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रश्ते संवारने की कला

कई बार ज़रा सी गलतफहमी से हमारे रिश्तों में दरार आ जाती है और वे पल भर में टूट जाते हैं। रिश्तों को संवारना बेहद मुश्किल है। इसके लिए समझदारी, सहनशीलता और धैर्य जरूरी है।

By Edited By: Published: Wed, 25 Jan 2017 04:30 PM (IST)Updated: Wed, 25 Jan 2017 04:30 PM (IST)
रश्ते संवारने की कला
हम सब अपने रिश्तों को अच्छी तरह निभाने की पूरी कोशिश करते हैं। फिर भी कई बार लोगों के बीच मनमुटाव हो ही जाता है। यहां मनोवैज्ञानिक सलाहकार डॉ. अशुम गुप्ता के साथ रूबरू होते हैं, कुछ ऐसी ही स्थितियों से, जब आपसी मतभेद के बावजूद बिगडते रिश्तों को आसानी से संवारा जा सकता है। समय न देने की शिकायत कई बार पत्नी को यह शिकायत होती है कि पति ऑफिस के कामकाज और दोस्तों के बीच व्यस्त होते हैं। इसलिए उनके पास घर-परिवार के लिए समय नहीं होता। वहीं कुछ पुरुषों को पत्नी से यह शिकायत होती है कि उनकी पत्नी हमेशा बच्चों की देखभाल में व्यस्त रहती है और इन जिम्मेदारियों के बीच वह पति को नजरअंदाज कर देती है। इससे उनके आपसी संबंध तनावपूर्ण हो जाते हैं। एक्सपर्ट की सलाह : विनम्रतापूर्वक अपनी गलती स्वीकारना सीखें। व्यस्तता के बावजूद लाइफ पार्टनर के लिए समय जरूर निकालें। उसे इस बात का एहसास दिलाएं कि वह आपके लिए सबसे खटास है। प्रतिस्पर्धा से उपजी कडवाहट पैसे और प्रसिद्धि की होड में शमिल होने वाले लोग हमेशा अपने भाई-बहनों से आगे निकलने की कोशिश करते हैं। अगर किसी वजह से उन्हें अपने लक्ष्य तक पहुंचने में कामयाबी नहीं मिलती तो इससे भाई-बहनों के प्रति उनके मन में कडवाहट पैदा होने लगती है। कई बार प्रोफेशनल राइवलरी की वजह से कलीग्स के बीच भी ईष्र्या-द्वेष की भावना पनपने लगती है। एक्सपर्ट की सलाह : निजी संबंधों को संपन्नता के तराजू पर न तोलें। इसी तरह प्रोफेशनल लाइफ मंल भी अगर आपका कोई कलीग आपसे आगे निकल रहा है तो दुखी होकर उससे अपने संबंध खराब करने के बजाय अपनी प्रोफेशनल स्किल्स सुधारने की कोशिश करें। आमंत्रित न करना विवाह जैसे अवसरों पर व्यस्तता की वजह से कई लोग अपने कुछ रिश्तेदारों को आमंत्रित करना भूल जाते हैं। इससे उनके आपसी संबंध हमेशा के लिए खराब हो जाते हैं, जो दोनों पक्षों के लिए नुकसानदेह है। एक्सपर्ट की सलाह : अगर विवाह, बच्चे का जन्मदिन या ऐसे ही किसी बडे आयोजन पर आप अपने किसी रिश्तेदार को आमंत्रित करना भूल गए हों तो बाद में उससे क्षमा मांग लें। वहीं अगर कोई करीबी व्यक्ति आपको आमंत्रित करना भूल गया हो तो इस बात के लिए अपने मन में नाराजगी न रखें बल्कि खुद ही उसे फोन करके बधाई दें। इससे सारी कडवाहट पल भर में दूर हो जाएगी। अहं की भावना वह मुझे फोन नहीं करता तो मैं पहले उससे क्यों बात करूं, अगर वह मेरे घर नहीं आती तो मैं उससे मिलने क्यों जाऊं, पता नहीं वह अपने आप को क्या समझता है...। अहं की वजह से ही लोगों के मन में ऐसे नकारात्मक विचार आते हैं, जो अंतत: आपसी रिश्तों में दरार की वजह बन जाते हैं। एक्सपर्ट की सलाह : सामाजिक संबंधों की बेहतरी के लिए अहं से दूर रहना बहुत जरूरी है। हो सकता है कि आपका कोई करीबी व्यक्ति अहं की वजह से आपसे बात नहीं करता हो तो आपको खुद ही उससे बातचीत की पहल करनी चाहिए। इससे आपके बीच मौजूद अहं की दीवार टूट जाएगी और वह आपके साथ सहज महसूस