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सखी इनबॉक्स

पिछले कई वर्षो से मैं तुम्हारी नियमित पाठिका हूं। घर की सभी जिम्मेदारियां निभाने में तुम मेरे साथ होती हो। तुमसे मैंने केवल सजना-संवरना ही नहीं सीखा, बल्कि परिवार और समाज के साथ एडजस्ट करना भी सीख रही हूं।

By Edited By: Published: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)Updated: Sat, 02 Aug 2014 11:35 AM (IST)
सखी इनबॉक्स

प्रिय सखी,

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पिछले कई वर्षो से मैं तुम्हारी नियमित पाठिका हूं। घर की सभी जिम्मेदारियां निभाने में तुम मेरे साथ होती हो। तुमसे मैंने केवल सजना-संवरना ही नहीं सीखा, बल्कि परिवार और समाज के साथ एडजस्ट करना भी सीख रही हूं। मैं हर महीने बेसब्री से तुम्हारा इंतजार करती हूं। अब तो तुम्हारी ऐसी आदत पड चुकी है कि ऑफिस जाते समय पर्स में तुम्हें रखती हूं और लंच टाइम में अपनी महिला सहकर्मियों से तुम्हारी बातें शेयर करती हूं। तुम्हारे कारण ही मैं जीवन के हर मोर्चे पर मजबूती से खडी हूं।

अनीता तिवारी पीलीभीत

सखी का जुलाई अंक शानदार था। कवर स्टोरी धुन के मंजीरे पर मन की थाप में लोकगीतों का बडा ही सुंदर विश्लेषण किया गया है। लोकगीतों में नारी मन की भावनाएं समाहित होती हैं। पर्यटन में श्रीशैलम के बारे में जानना अच्छा लगा। लेख चुनें सही प्लांट कंटेनर में दी गई जानकारियां उपयोगी थीं। आशा है आने वाले अंकों में भी ऐसी रोचक रचनाएं पढने को मिलेंगी।

श्यामा सिंह, जोधपुर

सखी का जुलाई अंक हमेशा की तरह लाजवाब था। पत्रिका के इस अंक में जानकारीपूर्ण लेखों का बहुत सुंदर समन्वय था। लेख हमें भी चाहिए खुला आसमान में भारतीय बुजुर्गो की बदलती सोच और जीवनशैली को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया था।

रिमझिम मिश्रा, वाराणसी

सखी के प्रत्येक अंक में कुछ रचनाएं ऐसी होती हैं, जो मेरे पूरे परिवार के लिए विशेष रूप से उपयोगी साबित होती हैं। पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित लेख अधीर होते बच्चे पढने के बाद मुझे पेरेंटिंग के तरीके में बदलाव लाने की जरूरत महसूस हुई। लेख 5 आदतें बदलें और युवा रहें में स्वस्थ और युवा बने रहने के लिए बेहद उपयोगी सुझाव दिए गए थे।

अनुजा सिंघल, चंडीगढ

हाल ही में मेरे पति ने घर से बिजनेस शुरू किया है। ऐसे में लेख जब घर में हो ऑफिस पढने के बाद मुझे अपने घर के इंटीरियर को नए ढंग से संवारने में मदद मिली। लेख क्यों बढती है महंगाई में महंगाई बढने के कारणों के बारे में बहुत सरल ढंग से बताया गया है। कहानी दस्तूर दिल को छू गई।

मयूरी शर्मा, जबलपुर

मैं ऐक्टर सिद्धार्थ मल्होत्रा की बहुत बडी फैन हूं। सखी के जुलाई अंक में उनका इंटरव्यू देखकर दिल खुश हो गया। इसके अलावा लेख त्वचा के 8 बडे दुश्मन में स्किन केयर के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। कितना परफेक्ट है आपका स्टाइल सेंस में दी गई ग्रूमिंग और मेकअप टिप्स उपयोगी साबित हुई। फैशन जिज्ञासा मेरा फेवरिट कॉलम है।

आकृति जोशी, नागपुर

मैं पिछले चार-पांच वर्षो से सखी पढ रही हूं। यह पत्रिका मेरी सारी समस्याओं को दूर करने में मददगार होती है। इसमें हर आयु वर्ग की पाठिकाओं की रुचि से जुडी रचनाओं को प्रमुखता से स्थान दिया जाता है। इसीलिए मैं अपनी सभी सहेलियों को सखी पढने की सलाह देती हूं।

तारा रानी, नोएडा

सखी के जुलाई का अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी धुन के मंजीरे पर मन की थाप स्त्रियों की रचनात्मक सोच को आधार देती नजर आई। मिसाल प्रेरक था। फिजिकली चैलेंज्ड आभा खेतरपाल ने यह साबित कर दिया कि दृढ निश्चय और आत्मविश्वास के बल पर प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अपनी पहचान बनाई जा सकती है।

