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स्मार्ट पैरेंटिंग

आपके बच्चे के लिए यह बिलकुल नया माहौल है। इसलिए यहां हर कदम पर उसे आपके भरपूर प्यार और संरक्षण की जरूरत है। आप उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं। यहां उसके लिए कुछ ऐसी एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज ढूंढें, जिनके साथ वह अमेरिका में भी जुड़ा था। बेहतर यही होगा कि उसका एडमिशन किसी इंटरनेशनल स्कूल में करवाया जाए। वहां के माहौल में एडजस्ट करना उसके लिए आसान होगा।

By Edited By: Published: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)Updated: Tue, 01 Apr 2014 05:58 PM (IST)
स्मार्ट पैरेंटिंग

हम लोग हाल ही में अमेरिका से भारत लौटे हैं। मेरे 10 वर्षीय बेटे को यहां के नए माहौल के साथ एडजस्टमेंट में बहुत दिक्कत आ रही है। वह आसपास के बच्चों के साथ खेलना नहीं चाहता। उसके लिए मैं क्या करूं?

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रचना अग्रवाल, दिल्ली

आपके बच्चे के लिए यह बिलकुल नया माहौल है। इसलिए यहां हर कदम पर उसे आपके भरपूर प्यार और संरक्षण की जरूरत है। आप उसके साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं। यहां उसके लिए कुछ ऐसी एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटीज ढूंढें, जिनके साथ वह अमेरिका में भी जुडा था। बेहतर यही होगा कि उसका एडमिशन किसी इंटरनेशनल स्कूल में करवाया जाए। वहां के माहौल में एडजस्ट करना उसके लिए आसान होगा। उसके साथ पार्क और शॉपिंग मॉल जैसी जगहों पर घूमने के लिए ज्यादा से ज्यादा समय निकालें। इससे उसके लिए यहां के माहौल में घुलना-मिलना आसान हो जाएगा।

मेरा 9 वर्षीय बेटा छोटी-छोटी बातों से बहुत जल्दी घबरा जाता है। वह अपनी सेहत को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित रहता है। मामूली सी चोट-खरोंच आने पर भी वह खेलना-कूदना बंद कर देता है। मैं उसे निडर बनाना चाहती हूं। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

अरुणिमा शर्मा, इलाहाबाद

आपका बेटा निश्चित तौर पर किसी प्रकार की एंग्जायटी से ग्रस्त है। ऐसे मामलों में बच्चे और पेरेंट्स से मिले बिना कोई सलाह देना ठीक नहीं होगा। इसलिए आप बिना देर किए उसे किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार के पास ले जाएं। उसकी समस्या के बारे में आपसे विस्तृत बातचीत करके ही वह इसका हल ढूंढ पाएंगे। जितनी जल्दी हो सके बच्चे की काउंसलिंग शुरू करवा दें। देर करने से यह समस्या गंभीर रूप धारण कर सकती है।

लंबी छुट्टियों के बाद स्कूल जाते समय मेरी 5 वर्षीय बेटी बहुत ज्यादा रोती है। उसे नए रुटीन के साथ एडजस्ट करने में एक सप्ताह से भी ज्यादा लग जाता है। वह पढाई पर भी ध्यान नहीं दे पाती। इसका क्या समाधान है?

कविता जैन, मुंबई

इस उम्र में अकसर बच्चों को सेपरेशन एंग्जायटी हो जाती है, जिसकी वजह से घर के सुरक्षित वातावरण से बाहर जाने पर बच्चों को घबराहट हो सकती है। आप उसकी क्लास टीचर से मिलकर उन्हें बच्चे की इस समस्या के बारे में जानकारी दें। उन्हें बच्चे के साथ स्नेहपूर्ण व्यवहार करने की सलाह दें। छुट्टियां खत्म होने के तीन-चार दिन पहले से ही अपने बच्चे से स्कूल और उसके दोस्तों के बारे में ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें। अगर संभव हो तो क्लासटीचर का मोबाइल नंबर लेकर उनसे बच्चे की बात कराएं। उसे उसके स्कूल फ्रेंड्स के घर भी लेकर जाएं। अगर उसके स्कूल में चाइल्ड काउंसलर हों तो उनकी मदद जरूर लें।

मेरा 4 वर्षीय बेटा अगर किसी चीज के लिए जिद करता है तो उसे बहलाना बहुत मुश्किल होता है। आमतौर पर छोटे बच्चे कुछ समय बाद अपनी जिद की बात भूल जाते हैं, पर मेरा बेटा कई दिनों तक एक ही बात के पीछे पडा रहता है। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?

