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उम्र के हर मोड़ पर बदलती है चाहत

हर उम्र में सेक्स की चाह अलग-अलग होती है। शादी के शुरुआती दौर में डिजायर्स ज्यादा होती हैं, मगर धीरे-धीरे फ्रीक्वेंसी घटती है। जानें उम्र के अलग-अलग पड़ाव पर कैसे रहते हैं सेक्स संबंध।

By Edited By: Published: Sat, 27 Dec 2014 09:22 AM (IST)Updated: Sat, 27 Dec 2014 09:22 AM (IST)
उम्र के हर मोड़ पर बदलती है चाहत

एक्सपटर्स मानते हैं कि उम्र सेक्स की राह में बाधक नहीं है, लेकिन सेक्स संबंधों की फ्रीक्वेंसी अलग-अलग उम्र में अलग हो सकती है। स्त्रियों के संदर्भ में यह बात और महत्वपूर्ण है। पिछले दिनों सेक्सुअल हेल्थ संबंधी एक जर्नल में 50 से अधिक उम्र की कुछ स्त्रियों के विचार प्रकाशित हुए, जो बताते हैं कि उनकी सेक्स लाइफ हमेशा एक जैसी नहीं रहती। हालांकि अनुभव बांटने वाली स्त्रियों में भारतीय स्त्रियां नहीं हैं, लेकिन उनकी ज्िांदगी भारतीय स्त्रियों से बहुत अलग नहीं है। 55 वर्षीय एक स्त्री ने माना कि अपने जीवन में उन्होंने सेक्स संंबधों का सर्वाधिक आनंद 20-30 की उम्र में लिया। इस उम्र में उनकी डिज्ाायर्स उम्र के अन्य पडावों के मुकाबले कहीं ज्य़ादा रहीं। 50 वर्षीय एक सिंगल स्त्री ने कहा कि उनकी दो शादियां टूटीं। इसलिए उनकी सेक्स लाइफ बाधित रही। बच्चों की परवरिश के दौर में भी वे सेक्स संबंधों का आनंद नहीं ले सकीं। मगर 35 की उम्र के बाद उन्होंने इसे ज्य़ादा एंजॉय किया। िफलहाल वह सिंगल हैं और मानती हैं कि सेक्स उनके लिए महत्वहीन हो चुका है। वह इस पहलू पर नहीं सोचतीं, न इसके लिए दोबारा शादी की ज्ारूरत महसूस करती हैं। वह अपने घर-परिवार व बच्चों के साथ ख्ाुश व मस्त हैं। एक अन्य सीनियर सिटिजन का कहना है कि सेक्स में उनकी सक्रियता 40 की उम्र में ज्य़ादा रही। इसके लिए वह अपने घरेलू माहौल को ज्िाम्मेदार मानती हैं। उनका जन्म एक रूढिवादी परिवार में हुआ, जहां सेक्स के बारे में बात करना भी बुरा समझा जाता था। 19 की उम्र में 35 वर्षीय व्यक्ति से उनकी शादी हुई, जो जल्दी ही टूट गई। इसके बाद 30 की उम्र में वह करियर बनाने में व्यस्त हो गईं। 40 की उम्र में जीवन में स्थायित्व आने के बाद उन्होंने दोबारा शादी की, अपनी सेहत और फिटनेस पर ध्यान दिया और एक बार फिर उनकी सेक्स लाइफ शुरू हुई।

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ब्रिटिश रिलेशनशिप एक्सपर्ट ट्रेसे कोक्स की बेस्टसेलर बुक 'सेक्सटेसी में बताया गया है कि उम्र के अनुसार सेक्स डिज्ाायर्स कैसे बदलती हैं।

20+

ख्वाबों-ख्ायालों की दुनिया

इस उम्र में ज्य़ादातर युवा सेक्स संबंधी ख्ायालों में उलझे या खोए रहते हैं। डिज्ाायर्स ज्य़ादा और अनियंत्रित हो सकती हैं। इस उम्र की लडकियां भी सेक्स को लेकर बोल्ड या एक्सपेरिमेंटल होती हैं। ऐसा पाया गया है कि टीनएज से 25 की उम्र तक होमो-सेक्सुअल या बाय-सेक्सुअल संबंध ज्य़ादा पनपते हैं। इस उम्र में फैंटसीज्ा बहुत होती हैं। कई बार वैधानिक ढंग से डिज्ाायर्स पूरी नहीं होतीं तो लोग ग्ालत राह भी पकड लेते हैं। भारत में 20-30 की उम्र शादी के लिए आइडियल मानी जाती है। लिहाज्ाा अनैतिक तरीके से सेक्स डिज्ाायर्स को पूरा करने की ज्ारूरत युवाओं को नहीं पडती।

