अदा पर उनकी फिदा हो गए
करण और निशा का लव कनेक्शन भी ऊपर से ही जुड़ कर आया था, तभी तो पहली ही मुलाकात में वे एक-दूसरे के हो गए और उम्र भर के बंधन में बंध गए।
टेली इतिहास के सफलतम शो में से एक 'ये रिश्ता क्या कहलाता है' के नायक नैतिक की भूमिका निभा रहे करण मेहरा घर-घर में मशहूर हैं। असल िांदगी में भी वह नैतिक जितने ही कूल हैं। अपनी पत्नी निशा रावल के संग वह ख्ाुशहाल शादीशुदा जिंदगी जी रहे हैं। उनके रिश्ते को लगभग आठ साल हो गए हैं। निशा खुद भी अभिनेत्री हैं।
पहली मुलाकात
करण मेहराहमारी मुलाकात साढे आठ वर्ष पहले हुई थी। पहली नजर में ही मैं समझ गया था कि निशा ही वह शख्िसयत हैं, जो मेरे मिजाज की हैं। आगे चलकर इन्हें ही अपनी जीवनसंगिनी बनाऊंगा। हम दोनों एक-दूसरे को कॉम्प्लिमेंट करते हैं। बिना कहे एक-दूसरे के दिल की बातें समझ जाते हैं। शादी के बाद मैंने इनसे काफी कुछ सीखा है।
निशा रावल : शादी सिर्फ दो लोगों के बीच नहीं होती, बल्कि दो परिवारों की होती है। बनाने वालों ने शादी जैसी संस्था शायद इसलिए भी बनाई कि हम सभ्य जिंदगी जी सकें, वरना मानव प्रजाति बंजारों की जिंदगी जी रही होती। यह एक ऐसा अनुभव है, जिससे गुजरना फख्र का विषय है। मैं ख्ाुद को ख्ाुशिकस्मत मानती हूं, जो करण के साथ इस फीलिंग का जश्न मना रही हूं। आप ही बताएं कि किस रिश्ते में ऐसा होता होगा, जहां दो लोग साथ-साथ बूढे होना चाहते हैं। वह भी खुशी-खुशी, संतुष्टि के भाव के साथ।
करियर ने नहीं डराया
करण : 'हंसते हंसते फिल्म के सेट पर मैं इनसे मिला। निशा उसमें जिमी शेरगिल के अपोजिट हीरोइन थीं। वह हमारी दूसरी मुलाकात थी। उस वक्त निशा का नाम खासा चर्चित था। 'ये रिश्ता क्या कहलाता है तब तक शुरू नहीं हुआ था। हम 'हंसते हंसते की शूटिंग के लिए बाहर गए थे। 45 दिनों का शेड्यूल था। यह वर्ष 2007 की बात है। हम जून में गए थे। जुलाई में जब हम वापस आए, तब तक शादी का मन बना चुके थे। हमारे परिजनों को कोई प्रॉब्लम नहीं हुई। हां इनकी मां को जरा मनाना पडा। 2009 में 'ये रिश्ता क्या कहलाता है शुरू हो गया। शो चल पडा तो उसी साल सितंबर में इनकी बर्थडे पर सगाई की अंगूठी भेंट कर दी।
निशा : सगाई तक तो करण भी लोकप्रिय हो चुके थे। हां, शुरुआती मुलाकातों के दौरान जरूर इनका संघर्ष चल रहा था, मगर मुझे इनके स्वभाव से मुहब्बत हो गई थी। काम के प्रति इनकी लगन, सच्ची श्रद्धा ने मुझे बहुत इंप्रेस किया। मुझे लगा कि जो इंसान अपने काम के प्रति इतना ईमानदार रह सकता है, वह निश्चित तौर पर अपने हमसफर के प्रति भी लॉयल ही रहेगा। एक बार उन्होंने मुझे 'प्रॉमिस रिंग दी थी। रिंग देते समय इन्होंने कहा कि चाहे कुछ हो जाए, हम हमेशा साथ रहेंगे। जिस लडके ने इतना बडा कदम उठा लिया, वह अपनी बात से पलटेगा नहीं। मैं उस पल को कभी नहीं भूल सकती। मेरी आंखें खुशी के आंसू से नम हो गई थीं। उसके बाद से हम लोगों ने पीछे मुडकर नहीं देखा।
गहरी है बॉण्डिंग
निशा : हमारे बीच गहरी बॉण्डिंग है, यह इसलिए कहा जाने लगा कि हम दोनों रीअलिटी शो में भी हाथों में हाथ डाले नजर आते थे। खासकर 'नच बलिए में। तब से कहा जाने लगा कि यार इनकी बॉण्डिंग तो बडी गहरी है। दरअसल करण उस शो में हमारी परफॉरमेंस को लेकर नर्वस थे। लिहाजा हम हाथों में हाथ डाल एक-दूसरे को दिलासा देते थे कि 'ऑल इज वेल।
