रिश्ते को दें जादू की झप्पी
कुछ मजबूरियां हो सकती हैं, मगर ज्यादातर यह मन की समस्या है कि शादी के कुछ वर्ष बाद ही सेक्स लाइफ का जादू बेअसर होने लगता है। एक्सपर्ट्स कहते हैं कि सेक्स की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती और इसे हर उम्र में एंजॉय किया जा सकता है। रिश्तों में पैशन कैसे जगाएं, जानिए सखी से।
चलो मूवी देखते हैं, डिनर वहीं कर लेंगे..
नहीं मूड नहीं है..
कभी तो मेरे पास भी बैठा करो यार..
और घर के काम कौन करेगा?
तुम बहुत बदल गए हो, मेरे लिए तो वक्त ही नहीं है तुम्हारे पास..
तो क्या काम न करूं, हर वक्त तुम्हारे इर्द-गिर्द घूमता रहूं?
..शादी के कुछ ही वर्ष बाद आम दंपती की जिंदगी में ऐसे दृश्य दिखने लगते हैं। घर-बाहर के बीच की रस्साकशी अकसर रिश्तों पर भारी पडती है। कभी मूड होता है, कभी नहीं होता, कभी स्थितियां नहीं होतीं तो कभी कोई अन्य समस्या रिश्ते पर भारी पड जाती है..। फिर बेडरूम में इंकार बढने लगता है और अनकही दूरी बिस्तर की सिलवटों की तरह फैलने लगती है। दुनिया की सारी झल्लाहट इसी रिश्ते पर तो उतरती है। खामोशी बढती है और घर धीरे-धीरे साइलेंट जोन में तब्दील हो जाता है। पति अखबार में नजरें गडाए रहता है या रिमोट से चैनल बदलता है तो पत्नी का ज्यादातर समय किचन में गुजरता है। संवाद कम होने लगता है तो रिश्ते की गर्मजोशी भी घटने लगती है। सेक्स संबंधों में कही-अनकही शिकायतें शुरू हो जाती हैं। कभी खामोश बगावत होती है तो कभी बेदिली से किया गया समर्पण। एक समय ऐसा आता है, जब दंपती सेक्स से मुंह चुराने लगते हैं। फिर शुरू होती हैं कई भावनात्मक, मानसिक और शारीरिक समस्याएं। मगर वास्तविक समस्या को ढूंढने और उनका हल निकालने के बजाय स्थितियों और पार्टनर पर दोषारोपण शुरू हो जाता है।
रिश्तों में पुराना स्पार्क, जादू या जज्बा जगाना कोई रॉकेट साइंस नहीं है, जिसके लिए गहन अध्ययन, किताबों या सलाहों की दरकार हो। इस पैशन को फिर से जगाया जा सकता है, बस चाहिए- इच्छा, संवाद और रिश्ते पर भरोसा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि सेक्स ड्राइव में कमी शारीरिक कारणों से कम, भावनात्मक-व्यावहारिक कारणों से ज्यादा आती है। जानें क्या हैं आम समस्याएं कपल्स की और उनके व्यावहारिक हल क्या हो सकते हैं-
समस्या : मूड नहीं है
समाधान
जरूरी नहीं कि पार्टनर के हर स्पर्श का मतलब सेक्स हो और यह भी जरूरी नहीं कि हर वक्त सेक्स के लिए किसी का मूड हो। मगर बेरुखी से मना करना, पलट कर सो जाना या लगभग रोते हुए समर्पण करना पार्टनर के प्रति ज्यादती है। मूड न हो तो किस करें, पार्टनर को प्यार से स्पर्श करें, उसके बालों को सहला दें, हथेलियों को छुएं और प्यार से उन्हें जता दें आज नहीं-फिर कभी। अपनी बॉडी लैंग्वेज को पॉजिटिव रखें। सेक्स शरीर का संवाद है, जिससे प्रेम व सम्मान बढता है। मगर शरीर तैयार न हो तो मन और भावनाओं का सहारा लें।
समस्या : शर्म आती है मगर
समाधान
सेक्स लाइफ में जादू जगाने के लिए आपसी हिचक तोडना जरूरी है। हो सकता है मन में कोई रोमैंटिक आइडिया हो या कोई एडवेंचरस पहलू हो, जिसे पार्टनर के सामने न खोल पा रहे हों। इसे शेयर करना सीखें। नए अंदाज, नई बातें, नए आइडिया ज हर जगह काम करते हैं। नई और अनजान जगहों की खोज इंसानी फितरत है। मगर साथ मिल कर नई चीजें करना रोमैंटिक इंटी मेसी को बढाएगा। शादी के शुरुआती वर्षो में आपसी रिश्तों में थोडी हिचक स्वाभाविक है, लेकिन उम्र बीतने के साथ ही शरीर और मन में बदलाव होता है, भावनाएं बदलती हैं..। ऐसे में सेक्स लाइफ में नयापन लाना होगा। इस पहलू पर ध्यान दे सकें तो आगे की जिंदगी में परेशानियों से बच सकते हैं।
समस्या : और भी दुख हैं जमाने में
समाधान
