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न लगे धूप की नजर

गर्मियों की तीखी धूप न केवल सेहत के लिए नुकसानदेह होती है, बल्कि इसकी वजह से त्वचा की रंगत भी काली पड़ जाती है। क्यों होती है ऐसी समस्या और इससे कैसे किया जाए बचाव, आइए जानते हैं सखी के साथ।

By Edited By: Published: Wed, 29 Apr 2015 11:15 AM (IST)Updated: Wed, 29 Apr 2015 11:15 AM (IST)
न लगे धूप की नजर

बदलते मौसम का सबसे गहरा असर हमारी त्वचा पर नजर आता है। जिस तरह सर्दियों की शुष्क हवाएं उसे रूखी और बेजान बना देती हैं, उसी तरह गर्मियों में सूरज की रोशनी में अल्ट्रावॉयलेट किरणों की अधिकता होती है। इसके प्रभाव से त्वचा की रंगत काली पडऩे लगती है और इसे ही सनटैन कहा जाता है। जिन लोगों की त्वचा ज्यादा संवेदनशील होती है, उनके लिए सूर्य की किरणों को थोडी देर तक भी झेल पाना संभव नहीं होता, वे बहुत आसानी से इस समस्या के शिकार हो जाते हैं। वैसे तो किसी को भी टैनिंग हो सकती है, लेकिन पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों और बच्चों की त्वचा ज्यादा संवेदनशील होती है। इसलिए उन्हें टैनिंग का खतरा सबसे अधिक होता है।

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क्यों होता है ऐसा

भारत की जलवायु ऐसी है कि यहां ज्यादातर लोगों को सनटैनिंग की समस्या होती है। दरअसल सूर्य की नुकसानदेह अल्ट्रावॉयलेट किरणों- यूवीए और यूवीबी के प्रभाव से त्वचा की रंगत में सांवलापन आ जाता है। वास्तव में यह सूर्य की नुकसानदेह किरणों से त्वचा को बचाने की स्वाभाविक प्रक्रिया है। त्वचा की मेलैनोसाइट्स कोशिकाएं व्यक्ति की रंगत निर्धारित करने का काम करती हैं। जब भी हम तेज धूप में बाहर निकलते हैं तो नुकसानदेह किरणों से त्वचा की रक्षा करने के लिए यही कोशिकाएं अधिक मात्रा में मेलेनिन का सिक्रीशन करने लगती हैं। गोरे लोगों की तुलना में सांवली रंगत वाले लोगों की त्वचा में मेलेनिन की मात्रा अधिक होती है। यही वजह है कि सांवली रंगत वाले लोग अपनी उम्र की तुलना में अधिक युवा दिखते हैं। उनकी त्वचा में मौजूद मेलेनिन सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से त्वचा की रक्षा करता है, जिससे असमय झुर्रियां नहीं पडतीं। आजकल बढते प्रदूषण की वजह से वातावरण को नुकसानदेह अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने वाली ओजोन लेयर कमजोर हो चुकी है। इसी वजह से ये किरणें अब पहले की तुलना में अधिक तेजी से त्वचा पर हमला करती हैं। ज्य़ादा देर तक धूप में रहने से न केवल त्वचा की रंगत में सांवलापन आता है, बल्कि इससे फोटो एजिंग की भी समस्या हो सकती है, जिसमें त्वचा पर काले धब्बे और झुर्रियां पडऩे लगती हैं।

कैसे करें बचाव

-जहां तक संभव हो गर्मियों में दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक बाहर निकलने से बचें क्योंकि इस दौरान सूरज से निकलने वाली अल्ट्रावॉयलेट किरणों का असर बेहद तेजी से होता है।

-रोजाना सही एसपीएफ प्रोटेक्शन वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। यह आपकी त्वचा पर बहुत प्रभावकारी सिद्ध होता है। सनस्क्रीन का एसपीएफ पावर सूर्य की हानिकारक किरणों का प्रभाव रोकने की क्षमता के आधार पर निर्धारित किया जाता है। भारत में सामान्य तौर पर 15 से 25 एसपीएफ पावर वाला सनस्क्रीन सूर्य की इन हानिकारक किरणों से सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त होता है। त्वचा की संवेदनशीलता के अनुसार कम या अधिक एसपीएफ वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल किया जा सकता है।

-बाहर निकलने से लगभग आधा घंटा पहले शरीर के खुले हिस्सों पर सनस्क्रीन लगाएं।

-किसी भी सनस्क्रीन का असर दो घंटे से ज्यादा नहीं होता। इसलिए घर से बाहर निकलते समय अपने पर्स में हमेशा सनस्क्रीन रखें और हर दो घंटे के अंतराल पर उसका इस्तेमाल करें।

-स्विमिंग के लिए या किसी हिल स्टेशन पर जाते समय हमेशा सनस्क्रीन लगाना याद रखें क्योंकि इन दोनों स्थितियों में सूर्य की किरणें आपकी त्वचा पर सामान्य अवस्था की तुलना में दस गुना तेजी से असर डालती हैं।

