स्मार्ट पेरेंटिंग
मेरा 8 वर्षीय बेटा बेहद सरल स्वभाव का है। इससे कई बार मुझे बहुत परेशानी भी झेलनी पड़ती है। वह दूसरों के सामने अपने घर की सारी बातें बता देता है। अगर मैं उसे मना करती हूंं तो कहने लगता है कि आपने ही तो सिखाया है कि हमें झूठ
मेरा 8 वर्षीय बेटा बेहद सरल स्वभाव का है। इससे कई बार मुझे बहुत परेशानी भी झेलनी पडती है। वह दूसरों के सामने अपने घर की सारी बातें बता देता है। अगर मैं उसे मना करती हूंं तो कहने लगता है कि आपने ही तो सिखाया है कि हमें झूठ नहीं बोलना चाहिए। उसे कैसे समझाऊं ?
शिखा जैन, भुवनेश्वर
छोटी उम्र मेें हम अपने बच्चों को जितनी भी अच्छी बातें सिखाते हैं, वे उनका पूरी तरह पालन करने की कोशिश करते हैं, लेकिन उम्र के विकास के साथ जब वे बाहरी दुनिया के संपर्क में आते हैं तो बडों के मुंह से कोई भी बहाना या झूठ सुनकर वे घबरा जाते हैं। उनके लिए यह समझना मुश्किल हो जाता है कि सही क्या है? आपके बेटे के साथ भी यही समस्या है। आप उसे समझाएं कि झूठ और व्यावहारिकता के बीच बहुत बारीक फर्क होता है। अगर वह आपके साथ किसी के घर जाता है तो उसे पहले से समझा कर ले जाएं कि अगर हमें दूसरों के घर पर कोई चीज नापसंद भी हो तो भी हमें उसकी थोडी तारीफ करनी पडती है। अगर हम उस व्यक्ति के सामने उसके घर की बुराई करेंगे तो उसे दुख पहुंचेगा। इसे झूठ बोलना नहीं बल्कि, सामाजिक शिष्टाचार कहते हैं। इसी तरह उसे यह भी बताएं कि हर घर के कुछ फेमिली सीक्रेट्स होते हैं, जिनके बारे में बाहरी लोगों के सामने बातें नहीं करनी चाहिए। आपकी इन कोशिशों से वह सही सामाजिक व्यवहार सीख जाएगा।
मेरी 5 वर्षीया बेटी ज्य़ादातर काम बाएं हाथ से करती है, मैं उसे समझाने की बहुत कोशिश करती हूं कि उसे लिखने और खाने का काम दाएं हाथ से करना चाहिए, पर उस पर कोई असर नहीं होता। उसकी यह आदत कैसे सुधरेगी?
रूपा भार्गव, इंदौर
आप चिंतित न हों। कोई भी बच्चा लेफ्टी होगा या बडे होने के बाद स्वाभाविक रूप से दाहिने हाथ से काम करेगा, यह उसके ब्रेन की बनावट पर निर्भर करता है। आप लोगों की सुनी-सुनाई बातों में न आएं। अपने बच्चे को सहज ढंग से काम करने दें। लेफ्टी बच्चे भी अपने बाएं हाथ से सभी कार्य उसी कुशलता से कर सकते हैं, जैसे कि दूसरे लोग अपने दाएं हाथ से करते हैं।
मैं इस बात को लेकर बहुत ज्य़ादा चिंतित हूं कि मेरा 11 वर्षीय बेटा अभी तक वक्त की पाबंदी नहीं सीख पाया है। शाम को वह जब भी खेलने जाता है तो घर लौटने में अकसर देर कर देता है। सुबह स्कूल के लिए भी सही वक्त पर तैयार नहीं हो पाता। मैं उसे समझाने की बहुत कोशिश करती हूं, पर वह मेरी बातों को अनसुना कर देता है। इसका क्या समाधान है?
