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प्यार में जरूरी काम की साझेदारी

क्या घरेलू कार्यों में सहयोग से शादी सफल हो सकती है? इस पर समय-समय पर बहस होती रही है, लेकिन नए शोधों के अनुसार प्यार का खुमार तब और सिर चढ़ कर बोलता है, जब घरेलू कार्यों में पति-पत्नी की बराबर की हिस्सेदारी होती है। यानी सहयोग व बराबरी पर

By Edited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 03:58 PM (IST)Updated: Sat, 28 Feb 2015 03:58 PM (IST)
प्यार में जरूरी काम की साझेदारी

क्या घरेलू कार्यों में सहयोग से शादी सफल हो सकती है? इस पर समय-समय पर बहस होती रही है, लेकिन नए शोधों के अनुसार प्यार का खुमार तब और सिर चढ कर बोलता है, जब घरेलू कार्यों में पति-पत्नी की बराबर की हिस्सेदारी होती है। यानी सहयोग व बराबरी पर आधारित रिश्ते ही टिकाऊ होते हैं। शादी को सफल बनाने का नया नियम है- घरेलू कार्यों में साझेदारी।

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घरेलू कार्यों में साझेदारी से पति-पत्नी के आपसी रिश्ते सुधरते हैं, इसे भले ही शोध अब साबित कर रहे हों, मगर यह एक व्यावहारिक बात है, जिसे आज के हर दंपती को स्वीकारना चाहिए। तमाम सलेब्रिटीज्ा और आम लोग मानते हैं कि शादी की सफलता धैर्य, समर्पण, विश्वास, संवाद, सम्मान और आपसी समझदारी पर निर्भर करती है। आज के समय में जहां स्त्री-पुरुष दोनों घर से बाहर निकल कर काम कर रहे हैं, वहां घरेलू कार्यों में साझेदारी भी वह महत्वपूर्ण मुद्दा है, जिसे लेकर तकरार होती है और जिसे वैवाहिक जीवन में नकारा नहीं जा सकता।

समय बदल गया है। जीवनसाथी से उम्मीदों का स्वरूप भी काफी बदल चुका है। लडकियों की दबी-सहमी छवि अब मुखर रूप में सामने आने लगी है। लडकों को भी जीवनसाथी के रूप में घरेलू कामों में खटने वाली पत्नी नहीं, बराबरी पर खडी, आत्मनिर्भर और अपने फैसले ख्ाुद लेने वाली पार्टनर चाहिए। युवाघरेलू कार्यों में जीवनसाथी को सहयोग देने के पक्ष में हैं, साथ ही लडकियां भी ऐसा जीवनसाथी चाहती हैं, जो किचन में उनका हाथ बंटाए।

घर के काम और रिश्ते

कुछ समय पहले हुए एक शोध में कहा गया है कि जो कपल्स घरेलू कार्यों में बराबर की हिस्सेदारी निभाते हैं, उनकी सेक्स लाइफ भी बेहतर होती है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और गॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में हुए इस शोध के अनुसार घरेलू कामों में बराबर की हिस्सेदारी निभाने वाले दंपती की सेक्स लाइफ अच्छी होती है। जिस तरह सेक्स संबंधों में फोरप्ले की अहमियत है, उसी तरह घर में 'कोरप्ले की भूमिका है। अब पति का संवेदनशील व सहयोगी रूप देखने को मिल रहा है।

यह शोध लगभग 600 कपल्स पर किया गया था, जिसमें 90 फीसद विवाहित और 10 प्रतिशत लिव-इन में थे। इनकी औसतन एक संतान थी और ये दंपती 30-35 की आयु-वर्ग वाले थे। ज्ााहिर है कि जेंडर रोल रिवर्सल का दौर भले ही शुरू न हो रहा हो, लेकिन स्त्रियोचित या पुरुषोचित जैसे शब्दों की परिभाषा अब व्यापक होने लगी है।

तलाक की बडी वजह

सुप्रीम कोर्ट की एक एडवोकेट स्वीकार करती हैं कि आजकल तलाक के ज्य़ादातर मामलों में घरेलू कार्यों को लेकर आए दिन होने वाली खटपट या नैगिंग जैसे कारण प्रमुख हैं। रिसर्च में एक दिलचस्प बात यह देखने को मिली है कि विवाहेतर संबंधों को भी कई बार कपल्स माफ कर देते हैं, लेकिन काम के बंटवारे को लेकर होने वाले झगडे समझौतों में कम ही बदल पाते हैं।

घरेलू कार्यों को पारंपरिक अर्थ में भले ही स्त्री की ज्िाम्मेदारी समझा जाए, मगर व्यावहारिक जीवन में सहयोग का महत्व अधिक है। इस नई रिसर्च के अनुसार, नए दंपती समानता में यकीन रखते हैं और अपने जीवनसाथी से यही उम्मीद रखते हैं। ज्ााहिर है, समानता के मंत्र को कंठस्थ करने वाले दंपती के आपसी रिश्ते बेहतर होते हैं, जिसका नतीजा होता है बेहतर सेक्स लाइफ।

