेस की बुराई कर दे तो वह उसे दोबारा नहीं पहनती। वह दोस्तों की हर बात बडी खुशी से मान लेती है, लेकिन अगर वही बात मैं उसे समझाने की कोशिश करती हूं तो वह नाराज हो जाती है। मैं उसे पीयर प्रेशर से बाहर कैसे निकालूं?

सृष्टि शर्मा, लखनऊ

अपनी बेटी को पीयर प्रेशर से बाहर निकालने से पहले स्वयं उसकी दोस्त बनने की कोशिश करें। रोजाना उसके साथ बातचीत और लाड-प्यार का समय जरूर निकालें। उसकी रुचि से जुडे कार्यो में ख्ाुद भी शामिल हों। उसे अपने साथ घर के कामकाज में व्यस्त रखने की कोशिश करें। उसके गुणों की प्रशंसा करें और उसके दोस्तों में कमियां निकालना बंद कर दें। हो सके तो उसके दोस्तों को घर पर बुलाएं और उनसे जान-पहचान बढाएं। भावनात्मक रूप से वह आपके जितने करीब आएगी, अपने दोस्तों के बारे में उतना ही सही निर्णय ले पाएगी।

लंबी छुट्टियों के बाद स्कूल जाते वक्त मेरा 4 वर्षीय बेटा बहुत रोता है। वहां एडजस्ट करने में उसे एक सप्ताह से भी ज्यादा समय लग जाता है। इस समस्या का क्या समाधान है?

रचना गोयल, जयपुर

छुट्टियां समाप्त होने से एक सप्ताह पहले आप उसे बाहर से ही स्कूल दिखा लाएं। अगर संभव हो तो स्कूल के पार्क में ले जाकर वहां उसे थोडी देर खेलने दें। फोन पर दोस्तों से उसकी बात कराती रहें। क्लास टीचर से उसके डर के बारे में बातचीत करके इस समस्या का हल ढूंढने की कोशिश करें, ताकि छुट्टियों के बाद स्कूल के नए माहौल में वह आसानी से एडजस्ट हो जाए।

मेरे दोनों बेटों की उम्र क्रमश: 8 और 6 वर्ष है। रिटायरमेंट के बाद मेरे सास-ससुर भी हमारे साथ रहने लगे हैं। वे बच्चों को बहुत प्यार करते हैं, लेकिन वे दादा-दादी के साथ वक्त बिताने को तैयार नहीं होते। मैं बच्चों को कैसे समझाऊं?

अरुणिमा सिंह, दिल्ली

यह बच्चों की आम समस्या है और इसे दूर करने के लिए आपके सास-ससुर का सहयोग जरूरी है। उनसे कहें कि वे बच्चों की रुचि से मिलते-जुलते कार्यो में उनके साथ रहें। मसलन वे शाम के वक्त बच्चों को पार्क में ले जाएं और उनके साथ खेलें। बच्चों के साथ बैठकर उनके पसंद के कार्टून प्रोग्राम देखें और उन्हें रोचक कहानियां सुनाएं। दादा-दादी को अपनी रुचि से जुडी एक्टिविटीज में शामिल देखकर बच्चे भी उनकी ओर आकर्षित होकर उनके साथ ज्यादा वक्त बिताने लगेंगे।

मेरे 4 वर्षीय बेटे का व्यवहार बेहद आक्रामक है। दरअसल ऑफिस से लौटने के बाद उसके पापा रोजाना उसके साथ उठा-पटक और मारपीट वाले खेल खेलते हैं। इसी वजह से खेलकूद के दौरान वह भी दूसरे बच्चों के साथ ऐसा ही व्यवहार करता है। मैं उसे कैसे अनुशासित करूं?

कविता अग्रवाल, भोपाल

जब आपको कारण मालूम ही है तो अपने पति को ऐसा करने से मना करें। उनसे कहें कि वे बच्चे के साथ कोई भी इंडोर या आउटडोर गेम खेलें। उसे हिंसक टीवी प्रोग्राम देखने से रोकें। मारपीट करने पर उसके प्रति नाराजगी दिखाएं। अगर आप हमेशा अनुशासित व्यवहार अपनाएंगे तो उसकी इस आदत में निश्चित रूप से सुधार आएगा।

मेरा बेटा पांचवीं कक्षा में पढता है। पिछले महीने उसने मुझसे कहा कि हमारी टीचर लंबी छुट्टी पर गई हैं। इसलिए हमें मैथ्स के यूनिट टेस्ट की कॉपी नहीं मिल पाई। जब मैं पेरेंट्स टीचर्स मीटिंग में उसके स्कूल गई तो मुझे मालूम हुआ कि उसने मुझसे झूठ बोला था। मैथ्स में उसे बहुत कम मा‌र्क्स आए थे। इसलिए उसने अपनी कॉपी कहीं छिपा दी थी। मैं उसे सही रास्ते पर कैसे लाऊं ?

शुभ्रा महापात्र, कटक

आमतौर पर बच्चे डांट या सजा के डर से झूठ बोलते हैं। अपने बेटे को विश्वास दिलाएं कि आपको उसके कम अंकों से नहीं, बल्कि उसके झूठ बोलने से दुख हुआ है। इसके बाद जब भी वह सच बोले तो उसकी प्रशंसा करें। उसे प्रतिदिन घर पर मैथ्स पढाएं। अगर आपके पास समय की कमी है तो उसके लिए होम ट्यूशन की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे उसके रिजल्ट में सुधार आएगा और उसे झूठ बोलने की जरूरत नहीं पडेगी।

डॉ. रीमा सहगल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.