कविता सिंह, आगरा
बच्चों की ऐसी समस्याओं के लिए उनके पेरेंट्स ही जिम्मेदार होते हैं और उनका समाधान भी उन्हीं के हाथों में होता है। गलती करने पर जब आप अपने बच्चे को कोई निर्धारित सजा नहीं देंगी और उसे डांटते हुए उसकी सारी जरूरतें पूरी करती रहेंगी तो वह आपकी बातों को कभी भी गंभीरता से नहीं लेगा। आप एक-दो दिनों के लिए उसका खेलने जाना बंद कर दें। जब वह आपसे इसका कारण पूछे तो बिना क्रोधित हुए, लेकिन कडे शब्दों में उसे बताएं कि रोजाना देर की आदत से अब उसे शाम को घर से बाहर निकलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। यदि वह गिडगिडाए तो भी उस दिन उसकी बात न मानें। भविष्य के लिए भी उसे समझा दें कि यदि वह शाम को देर से घर लौटेगा तो अगले दिन भी दोबारा वही सजा दोहराई जाएगी। यदि आप ऐसी कोई भी सजा देती हैं तो हर हाल में अपनी बात पर कायम रहें। यदि आप अपनी बातों पर पूरी तरह अमल करेंगी तो एक-दो महीने में ही वह वक्त की पाबंदी सीख जाएगा और आपको ख्ाुद ही उसके व्यवहार में सकारात्मक बदलाव नजर आने लगेगा।
मेरी 3 वर्षीय बेटी प्ले स्कूल में जाती है। कुछ दिनों तक तो ख्ाुश होकर स्कूल जाती थी, पर आजकल वह बहुत ज्य़ादा रोती है। उसे समझाने की बहुत कोशिश करती हूं, पर कोई फायदा नहीं होता। उसकी आदत सुधारने के लिए मुझे क्या करना चाहिए?
रजनी शाह, अहमदाबाद
अपनी बेटी की क्लास टीचर से मिलकर उसके उदास होने के सभी कारणों पर चर्चा करें। क्या वहां बच्चों के साथ ज्य़ादा सख्ती बरती जाती है या किसी ने उसे डांटा है? यह भी जानने की कोशिश करें कि कहीं कोई बडा बच्चा उसे डराता तो नहीं? कुछ दिनों तक आप उसे ख्ाुद ही स्कूल छोडऩे और लेने जाएं। आपकी बेटी अभी छोटी है और स्कूल के नए माहौल से शायद वह थोडा घबरा गई है। आपके कहने पर जब टीचर्स उसके साथ प्यार से पेश आएंगी तो उसका तनाव दूर हो जाएगा और वह ख्ाुश होकर स्कूल जाने लगेगी।
मेरा 5 वर्षीय बेटा बहुत शरारती है। स्कूल से अकसर उसकी शिकायतें आती हैं। इससे मुझे बहुत शर्मिंदगी महसूस होती है। मैं उसे समझाने की बहुत कोशिश करती हूं, पर उसकी आदतों में कोई सुधार नहीं आ रहा। मुझे उसके लिए क्या करना चाहिए?
देविका शर्मा, लखनऊ
आप अपने बेटे को अनुशासित करने की दिशा में जुट जाएं। उसके स्कूल काउंसलर या किसी मनोवैज्ञानिक सलाहकार से मिलकर उसे बिहेवियर थेरेपी दिलवाएं, जिसमें क्रमबद्ध ढंग से सही व्यवहार की ट्रेनिंग दी जाती है। घर पर भी यह ध्यान रखें कि परिवार का कोई भी सदस्य उसकी शरारतों पर हंसे नहीं, वर्ना उसकी ऐसी आदतों को और बढावा मिलेगा। उसके ऐसे किसी व्यवहार पर सख्त नाराजगी दिखाएं। जितनी जल्द हो सके उसे सुधारने की कोशिश में जुट जाएं। इस कार्य में जितनी देर होगी, उसके व्यवहार को नियंत्रित करना उतना ही मुश्किल होगा।
बचाव टीनएज स्ट्रेस से
-टीनएजर्स पर पढाई का दबाव बहुत ज्य़ादा होता है। इसलिए अपने बच्चे में टाइम मैनेजमेंट की आदत विकसित करें।
-उसे अपनी प्राथमिकताएं पहचानना सिखाएं।
-उसकी गलतियों पर निगेटिव कमेंट्स या दूसरों से उसकी तुलना न करें, बल्कि उसे प्यार से समझाएं।
-इस उम्र में भावनाएं बहुत जल्दी आहत होती हैं। इसलिए टीनएजर्स को दूसरों के सामने डांटने से बचें।
-अपनी सोच पॉजिटिव रखें और उसके साथ हमेशा सकारात्मक बातें करें।
-उसके किसी भी गलत व्यवहार पर उसे शालीनता के साथ, लेकिन स्पष्ट रूप से मना करें।
-उसकी छोटी गलतियों को माफ करके उसके साथ सहज संबंध बनाना सीखें।
-तनावपूर्ण स्थितियों में ख्ाुद भी शांतिपूर्ण ढंग से प्रतिक्रिया व्यक्त करें।
-उसके साथ प्यार भरे माहौल में क्वॉलिटी टाइम बिताएं।
डॉ.रीमा सहगल