शादी के कुछ वर्ष बाद प्राथमिकताएं बदलने लगती हैं। जीवन की आपाधापी में सेक्स लाइफ पीछे छूटने लगती है। नौकरी, बच्चों और परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए भावनात्मक-शारीरिक जरूरतों को भुलाया जाने लगता है। सिक्के का दूसरा पहलू यह है कि सेक्स वह सुख है, जो जमाने के दूसरे दुखों को भुलाने और उनसे निपटने में मदद करता है। यह महज शरीर का संबंध नहीं है, बल्कि शरीर के माध्यम से मन तक पहुंचने की कला है। कहते हैं, हजार शब्द भी पार्टनर को वह संदेश नहीं दे सकते, जो एक गहरा किस दे सकता है। एक-दूसरे को छोटे-छोटे सुख देने से खुद के प्रति भी व्यक्ति बेहतर महसूस करता है।
समस्या : डिजायर्स में कमी
समाधान
एक्सपर्ट कहते हैं कि शादी के शुरुआती दौर में सेक्स संबंध रोमांचक प्रतीत होते हैं और इनकी फ्रीक्वेंसी अधिक होती है। धीरे-धीरे फ्रीक्वेंसी घटती है और इसके प्रति उत्साह कम होने लगता है। इसका कारण है, एक सा रुटीन और जीवनशैली की व्यस्तताएं। हर चीज की तरह सेक्स संबंधों में भी एक समय के बाद नयापन लाने की जरूरत पडती है। गर्भावस्था, ब्रेस्टफीडिंग, मेनोपॉज, सर्जरी, दवाओं के सेवन जैसी कई स्थितियों में सेक्स ड्राइव कम हो सकती है। कई बार लंबे समय तक सेक्स संबंधों से दूर रहना भी सेक्स की इच्छा को कम कर सकता है। ऐसी स्थिति में सेक्सुअल फैंटसीज की मदद लेने, नई सेक्स पॉजिशंस ट्राई करने, इरॉटिका साहित्य पढने, फिल्म देखने, साथ मिलकर कोई एडवेंचरस काम करने और फोरप्ले बढाने से सेक्स लाइफ में फिर से रोमांच पैदा किया जा सकता है। मगर इसके लिए दोनों ओर से कोशिश जरूरी है।
समस्या : किचन की किच-किच
समाधान
पुरुष के दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है, यह कहावत अब पुरानी हो गई है। इसका दूसरा पहलू यह है कि स्त्री का किचन में ही लगे रहना न सिर्फ उसकी दिनचर्या को उबाऊ बनाता है, बल्कि पार्टनर को भी बोरियत का एहसास कराता है। नया नियम यह कहता है कि कभी-कभी किचन की किच-किच छोडनी चाहिए। सर्वे बताते हैं कि युवा लडके भी अब यह नहीं चाहते कि उनकी जीवनसाथी हर वक्त किचन में घुसी रहे। उन्हें अपने बराबर खडी, आउटगोइंग और एडवेंचरस स्त्रियां ज्यादा पसंद आती हैं। किचन से थोडा समय बचा कर पार्टनर को दें तो रिश्ते और सेहत के लिए फायदेमंद होगा। कभी-कभी घरेलू कार्यो से छुट्टी लें और रोमैंटिक डिनर पर जाएं, अच्छा लगेगा।
समस्या : ऑर्गेज्म में कमी
समाधान
सेक्स लाइफ में ऑर्गेज्म या क्लाइमेक्स को लेकर कई बातें की जाती हैं। स्त्री या पुरुष को मेडिकल समस्या न हो, तो भी यह जरूरी नहीं कि सेक्स संबंधों में हर बार ऑर्गेज्म तक पहुंचें। इंटरकोर्स हमेशा ही बहुत आनंददायक नहीं होता, कभी-कभी इसमें भी समस्या आ सकती है। जैसे, नशे की हालत, अत्यधिक थकान या दबाव, अवसाद, घबराहट या ज्यादा एक्साइटमेंट में क्लाइमेक्स तक पहुंचना मुश्किल होता है। घबराने, आत्मविश्वास खोने या अपराध-बोध से ग्रस्त होने से स्थितियां और बिगडेंगी। पार्टनर का दायित्व है कि वह अपने प्यार और हाव-भाव से साथी को सहज और शांत होने में मदद करे। ऑर्गेज्म का अनुभव न हो तो साथी को दोषी ठहराने या फेक ऑर्गेज्म का सहारा लेने के बजाय समाधान का रास्ता खोजें। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जो दंपती दैनिक कार्यो में बराबर की साझेदारी निभाते हैं, अहं से दूर रहते हैं और फोरप्ले में ज्यादा समय लगाते हैं, उन्हें ऐसी समस्याएं कम होती हैं।
समस्या : अब उम्र कहां रही
समाधान
भारतीय कपल्स 40-50 की उम्र पार करते ही सेक्स संबंधों से भागने लगते हैं। स्त्रियां घर-गृहस्थी की जिम्मेदारियों में उलझ जाती हैं। अकसर सेक्सपर्ट्स के पास ऐसे कपल्स आते हैं, जिनमें पत्नी को लो लिबिडो की समस्या होती है। डॉक्टर्स कहते हैं कि सेक्स की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती, यानी उम्र सेक्स में बाधक नहीं है। पॉजिटिव सोच हो तो 50-60 की उम्र में भी सेक्स संबंधों का आनंद लिया जा सकता है। हालांकि सेक्स की फ्रीक्वेंसी हर उम्र में एक जैसी नहीं हो सकती। उम्र के साथ-साथ शरीर की जरूरतें बदलती हैं और हॉर्मोनल बदलाव होते हैं। इससे समय-समय पर सेक्स की इच्छा में बदलाव आ सकता है, मगर मन में इच्छा व उत्साह कम न होने दें और जीवनसाथी से अपने प्रेम को प्रदर्शित करते रहें।
इंदिरा राठौर