समानता की हकीकत

स्त्री-पुरुष की बराबरी को लेकर शोधों में भले ही सकारात्मक नतीजे दिख रहे हों, भारत में वास्तविकता थोडी अलग है। पिछले दिनों नेल्सन इंडिया द्वारा भारत के पांच अलग-अलग शहरों में कराए गए एक सर्वेक्षण में लगभग दो तिहाई स्त्रियों ने माना कि उन्हें घर में असमानता का सामना करना पडता है। पीएंडजी के सहयोग से पिछले वर्ष के आख्िारी महीनों में कराए गए इस सर्वेक्षण में मुंबई, चेन्नई, दिल्ली, हैदराबाद और बंगालुरू जैसे बडे शहर शामिल हैं। सर्वे में शिल्पा शेट्टी, मंदिरा बेदी और नेहा धूपिया जैसी सलेब्रिटीज्ा को भी शामिल किया गया। लगभग 70 प्रतिशत स्त्रियों ने कहा कि उनका ज्य़ादातर समय घर के कामों में बीत जाता है और पति के साथ वे वक्त नहीं बिता पातीं। दिलचस्प बात यह है कि 76 फीसद पुरुष भी यही मानते हैं कि खाना बनाने, कपडे धोने या बच्चों की देखभाल जैसे कार्य स्त्रियों के हैं। वैसे एकल परिवारों का चलन बढऩे से थोडा बदलाव भी दिख रहा है। पुरुष घरेलू कार्यों में सहयोग दे रहे हैं, लेकिन इसे पूरी तरह बराबरी नहीं माना जा सकता।

बदलना होगा नज्ारिया

पुरुषों के साथ ही स्त्रियों को भी अपना नज्ारिया बदलना होगा। यदि वे ख्ाुशहाल दांपत्य जीवन की चाह रखती हैं तो उन्हें भी पति का सहयोग लेने को तैयार होना होगा और घरेलू ज्िाम्मेदारियों को ख्ाुद पर ओढऩे और इसे महिमामंडित करने से बचना होगा। परिवार के अन्य सदस्यों को भी इस धारणा से बाहर निकलना होगा कि घरेलू काम सिर्फ स्त्री को ही करने चाहिए। स्त्री-पुरुष के अलग-अलग कार्यों वाली बहस अब पुुरानी हो चुकी है। नई जीवनशैली के हिसाब से कार्यों का बंटवारा करने की ज्ारूरत है।

इससे पहले कुछ ऐसे अध्ययन भी हुए, जिनमें कहा गया कि स्त्रियां खाना पकाने या कपडे धोने जैसे काम करने वाले पुरुषों को कम पसंद करती हैं या उनके दिमाग्ा में यह बात बैठी हुई है कि ये तो स्त्रियोचित कार्य हैं। यह भी कहा गया कि घर में ज्य़ादा ज्िाम्मेदारी निभाने वाले पुरुषों की सेक्स लाइफ उपेक्षित रहती है। मगर नए सर्वेक्षणों व शोधों के बाद समाजशास्त्री और मनोवैज्ञानिक इस नतीजे तक पहुंच रहे हैं कि पत्नी को बराबरी का दर्जा देने वाले पुरुष ज्य़ादा सुखी रहते हैं। ऐसे पुरुषों का सेक्स जीवन औरों के मुकाबले बेहतर होता है। शोध यह भी कहते हैं कि चाइल्ड केयर के मामले में स्त्रियों की ज्िाम्मेदारियां हमेशा पुरुषों से ज्य़ादा रही हैं भले ही वे होममेकर हों या नौकरीपेशा।

गॉर्जिया यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र विभाग के शोधकर्ता डेनियल कार्लसन ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, दृष्टिकोण को बदलना, परिवार और रिश्तों की बेहतरी के लिए एक-दूसरे को सहयोग देना सबसे ज्ारूरी है। यदि पति-पत्नी में एक ख्ाुश व दूसरा नाख्ाुश होगा तो रिश्ते कभी बेहतर नहीं होंगे।

ज्य़ादातर युवा मानते हैं कि पति-पत्नी को एक-दूसरे का सहयोग करना चाहिए। समय के साथ पुराने मूल्यों, मान्यताओं एवं परंपराओं को बदलने की ज्ारूरत पडती है। पारिवारिक और सामाजिक रिश्तों की नींव को मज्ाबूत बनाए रखने के लिए भी ऐसा ज्ारूरी होता है।

पति का सहयोग ज्ारूरी

शिल्पा शेट्टी

मैं अभिनेत्री होने के साथ पत्नी और मां भी हूं। मैं जानती हूं कि आज की स्त्री को एक साथ दो भूमिकाएं निभानी पडती हैं- घर की और दफ्तर की। यदि पति शाम को ऑफिस से आकर बच्चों के होमवर्क में थोडी मदद कर दे तो पत्नी को अच्छा लगता है। सिंगल परिवारों में तो यह और भी ज्ारूरी है कि पति घरेलू कार्यों में पत्नी को सहयोग दे।

मिल कर काम करें दंपती

मंदिरा बेदी

नेल्सन इंडिया के सर्वे में दो तिहाई स्त्रियां यह मानती हैं कि पुरुष घर के कार्यों में बिलकुल सहयोग नहीं देते, यह सुन कर मुझे वाकई दुख होता है। घरेलू कार्य महज्ा स्त्री की ज्िाम्मेदारी नहीं हैं। दांपत्य जीवन को अच्छा बनाए रखने के लिए ज्ारूरी है कि पति-पत्नी मिल-जुल कर सारे काम करें।

इंदिरा राठौर


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