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बिगाडऩा आसान संवारना मुश्किल

कांच की तरह नाज़ुक होते हैं हमारे रिश्ते भी। ज़रा सी लापरवाही से टूटकर बिखर जाते हैं। अपनी खुशियों की खातिर इन्हें प्यार से संभालकर रखना बहुत ज़रूरी है।

By Edited By: Published: Sat, 02 Jul 2016 01:41 PM (IST)Updated: Sat, 02 Jul 2016 01:41 PM (IST)
बिगाडऩा आसान संवारना मुश्किल
वह मुझे कभी भी फोन नहीं करती, वह बडी कंजूस है, उसने मेरे बर्थडे पर सस्ता सा गिफ्ट पकडा दिया, वह मेरी शादी में नहीं आई थी तो फिर मैं उसके घर क्यों जाऊं...? शिकायतों और तानों-उलाहनों की एक लंबी फेहरिस्त अकसर लोगों के पास होती है, जिसकी वजह से वे अपनों से नाराज हो जाते हैं और समय के साथ उनके रिश्तों में कडवाहट बढऩे लगती है। अहं के टकराव की वजह से अकसर उनके रिश्ते टूट जाते हैं। इगो को कहें गो अगर हम अपने रिश्तों को लेकर ऐसी नकारात्मक सोच रखेंगे तो धीरे-धीरे हमारे सभी दोस्त और रिश्तेदार हमसे दूर होते जाएंगे। अहं किसी रिश्ते का सबसे बडा दुश्मन है। इसकी वजह से इंसान अपनी भूल स्वीकारने और माफी मांगने को तैयार नहीं होता। इसी अडिय़ल रवैये की वजह से कई बार लोग छोटी-छोटी बातों पर अपनों से नाराज हो जाते हैं और वक्त बीतने के बाद भी अपने संबंधों को सुधारने की कोशिश नहीं करते। अगर हम अपने अहं को त्याग दें तो हमारे लिए टूटे रिश्तों को संवारना बहुत आसान हो जाएगा। बात करने से बनेगी बात चाहे पारिवारिक रिश्ते हों या प्रोफेशनल, संवादहीनता किसी भी रिश्ते के लिए जहर का काम करती है। इससे गलतफहमियां बढती हैं। फिर एक दौर ऐसा आता है, जब हमारा कोई प्यारा सा रिश्ता हमेशा के लिए टूट कर बिखर जाता है। इसलिए हालात चाहे कितने ही खराब क्यों न हों, हमें अपनों से बातचीत बंद नहीं करनी चाहिए। इससे भविष्य की सारी संभावनाएं खत्म हो जाती हैं। अगर परिवार के किसी सदस्य, रिश्तेदार, दोस्त या कलीग की किसी बात से आपको दुख पहुंचा हो, तो भी उसके बारे में ज्य़ादा लंबे समय तक सोचने के बजाय उसे भूलने की कोशिश करें और किसी भी हाल में उस व्यक्ति से बातचीत बंद न करें। मन ही मन कुढते हुए किसी अपने से संबंध खत्म कर लेने के बजाय उस व्यक्ति को विनम्रतापूर्वक यह जरूर बताएं कि उसकी बातों से आपको कितना दुख पहुंचा है। इससे उसे भी अपनी गलती का एहसास होगा और जल्दी ही उसके साथ आपके संबंध फिर से सहज हो जाएंगे। अब माफ भी करें किसी भी बिगडते रिश्ते को संवारने के लिए यह बहुत जरूरी है कि हम दूसरों को माफ करना और खुद भी माफी मांगना सीख जाएं। चाहे पति-पत्नी के बीच अनबन हो या दोस्तों से मनमुटाव...या फिर सास-बहू के बीच होने वाली मामूली सी तकरार। किसी भी रिश्ते में अगर कोई कडवाहट पैदा हो जाए और आप उसे सच्चे दिल से दूर करना चाहती हैं तो माफी मांगने में संकोच कर करें। अगर आप किसी से छोटी हैं तो गलती न होने पर भी अपने रिश्ते को बचाने के लिए बडे व्यक्ति से माफी मांग लें। किसी की वजह से आपको चाहे कितना भी दुख क्यों न पहुंचा हो, अगर वह आपसे माफी मांग रहा है तो सब कुछ भूल कर आप उसे माफ कर दें। माफी मांगने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इसी तरह माफ करना भी बडप्पन की निशानी है। हमारे रिश्ते अनमोल हैं। इसलिए हमें अपने बिगडे रिश्तों को जल्द से जल्द संवार लेना चाहिए। यह भी ना भूलें बिना सोचे-समझे बोलने की आदत से बचें। कई बार मजाक में कही गई बातों की वजह से भी लोग नाराज हो जाते हैं। कुछ रिश्तों की अपनी अलग मर्यादा और गरिमा होती है। मसलन बडों को यथोचित सम्मान दें। जो आपसे छोटे हैं, उनके साथ सम्मानजनक दूरी बनाए रखें। जहां तक संभव हो, पीठ पीछे दूसरों की बुराई न करें। इस आदत की वजह से अकसर रिश्तों में दरार पड जाती है। अपने करीबी लोगों को त्योहार और जन्मदिन जैसे खास अवसरों पर बधाई या उपहार देना न भूलें। सखी फीचर्स (मनोवैज्ञानिक सलाहकार विचित्रा दर्गन आनंद से बातचीत पर आधारित)

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