श्रेया अग्रवाल, कोलकाता

पेरेंटिंग की छोटी-छोटी गलतियों की वजह से ही बच्चे जिद्दी बन जाते हैं। जब हम रोने-चिल्लाने पर बच्चे की बात मान लेते हैं, वह हर बार अपनी बात मनवाने के लिए यही तरीका अपनाता है। बच्चे की यह आदत सुधारने के लिए परिवार सभी सदस्यों को साथ मिलकर कोशिश करनी चाहिए। छोटी-छोटी चीजों के लिए उसे मना न करें। अगर आप उसकी कोई जिद पूरी नहीं करना चाहतीं तो मना करने से पहले उसे कारण जरूर बताएं। इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखें, किसी एक बात के लिए मना करने के बाद उसे दोबारा हां न कहें। अगर वह ज्यादा जिद करे तो उसकी ओर बिलकुल ध्यान न दें। आपकी इन कोशिशों से उसकी यह आदत अपने आप छूट जाएगी।

मेरी 12 वर्षीया बेटी छोटी-छोटी बातों को लेकर अकसर कन्फ्यूज हो जाती है। अगर उसके सामने एक से ज्यादा विकल्प हों तो वह आसानी से निर्णय नहीं ले पाती। उसे देखकर मुझे बहुत चिंता होती है। उसके लिए मुझे क्या करना चाहिए?

राधिका गौड, सोनीपत

आपकी बेटी में आत्मविश्वास की कमी है। ऐसा अकसर तब होता है, जब घर में माता-पिता बच्चे के गुणों को पहचान नहीं पाते। वे उसके हर काम में गलतियां निकालते हैं। आप भविष्य की चिंता करना छोड दें और वर्तमान पर ध्यान दें। रोजाना उसके साथ लाड-प्यार और बातचीत का समय निकालें। उसके हर अच्छे प्रयास की प्रशंसा करें। अगर कभी उससे कोई गलती हो भी जाए तो उसे डांटने के बजाय अकेले में प्यार से समझाएं।

मेरा 9 वर्षीय बेटा पढाई में तो अच्छा है, पर अपने दोस्तों को देखकर अकसर वह मुझसे महंगी और ब्रैंडेड चीजों की मांग करता है। हमारी आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं है कि हम उसकी सारी मांगें पूरी कर सकें। इससे उसके मन में हीन भावना घर करती जा रही है। उसकी इस समस्या का क्या समाधान है?

अर्चना जौहरी, भोपाल

आमतौर पर हीन भावना उन्हीं बच्चों में नजर आती है, जिनके पेरेंट्स स्वयं अपनी आर्थिक स्थिति से असंतुष्ट होते हैं। आप अपनी आर्थिक स्थिति, जीवन मूल्यों और अच्छे सामाजिक व्यवहार पर गर्व महसूस करना सीखें। बच्चे के साथ बातचीत के दौरान भी अपनी इस भावना को दर्शाएं। लोगों के सामने अपने बच्चे की बुद्धिमानी और अच्छे आचरण की प्रशंसा करें। अपने बारे में अच्छी बातें सुनकर उसे भी ख्ाुद पर गर्व महसूस होगा। इससे वह दूसरों की देख-देखी करने के बजाय समझदारी भरा व्यवहार करेगा।

यौन हिंसा से बच्चों का बचाव

-बच्चे को समझाएं कि अन्य अंगों की तरह प्राइवेट पा‌र्ट्स भी उसके शरीर का जरूरी हिस्सा हैं, जिन्हें मम्मी-पापा के अलावा कोई और टच नहीं कर सकता।

-बच्चे को समझाएं कि अगर किसी का छूना उसे अजीब लगे तो वह आपको जरूर बताए।

-उसकी शिकायत को गंभीरता से लें क्योंकि ऐसे मामलों में बच्चे कभी भी झूठ नहीं बोलते।

-बच्चे के साथ नियमित रूप से बातचीत का समय जरूर निकालें, ताकि वह खुलकर आपके साथ अपने मन की बातें शेयर कर सके ।

डॉ. रीमा सहगल


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