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तारीफ तो बनती है

तारीफ करने से न केवल आपके रिश्ते मजबूत बनते हैं, बल्कि दूसरों की नजरों में भी आप सम्मान के हकदार बन जाते हैं।

By Edited By: Published: Mon, 02 May 2016 11:32 AM (IST)Updated: Mon, 02 May 2016 11:32 AM (IST)
तारीफ तो बनती है

बहुत अच्छा, शाबाश, परफेक्ट, इसी तरह अपनी कोशिश जारी रखो... बेहद मामूली लगने वाले तारीफ के इन शब्दों में ऐसी जादुई शक्ति होती है कि ये पल भर में दूसरों का हौसला बढा सकते हैं। फिर भी अकसर लोग दूसरों की तारीफ करने में बहुत कंजूसी बरतते हैं। प्रशंसा किसी भी व्यक्ति के मन-मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव डालती है। इससे उसके मन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वह सामने आने वाली हर चुनौती का सामना बहुत आसानी से कर लेता है। जीवन के सभी रिश्तों में मधुरता बनाए रखने के लिए भी दूसरों की तारीफ करना बहुत जरूरी है।

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दांपत्य जीवन में मधुरता

अपनी तारीफ सुनकर ख्ाुश होना एक सहज मानवीय प्रवृत्ति है। इतना ही नहीं, इससे प्रशंसा करने वाले के प्रति हमारे मन में प्यार और सम्मान की भावना पैदा होती है। मिसाल के तौर पर हर घर में पत्नी रोज खाना बनाती है और पति को ऐसा लगता है कि इसमें कौन सी बडी बात है? वह तो अपनी जिम्मेदारी निभा रही है, लेकिन ऐसा सोचना गलत है। जिस तरह सब्जी में नमक तेज होने पर आपका मूड ऑफ होता है, उसी तरह जब कभी पत्नी स्वादिष्ट खाना बनाए तो आपको तहेदिल से उसकी तारीफ करनी चाहिए। यही बात पत्नियों पर भी समान रूप से लागू होती है। अगर पति-पत्नी एक-दूसरे की सच्ची प्रश्ंासा करें तो इससे उनके आपसी रिश्ते में प्यार बना रहता है।

परवरिश का पहला उसूल

पेरेंटिंग का पहला नियम यही है कि बच्चों के हर सार्थक प्रयास की प्रशंसा जरूर करनी चाहिए। इससे वे अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं। ख्ाास तौर पर अगर दूसरों के सामने बच्चों की प्रशंसा की जाए तो इससे उनका आत्मविश्वास बढता है। प्रशंसा के दो शब्द एनर्जी बूस्टर की तरह काम करते हैं। अगर आप बच्चों के हर अच्छे कार्य के लिए शाबाशी देंगे तो वे जीवन के हर क्षेत्र में आगे बढऩे के लिए प्रेरित होंगे और बेहतर ढंग से सीखने का प्रयास करेंगे। इसी तरह अगर उनकी टीचर शाबाशी से बच्चों का मनोबल बढाती हैं तो पेरेंट्स-टीचर मीटिंग में आप उन्हें धन्यवाद देना न भूलें। तारीफ के साथ बच्चे को उसकी गलती का एहसास दिलाना भी बहुत जरूरी है, ताकि उसके व्यक्तित्व का विकास सही ढंग से संभव हो।

प्रोफेशनल लाइफ में प्रशंसा

अगर आप अपने ऑफिस में अधिकारी हैं तो अधीनस्थ कर्मचारियोंं को उनकी गलतियों से आगाह करना आपकी जिम्मेदारी है, पर इसके साथ ही किसी अच्छे कार्य के लिए उनकी प्रशंसा में कोताही न बरतें। अपनी तारीफ सुनकर उनका उत्साह बढेगा और वे पहले से कहीं ज्य़ादा मेहनत और लगन से काम करेंगे। इसी तरह अगर कभी आपके सीनियर आपको कोई अच्छा सुझाव दें या आपका मार्गदर्शन करें तो उन्हें धन्यवाद देना न भूलें। इसके अलावा आपको अपने सहकर्मियों की अच्छी परफॉर्मेंस और कार्य-कुशलता की भी प्रशंसा करनी चाहिए। इससे ऑफिस में कामकाज का माहौल ख्ाुशनुमा बना रहता है, पर ध्यान रहे तारीफ हमेशा सच्ची होनी चाहिए, वरना वह चापलूसी में बदल जाती है।

सामाजिक संबंधों के लिए

अगर आपके पास-पडोस में रहने वाला कोई व्यक्ति अपना कीमती वक्त निकाल कर आपकी मदद करने की कोशिश करता है तो भी आपको उसका शुक्रगुजार होना चाहिए। अगर आपका कोई रिश्तेदार या दोस्त आपको गिफ्ट देता है तो उस व्यक्ति को फोन करके उपहार में दी गई वस्तु की प्रशंसा करना न भूलें। तारीफ करने के मामले में अपने अहं को आडे न आने दें। अच्छे कार्यों के लिए अपने घरेलू सहायक की भी उदारता से प्रशंसा करें। अगर आप दूसरों की सच्ची प्रशंसा करेंगे तो इससे वे न केवल ख्ाुश होंगे, बल्कि उनकी नजरों में आपकी इज्ज़त भी बढ जाएगी। आपके व्यक्तित्व पर भी इसका सकारात्मक असर दिखाई देगा।

सखी फीचर्स

(मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ.जयंती दत्ता से बातचीत पर आधारित)


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