-बाहर निकलते समय अपने सिर को कैप या स्कार्फ से ढंक कर रखें क्योंकि सूर्य की नुकसानदेह किरणें बालों को रूखा बना देती हैं।

-अपने होंठों पर सनस्क्रीन युक्त लिप बाम जरूर लगाएं।

-त्वचा की कुदरती नमी बरकरार रखने के लिए खूब पानी पिएं और अपने खानपान में जूस, शिकंजी, छाछ या लस्सी जैसे तरल पदार्थों की मात्रा बढा दें।

-त्वचा को टैनिंग के प्रभाव से बचाने के लिए रात को सोने से पहले दस मिनट के चेहरे पर खीरे का फेसपैक लगाएं।

-अगर आपकी त्वचा तैलीय है तो जेल युक्त सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें। कम से कम दिन में दो बार क्लींजिंग, टोनिंग और मॉयस्चराइजिंग करें क्योंकि इस मौसम में त्वचा से ऑयल का सिक्रीशन करने वाली सेबेसियस ग्लैंड ज्य़ादा सक्रिय हो जाती है।

-मुल्तानी मिट्टी में गुलाबजल मिलाकर उसका फेसपैक तैयार करें और थोडी देर फ्रिज में रखने के बाद उसे चेहरे पर लगाएं। पैक सूखने के बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें। यह पैक तैलीय त्वचा के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इसके इस्मेताल से मुंहासे नहीं निकलते और टैनिंग का असर भी दूर हो जाता है।

-अधिक रूखी और संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को धूप की वजह से एलर्जी होने का खतरा रहता है। ऐसे लोगों को डॉक्टर की सलाह पर अधिक एसपीएफ पावर वाले सनस्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए। कोशिश यही होनी चाहिए कि सूर्य की किरणें सीधे त्वचा पर न पडें। इसलिए गर्मियों में भी फुल स्लीव्स वाले आउटफिट्स पहनें।

-यह सोचना गलत है कि केवल तेज धूप में बाहर निकलने से ही टैनिंग होती है। हलकी धूप में भी सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणें अपना असर दिखा रही होती हैं। इसलिए धूप न हो तब भी बाहर निकलते वक्त सनस्क्रीन लगाएं।

-घर से बहार निकलते वक्त सनग्लासेज जरूर पहनें।

-आजकल बच्चों के लिए स्पेशल सनस्क्रीन भी आती हैं, जो उनकी कोमल त्वचा के अनुकूल होती है। इसलिए घर से बाहर जाते वक्त उनके शरीर के खुले हिस्सों पर सनस्क्रीन लगाना न भूलें।

- शाम को धूप का असर कम होने के बाद ही बच्चों को खेलने के लिए बाहर भेजें।

अगर इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखा जाए तो गर्मियों का मौसम आपके लिए खुशनुमा बन जाएगा।

क्या है सनबर्न

अकसर लोग टैनिंग और सनबर्न को एक ही समस्या मान लेते हैं, पर दोनों में बहुत अंतर है। टैनिंग की स्थिति में सूरज की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से केवल त्वचा की रंगत में अस्थायी सांवलापन आता है, जो घरेलू उपचार से कुछ समय बाद जल्द ही ठीक हो जाता है। सनबर्न की स्थिति में त्वचा बहुत अधिक मात्रा में सूर्य की नुकसानदेह किरणों का अवशोषण कर लेती है। इससे जीवित कोशिकाओं को बहुत नुकसान पहुंचाता है और पिग्मेंटेशन की प्रक्रिया बहुत तेजी से होती है। इससे त्वचा झुलस कर काली पड जाती है। इसमें जलन और खुजली भी होती है। अधिक संवेदनशील त्वचा वाले लोगों को भी यह समस्या हो सकती है। ज्यादा स्विमिंग या फील्ड जॉब करने वाले लोगों को भी कई बार इसका सामना करना पडता है। ऐसे में त्वचा के प्रभावित हिस्से पर मॉयस्चराइजर लगाना भी फायदेमंद साबित होता है। एलोवेरा की पत्तियों का रस सनबर्न से प्रभावित त्वचा को न केवल राहत पहुंचाता है, बल्कि इससे कुछ उसकी रंगत सामान्य अवस्था में लौट आती है। सनबर्न से प्रभावित स्थान पर दस-पंद्रह मिनट तक ठंडे पानी की पट्टियां रखने से भी जलन और दर्द से राहत मिलती है। अगर ज्यादा तकलीफ हो तो बिना देर किए किसी कुशल त्वचा रोग विशेषज्ञ से सलाह लें।

सखी फीचर्स

(मैक्स हॉस्पिटल गुडग़ांव के सीनियर कंसल्टेंट डर्मेटोलॉजिस्ट डॉ. अनुज पाल से बातचीत पर आधारित)


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