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जब छूट जाए मां का आंचल

हर उम्र के साथ आपके जीवन में बदलाव आता है। आप जब टीनएज में कदम रखते हैं तो एक ऐसे हाथ की ज़रूरत होती है जो आपको हर कदम पर संभाल सके।

By Edited By: Published: Tue, 09 Aug 2016 02:48 PM (IST)Updated: Tue, 09 Aug 2016 02:48 PM (IST)
जब छूट जाए  मां का आंचल
बढती उम्र में मां का साथ छूट जाने से जिंदगी अस्त-व्यस्त हो जाती है। खासतौर पर जब आप टीनएज में होते हैं तो आपके अंदर बहुत से बदलाव आते हैं, जिसके लिए मां का होना और उनकी सीख बहुत जरूरी है। इसी उम्र में दोस्ती, आकर्षण के साथ-साथ शरीर में हार्मोनल बदलाव भी आते हैं। जिससे आप कई ऐसी चीजों के तरफ आकर्षित होते हैं, जो कि सामाजिक तौर पर गलत होती हैं। मैं जब 13 साल की थी, अपनी मां को खो दिया। मैंने टीनएज में कदम रखा ही था कि मां का हाथ मेरे हाथों से छूट गया। ऐसे में मेरी जिंदगी पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गई। कुछ दिनों तक तो कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था कि अब मेरी जिंदगी कैसे चलेगी। घर में पापा और भाई तो थे पर उनसे हर बात कहना मुमकिन नहीं था। टीनएज के चलते मेरे अंदर कई बदलाव भी आ रहे थे। मैंने अपने दोस्तों के साथ समय बिताना शुरू कर दिया। मुझे उनके साथ अच्छा लगने लगा। मैंने घर पर समय बिताना कम कर दिया और दोस्तों के साथ घूमने-फिरने लगी। इन सबके चलते मैं घर पर भी ध्यान नहीं दे पाती थी और मुझे किसी भी तरह की जिम्मेदारी का एहसास नहीं था। मैं छोटी थी, जिसके चलते परिस्थितियों पर काबू पाना मेरे लिए आसान नहीं था। धीरे धीरे मेरा मन पढाई से भी हटने लगा। एक साल ऐसे ही चलता रहा। मुझे ठोकर तब लगी, जब मैं 8वीं कक्षा पास नहीं कर पाई। और मेरी सारी दोस्तों ने मेरा साथ छोड दिया पर मेरे पापा और भाई मेरे साथ खडे रहे। तब मुझे एहसास हुआ कि जिस प्यार और साथ को मैं बाहर ढूंढ रही थी, दरअसल वह तो मेरे घर पर ही मौजूद था। तबसे मैं हर बात अपने परिवार के साथ साझा करने लगी और मुझे अपनी जिम्मेदारियों का भी एहसास हुआ। मैंने अपनी जिंदगी को पटरी पर लाना शुरू कर दिया। अगर आप भी इस स्थिति में हों तो कुछ बातों का विशेष तौर पर ध्यान रखना जरूरी है। बचें इस आकर्षण से लडकों से बात करना या दोस्ती करना बेशक कोई गलत बात नहीं है पर जब आप शारीरिक तौर पर उनकी तरफ आकर्षित होने लगते हैं, तब एक गंभीर समस्या जन्म लेती है। आपको खुद भी समझ नहीं आता कि क्या सही है और क्या गलत। गलत संगत से बचें मां के न होने पर आप कोशिश करते हैं कि आपको कोई ऐसा मिल जाए, जो आपकी बात सुनें और उसे समझें। इन सबके बीच सही दोस्त चुनना बेहद जरूरी है। कभी-कभी हमें ऐसे दोस्त मिल जाते हैं जो कब हमें गलत राह पर ले जाते हैं पता ही नहीं चलता। अचानक से आए अकेलेपन के कारण आप किसी ऐसे दोस्त की तलाश करते हैं जो आपको समझे। ऐसे में आपको अपने दोस्त की सारी बातें सही लगती हैं। आप कच्ची उम्र में होते हैं, जिसके चलते सही गलत का अंतर करना मुश्किल होता है। इसलिए घर पर दोस्तों के बारे में बताना और घर वालों से सलाह लेना बहुत जरूरी है। घर पर बातें साझा करें कोशिश करें कि हर बात घर में किसी न किसी से साझा करें। चाहे वे पापा हों या भाई-बहन कोई भी बात घर वालों से न छिपाएं। घर वालों से ज्य़ादा आपको कोई नहीं समझ सकता और न ही कोई साथ दे सकता है। जब भी आप किसी मोड पर खुद को अकेला महसूस करेंगे तो आपके साथ कोई हो या न हो पर आपका परिवार सदा आपके साथ खडा होगा। टीनएज में गलत संगत या परिस्थितियों से बचने के लिए इन बातों को ध्यान में रख कर आप पहले से सतर्क रह सकती हैं और आप काफी हद तक सही और गलत के बीच फर्क कर पाएंगी। आनिया श्रीवास्तव

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