30+

पेरेंटिंग का दौर

पुस्तक के अनुसार, इस उम्र तक ज्य़ादातर लोग विवाहित जीवन का आनंद उठा रहे होते हैं। सेक्स लाइफ भी स्थिर हो जाती है। इसमें टीनएज वाली अधीरता भले न हो, लेकिन सेक्सुअल जानकारियां बढती हैं, लिहाज्ाा कपल्स एक-दूसरे के प्रति कंफर्टेबल होने लगते हैं। दूसरी ओर इस उम्र में उनका ध्यान पेरेंटिंग की ओर शिफ्ट होने लगता है। इसलिए कई बार सेक्स लाइफ बाधित होती है। प्रेग्नेंसी के दौरान भी स्त्रियों की सेक्स ड्राइव इतनी कम नहीं होती, जितनी डिलिवरी के एक वर्ष बाद तक होती है। इसका कारण है कि उन पर पेरेंटिंग की नई-नई ज्िाम्मेदारियां होती हैं। हालांकि इस उम्र की ज्य़ादातर स्त्रियां ऑर्गेज्म का अनुभव करती हैं, ऐसा कई शोधों में साबित हो चुका है।

40+

बेहतर रिश्तों का समय

कोक्स का मानना है कि इस उम्र के पुरुषों में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और कई अन्य सेहत समस्याओं की शुरुआत होने लगती है। यहां रिश्तों को फिर से जीवंत बनाने की ज्ारूरत होती है। क्योंकि इसी उम्र में विवाहेत्तर संंबंध ज्य़ादा पनपते हैं। ऐसा पाया गया है कि इस तरह के रिश्ते ज्य़ादातर निजी ज्िांदगी के प्रति उदासीनता के कारण पनपते हैं। पोर्न मूवीज्ा देखने वालों में भी इसी उम्र के पुरुष ज्य़ादा होते हैं। इस उम्र में हॉर्मोनल असंतुलन शुरू होने से एक ओर स्त्रियों की सेक्स ड्राइव बढती है तो दूसरी ओर कुछ स्त्रियों में लो लिबिडो की समस्या भी देखी जाती है। स्त्रियां अपने से कम उम्र के पुरुषों की ओर आकर्षित होने लगती हैं। कोक्स का कहना है कि भले ही इस उम्र में सेक्स संंबंधों की फ्रीक्वेंसी कम हो, मगर संबंधों में बेहतर क्वॉलिटी होती है, क्योंकि कपल्स अपनी सेक्स इच्छाओं को अच्छी तरह समझने लगते हैं। लिहाज्ाा सेक्स क्रिया ज्य़ादा आनंददायक, गहरी और संतुष्टि देने वाली होती है।

ऊंचे-नीचे रास्ते प्यार के

व्यस्त दिनचर्या, पेरेंटिंग, बढती ज्िाम्मेदारियां कई बार कपल्स को हैरान करती हैं। उन्हें लगता है कि क्या यही ज्िांदगी है? क्या ऐसी सेक्स लाइफ नॉर्मल कही जा सकती है? यह सच है कि सेक्स लाइफ जीवन के विभिन्न पडावों पर अलग-अलग ढंग से चलती है। शोधों, सर्वे और रिसर्च के आधार पर आम लोगों के सेक्स जीवन के बारे में कुछ सामान्य नतीजे निकाले जा सकते हैं-

शादी के 2 वर्ष बाद तक : इस दौरान सबसे फ्रीक्वेंट सेक्स संबंध बनते हैं। शादी के शुरुआती दिनों में रोज्ा या दिन में दो-तीन बार भी संबंध बन सकते हैं, क्योंकि कपल्स के लिए यह एक अनदेखा-अंजाना सा पहलू होता है, जिसे वे समझना-बूझना और एक्सप्लोर करना चाहते हैं। यहां भावनाएं भले ही कम हों, लेकिन डिज्ाायर्स ज्य़ादा होती हैं। धीरे-धीरे यह सक्रियता कम होती है। संबंधों में स्थिरता आती है। जिज्ञासा कम होने लगती है तो रिश्तों में सुरक्षा पनपने लगती है।