करेगा। अहं की वजह से दूसरों के प्रति अपने मन में कोई पूर्वधारणा न रखें, बल्कि ऐसी नकारात्मक सोच को दरकिनार कर सबके साथ खुले दिल से बातचीत करें और उन्हें दोस्त बना लें। बच्चों के आपसी झगडे खेलकूद के दौरान बच्चों का झगडऩा तो स्वाभाविक है लेकिन समस्या तब होती है, जब उनकी इस लडाई में पेरेंट्स भी कूद पडते हैं। कुछ लोग बच्चों के बीच होने वाले मामूली झगडे की वजह से पडोसियों या रिश्तेदारों के साथ अकसर अपने संबंध खराब कर लेते हैं। एक्सपर्ट की सलाह : जहां तक संभव हो, ऐसी अप्रिय स्थितियों से बचने की कोशिश करें। जब भी दो बच्चे आपस में झगड रहे हों तो बडों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे उन्हें समझा कर शांत करें। ऐसे में अपने बच्चे का बचाव करते हुए उसके दोस्त के पेरेंट्स के पास शिकायत लेकर न जाएं। अगर कोई दूसरा व्यक्ति आपके बच्चे की शिकायत करता है तो उसे दिल पर न लें बल्कि उससे कहें कि आप अपने बच्चे को समझा देंगी। बच्चों की वजह से करीबी लोगों के साथ अपने संबंध खराब न करें। पैसे का लेन-देन उधार प्रेम की कैंची है। यह कहावत आपने भी जरूर सुनी होगी। अपनों के बीच जब भी कोई वित्तीय साझेदारी होती है तो उसकी वजह से आपसी संबंधों में कटुता पैदा होने की आशंका बढ जाती है। जब भी हम अपने रिश्तेदारों या दोस्तों के बीच पैसों का लेन-देन करते हैं तो कई बार गलतफहमी या दूसरे व्यक्ति से बहुत ज्य़ादा उम्मीदें रखने की वजह से रिश्ते में तनाव पैदा हो जाता है। इसलिए जहां तक संभव हो, अपने करीबी लोगों के साथ वित्तीय साझेदारी न करें और कभी ऐसा करना पडता है तो इसमें पूरी पारदर्शिता बरतें। एक्सपर्ट की सलाह : अगर कभी आपका कोई दोस्त आपसे उधार मांगता है तो पैसे देते समय उससे यह जरूर पूछ लें कि वह आपके पैसे कब तक वापस करेगा। अगर वह लौटाने में देर लगाए तो दोबारा मांगने में संकोच न बरतें। इसी तरह अगर आपने किसी से उधार लिया है तो उसे निश्चित समय पर लौटाना न भूलें। साथ ही अगर वह व्यक्ति आपसे पैसे वापस मांगता है तो उससे नाराज न हों। जीवनशैली में अंतर संयुक्त परिवारों में पुरानी और नई पीढी के बीच मतभेद का सबसे बडा कारण यही है कि दोनों पीढिय़ों की जीवनशैली एक-दूसरे से बिलकुल अलग है। हालांकि अब समय के साथ बुजुर्गों की सोच में सकारात्मक बदलाव नजर आने लगा है और अब वे युवाओं को समझने की पूरी कोशिश करते हैं। फिर भी कई बार खानपान और रहन-सहन के तरीके में अंतर होने की वजह से दोनों पीढिय़ों के बीच दूरियां बढऩे लगती हैं। यह केवल पुरानी और नई पीढी से जुडा मामला नहीं है बल्कि कई बार युवाओं की सोच में भी काफी अंतर होता है। इससे उन्हें अपने भाई-बहनों या दोस्तों के साथ भी एडजस्टमेंट में समस्या होती है। एक्सपर्ट की सलाह : ऐसी स्थिति में परिवार के सभी सदस्यों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे एक-दूसरे की भावनाओं का खयाल रखें। साथ ही दूसरों की जरूरतों के अनुसार वे अपनी आदतों में भी बदलाव लाने की कोशिश करें। अगर किसी व्यक्ति से ज्य़ादा परेशानी हो तो उसके प्रति मन में नाराजगी रखने के बजाय उससे खुलकर अपनी समस्या पर बातचीत करें। करीबी लोगों की खातिर अगर आपको कुछ सुख-सुविधाओं का त्याग करना पडे तो भी इसके लिए सहर्ष तैयार रहना चाहिए। इससे रिश्ते में मधुरता बनी रहेगी। विनीता

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