रोजी गुप्ता, जम्मू

सखी के साथ मेरा बेहद स्नेहपूर्ण संबंध रहा है। सच्चे दोस्त की तरह इसने जीवन के हर मोड पर मेरा साथ दिया है। शादी से पहले मुझे खाना बनना नहीं आता था। ऐसे में मेरी भाभी ने इससे मेरा परिचय करवाया और अब मैं कुकिंग में माहिर हो गई हूं। आज ससुराल में जब लोग मेरी अच्छी आदतों की प्रशंसा करते हैं तो मुझे बेहद खुशी होती है। सच कहूं तो इसका सारा श्रेय सखी को जाता है।

रचना जोशी, देहरादून

सखी की उंगली थामकर मैंने इसके साथ चलना सीखा है। मुझे याद है कि मैं लगभग ग्यारह साल की उम्र से ही अपनी मम्मी के साथ यह पत्रिका पढती आ रही हूं। अब मेरी शादी हो चुकी है और मैं एक बच्चे की मां हूं। शादी से पहले इस पत्रिका से जो कुछ भी सीखा था, मेरी फेमिली लाइफ को ख्ाुशहाल बनाने में अब वही सीख मददगार साबित हो रही है। चाहे घर को सजाना-संवारना हो या बच्चे की देखभाल। मैंने सब कुछ इसी से सीखा है। इतनी अच्छी पत्रिका के लिए आप बधाई के पात्र हैं।

रोली राघव, भोपाल

सखी के जुलाई अंक की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इसकी सभी रचनाएं विविधतापूर्ण जानकारियों से भरपूर थीं। लेख एंग्जायटी डिसॉर्डर : नजरअंदाज न करें इसे पढकर मुझे ऐसा महसूस हुआ कि हमें अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत रहना चाहिए। कहीं खो न जाए असर में बिना सोचे-समझे एंटीबायोटिक दवाओं अधिक सेवन से होने वाले नुकसान के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। लेख नए दौर के ट्रेंडी वर्कआउट्स मेरी फिटनेस के लिए मददगार साबित होगा।

कविता वर्मा, पटना

सखी के जुलाई अंक में सभी रचनाएं एक से बढकर एक थीं। लेख स्वाद की जुगलबंदी में खानपान के सही कॉम्बिनेशन के बारे में बहुत उपयोगी और नई बातें जानने को मिलीं। लेख जगमगाता करियर पढकर मालूम हुआ कि ज्यूलरी डिजाइनिंग के क्षेत्र में भी करियर की बेहतरीन संभावनाएं हैं। लेख टियारा से पाएं शहजादी सा लुक में नई जानकारियां दी गई थीं। इसके अलावा स्थायी स्तंभ भी बेहद रोचक थे।

श्रद्धा देशपांडे, सूरत

प्रिय सखी,

मैं तुम्हें शुक्रिया अदा करना चाहती हूं , क्योंकि तुम्हारी वजह से आज मैं आत्मनिर्भर बनी हूं। सिलाई में रुचि होने के कारण अपने खाली समय का सदुपयोग करने के लिए मैंने घर पर ही अपना बुटीक खोल लिया था। इसी दौरान तुमसे परिचय हुआ और तुमने मुझे फैशन जिज्ञासा, लेटेस्ट ट्रेंड, फैशन, कैंपस से जैसे स्तंभों के माध्यम से नए जमाने के साथ चलने का तरीका समझाया। इसकी वजह मुझे अपने बुटीक को बेहतरीन बनाने का मौका मिला। तुम्हारा साथ पाकर ही मैं परफेक्ट होममेकर और कामयाब बिजनेस वुमन बन गई हूं। थैंक्यू सखी।

नैना शेखर, दिल्ली

प्रिय नैना

सबसे पहले इस कामयाबी के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई। सखी तो केवल माध्यम है। अगर मन में मंजिल तक पहुंचने का जज्बा और सच्ची लगनं हो तो दुनिया की कोई भी ताकत हमें आगे बढने से रोक नहीं सकती।

-संपादक

सखी के जुलाई अंक में दिल्ली डिजायर का समावेश अच्छा लगा। हालांकि, इसकी कीमत में इजाफा हुआ है, लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि इससे पत्रिका की बढती लोकप्रियता पर कोई असर नहीं पडेगा। पत्रिका के इस अंक में वैसे तो सभी रचनाएं पठनीय थीं, लेकिन अति संवेदनशील विषय पर लिखा गया लेख रिश्ते की बुनियाद स्पर्श का संवाद, जिस मर्यादित और शालीन भाषा में लिखा गया है, वह निश्चय ही प्रशंसनीय है। कवर स्टोरी धुन के मंजीरे पर मन की थाप कई मार्मिक लोकगीतों की यादें ताजा कर गई। लोकगीत स्त्री के अव्यक्त मनोभावों की अभिव्यक्ति है। कहानी गुडिया दिल को छू गई। पत्रिका के उज्ज्वल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।

शशि सेन, फरीदाबाद

प्रिय शशि,

आपने हमारे इस प्रयास को सराहा, यह हमारे लिए हर्ष का विषय है। आप जैसी सजग पाठिकाओं के विचारों और सुझावों से ही हमारा मनोबल बढता है।

-संपादक


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