तीन से सात साल : बच्चों के होने के बाद सेक्स संबंध कुछ वर्ष बाधित रहते हैं। ये हफ्ते में एक-दो बार या महीने में एकाध बार तक सिमट सकते हैं। ज्िाम्मेदारियों को संभालने और पेरेंटिंग को एंजॉय करने के क्रम में सेक्स कपल्स के लिए बडा मुद्दा नहीं रहता। यह भी दिलचस्प है कि सेक्स संबंधों की फ्रीक्वेंसी इस दौर में भले ही कम हो, लेकिन इस उम्र में लोग अपनी डिज्ाायर्स पार्टनर से शेयर करने लगते हैं, एक-दूसरे के शरीर और मन को समझने लगते हैं।

आठ से 15 साल तक : जीवन में व्यस्तता बढती है और स्थिरता आती है। सेक्स संबंधों की फ्रीक्वेंसी घटती-बढती है। कभी ये हफ्ते में 3-4 बार हो सकते हैं तो कभी महीने में एक बार भी। यह परफेक्ट उम्र है, जब पति-पत्नी को सेक्स लाइफ पर ध्यान देना शुरू करना चाहिए, क्योंकि इस उम्र में रोमैंटिक स्पेस की ज्ारूरत होती है। शादी के इतने वर्षों बाद कपल्स एक-दूसरे की ज्ारूरतों का ध्यान रखने लगते हैं। उम्र के इस दौर में पति-पत्नी एक-दूसरे के प्रति ज्य़ादा केयरिंग, समझदार और ज्िाम्मेदार होने लगते हैं।

15 साल बाद : भारतीय परिवारों में शादी के 15 वर्ष बाद सेक्स आमतौर पर गौण समझा जाता है। लेकिन यह धारणा अब टूट भी रही है। अब 40 की उम्र के बाद ज्य़ादातर कपल्स सेक्स संबंधों को एंजॉय कर रहे हैं। बीच के दौर में जहां पेरेंटिंग और करियर महत्वपूर्ण होता है, वहीं इस उम्र में व्यक्ति रिश्तों का महत्व समझने लगता है और एक बार फिर सेक्स संबंधों में दिलचस्पी लेने लगता है। इस उम्र में सेक्स संतुष्टि भी देता है और पूर्णता भी। यह भी सच्चाई है कि इस उम्र में सेक्स शरीर से ज्य़ादा मन की ज्ारूरत बनने लगता है।

रिश्ते की सफलता के सूत्र

1. शादी के शुरुआती दौर में एक-दूसरे को समझने के क्रम में विवाद या मतभेद हो सकते हैं, मगर छोटी-छोटी बातों से रिश्तों को आहत न होने दें। मुद्दों को तुरंत सुलझाएं और उन्हें बेडरूम तक न आने दें।

2. एक-दूसरे को फॉर-ग्रांटेड न लें। इस कारण कई ग्ालतियां होती हैं। सुनना-स्वीकारना रिश्ते के लिए ज्ारूरी शर्त है।

3. अगर कभी झगडे के बाद पार्टनर बाहर चला जाए, उसे सॉरी न बोल सकेें और पछताएं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था, तो यकीन जानिए आपका रिश्ता सही ट्रैक पर है। इस पछतावे को आगे न बढऩे दें। तुरंत सॉरी बोलें और रोमैंटिक डेट प्लान कर लें।

4. पति-पत्नी के बीच सेक्स प्यार को अभिव्यक्त करने का सबसे सशक्त माध्यम है। यदि वर्षों बाद भी सेक्स की चाह महसूस करते हों, पार्टनर को मिस करते हों तो इसका अर्थ है कि आपका रिश्ता मज्ाबूत है।

5. यदि पार्टनर के मुंह खोलते ही समझ जाएं कि वह क्या कहने वाला है, उसके बिना कहे उसकी भावनाओं को पढ सकेें तो मान लें कि आपके रिश्ते में स्थायित्व भी है-सुरक्षा भी।

इंदिरा राठौर


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