करण :'नच बलिए ही नहीं, हम जहां भी जाते हैं, हमारी हथेलियां एक-दूसरे की हथेलियों में रहती हैं। देखा जाए तो यह साइकोलॉजिकल भी है कि आप अपने अाीा को झप्पी देकर, हाथों में हाथ रखकर प्यार के कुछ पल बिताएं तो जो पॉजिटिव एनर्जी दोनों में प्रवाहित होगी, वह कमाल की होगी। एक-दूसरे पर भरोसा और गहरा होगा। तभी तो चाहे लिफ्ट हो या शॉपिंग मॉल, मैं इनके हाथ पकडे ही रहता हूं।
दिल्ली व मुंबई कनेक्शन
करण : मैं दिल्ली का हूं। मेरे परिजन नोएडा में रहते हैं। डैड कंस्ट्रक्शन कंपनी में हैं। बडे भाई साहब फैशन डिजाइनर हैं। मां हाउसवाइफ हैं। छोटा सा परिवार है।
निशा : मैं मूल रूप से उत्तराखंड से हूं। पली-बढी मुंबई में हूं। पापा के घर में सब नेवी में हैं। वैसे मेरी मां ने ही मुझे पाला-पोसा है।
शांत व संयत स्वभाव
करण : मैं शुरू से अंतर्मुखी स्वभाव का रहा हूं। कभी मस्ती, मजाक, फुर्सतखोरी नहीं करता था। टॉपर होने के चलते कॉलेज में मेरी चलती थी। लडकियों से भी मैं घिरा रहता था, मगर उनसे बात करने में हिचकिचाहट रहती थी। आज भी सेट पर मैं अपने काम से काम रखता हूं।
निशा : दरअसल नैतिक वाली सारी खूबियां तो इनमें हैं ही, बल्कि करण उस किरदार के एक्सटेंशन हैं। बहुत शांत व केयरिंग, मगर हां, गुस्सा भी आता है इन्हें।
बेहतरीन अंडरस्टैंडिंग
निशा : कितना मजा आता होगा न जो लोग झगडते हों और फिर एक-दूसरे को समझाते हों। टचवुड हम लोगों के साथ ऐसा नहीं है। चीज्ों काफी बैलेंस हैं। आलम यह हो जाता है कि हमें तो मसला ढूंढना पडता है कि एक टॉपिक चूज करें, ताकि उस पर लडा जाए।
करण : हम दोनों के बीच पिलो फाइट होती है। वह तब तक होती है, जब तक निशा गिव अप न करे। कभी-कभार सीरियस फाइट भी होती है लेकिन एक-दूसरे से देर तक नाराज नहीं हो सकते।
यूथ को नसीहत
करण : सबके साथ अलग-अलग परिस्थितियां होती हैं। हमारे मम्मी-पापा के जमाने में जीवन आसान था। अब लोग इंपेशेंट हो चुके हैं। वे वर्चुअल वल्र्ड में जी रहे होते हैं। रिश्ते बनने से पहले टूटने की आशंकाएं नजर आने लगती हैं। हमारे फ्रेंड सर्कल में बहुत लोग ऐसे हैं जिन्हें लाइफ पार्टनर ही नहीं मिल रहे। कई लिव-इन में रह रहे हैं, मगर शादी नहीं कर रहे। हम दोनों ने सही समय पर शादी कर ली। यह मेरे लिए खुशी की बात है।
निशा : हमारे परिजनों की नसीहत रहती थी कि सही समय पर शादी कर लो। उनके लिए वह असल खुशी थी। आज ऐसा नहीं है। लडकियां भी दुनिया एक्सप्लोर करना चाहती हैं। मेरा यही मानना है कि जब तक आप पूरी तरह एंश्योर न हो, तब तक शादी का स्टेप नहीं उठाना चाहिए।
वफादारी की जांच-परख
निशा : अगर आपको किसी की वफादारी चेक करने के लिए जासूस छोडना पडे तो वहां तो प्यार है ही नहीं। सिर्फ वफादारी ही रिश्ते बचाने व बिगाडने को उत्तरदायी नहीं है। रिश्ते ख्ाराब होने के पीछे और भी दूसरे कारण जिम्मेदार हो सकते हैं।
करण : आर्थिक तंगी कई बार गलतफहमियों व अहम के टकराव की वजह बनती है। हमारे मामले में निशा तो स्थापित थीं लेकिन मुझे शादी के दो साल बाद डेली सोप मिला। उसे करने के लिए निशा ने ही मुझे प्रेरित किया। वे मेरे स्ट्रगल पीरियड में हर समय मेरी हिम्मत बढाती थीं। निशा ही मेरा सपोर्ट सिस्टम हैं।
अमित कर्ण