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भूल जाएं भूलने की आदत

इंटरनेट और मोबाइल जैसी सुविधाओं ने वाकई लोगों के जीवन को आसान बना दिया है लेकिन इन पर बढ़ती निर्भरता की वजह से उनकी शॉर्ट टर्म मेमोरी घटती जा रही है। ऐसी समस्या से बचने के लिए समय रहते सचेत हो जाना ज़रूरी है।

By Edited By: Published: Mon, 03 Apr 2017 04:27 PM (IST)Updated: Mon, 03 Apr 2017 04:27 PM (IST)
भूल जाएं भूलने की आदत

कल जो लडका मुझसे मिलने आया था, उसका नाम याद नहीं आ रहा, अरे! लगता है मेरा मोबाइल ऑफिस में ही छूट गया, ओह, गैस पर दूध का बर्तन चढा कर भूल गई...आपको भी अपने आसपास अकसर ऐसे जुमले सुनने को मिलते होंगे। अगर गौर किया जाए तो आजकल हम सब मोबाइल फोन के रिमाइंडर और फेसबुक के अपडेट्स पर निर्भर रहते हैं। परिचितों और दोस्तों का बर्थडे, बिजली, फोन और इंटरनेट का बिल जमा कराने की तारीख, करीबी लोगों के फोन नंबर्स जैसी छोटी-छोटी बातें पहले सभी को जुबानी याद रहती थीं पर अब हम ऐसे बातें याद रखने की जरूरत नहीं समझते। सभी आवश्यक सूचनाओं के लिए हम पूरी तरह टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गए हैं। यह आदत दिमागी सेहत के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होती है। इसकी वजह से ही हम रोजमर्रा की छोटी-छोटी जरूरी बातें भी भूलने लगते हैं।

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बदल गया है फोकस भुलक्कडपन की एक बडी वजह यह भी है कि अब लोगों का सारा ध्यान फेसबुक और व्हॉट्सएप पर रहता है। इसलिए वे जरूरी बातों को भी गंभीरता से नहीं लेते। अब लोग उन बातों को भी याद रखने की कोशिश नहीं करते, जो उन्हें याद होनी चाहिए। पहले लोगों को ढेर सारे लैंडलाइन नंबर इसी वजह से याद रह पाते थे क्योंकि उनके पास इसके सिवा दूसरा कोई विकल्प नहीं था लेकिन अब सारी सूचनाओं को मोबाइल में सेव करने की सुविधा मौजूद है तो हम उन्हें याद रखने की जहमत नहीं उठाते। बात केवल फोन नंबर की नहीं है बल्कि यह आदत खतरनाक है। बच्चे को पढाते समय अगर कोई बात भूल गए तो पल भर में गूगल पर सर्च कर लेते हैं लेकिन यह जरूरी नहीं है कि वहां से मिलने वाली हर जानकारी सौ फीसदी सही हो। खुद से ज्य़ादा इंटरनेट के सर्च इंजन पर भरोसा करने की आदत व्यक्ति को दिनोंदिन लापरवाह बना रही है। हमारा दिमाग भी किसी मशीन की तरह होता है, उसका जितना अधिक इस्तेमाल होगा, वह उतनी ही तेजी से काम करेगा। ऐसा न करने पर मशीन की तरह ब्रेन भी सुस्त हो जाता है।

जीवनशैली है जिम्मेदार अच्छी सेहत के लिए आठ घंटे की पर्याप्त नींद लेना बहुत जरूरी है पर वैज्ञानिकों द्वारा किए गए रिसर्च से यह साबित हो चुका है कि महानगरों की युवा पीढी रोजाना औसतन पांच-छह घंटे से ज्य़ादा नींद नहीं ले पाती क्योंकि ट्रैफिक की वजह से उन्हें शाम को घर लौटने में अकसर देर हो जाती है। इसलिए रात को वे सही समय पर सो नहीं पाते लेकिन अगले दिन ऑफिस जाने के लिए उन्हें जल्दी उठना पडता है। इसका सीधा असर उनकी स्मरण शक्ति पर पडता है। दिन भर में हम जो कुछ भी सीखते और याद करते हैं, रात को नींद में ही हमारा ब्रेन उन स्मृतियों को सुरक्षित रखने का काम करता है। अगर नींद पूरी न हो तो अगले दिन सुबह व्यक्ति छोटी-छोटी बातें भी भूलने लगता है।

याद रखना होगा आसान यह सच है कि टेक्नोलॉजी पर बढती निर्भरता की वजह से कुछ बातें भूल जाने पर भी हमें ज्य़ादा परेशानी नहीं होती लेकिन बातें याद रखने की कोशिश दिमागी सेहत के लिए हमेशा फायदेमंद साबित होती है। यहां कुछ ऐसे तरीके बताए जा रहे हैं, जिनकी मदद से लोगों और जगहों के नाम, प्रमुख तिथियों और कुछ जरूरी नंबरों को याद रखना बहुत आसान हो जाएगा।

नाम दोहराएं : जब आप किसी से पहली बार मिलते हैं तो उसका नाम सुनने के बाद मन ही मन दो-तीन बार उसका नाम दोहराएं। भले ही उसके साथ पांच मिनट की भी बातचीत हो तो उस दौरान उसे हमेशा उसके नाम से संबोधित करें। इससे आपको उसका नाम आसानी से याद हो जाएगा और उसे भी अच्छा महसूस होगा। शब्दों को इमेज में बदलें : कोई नया नाम सुनने के बाद उसके अर्थ या उससे जुडा कोई भी प्रसंग याद रखने की कोशिश करें। मसलन अगर किसी व्यक्ति का नाम पंकज है, इसके साथ यह भी याद रखें कि इसका मतलब कमल का फूल होता है तो आपको उसका नाम हमेशा याद रहेगा।

अपनाएं रोचक तरीके : हिंदी के कुछ नाम ऐसे भी होते हैं, जिनका अंग्रेजी में मजेदार ढंग से अनुवाद किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर अगर किसी व्यक्ति का नाम लाल बहादुर सिंह है तो उसे आप मूल नाम के साथ रेड ब्रेव लॉयन के नाम से भी याद रख सकते हैं। किसी का पता याद रखने के मामले में भी आप यही फॉम्र्युला अपना सकते हैं।

जरूरी है जुडाव : आजकल व्यस्तता इतनी बढ गई है कि पहली बार मिलने वाले लोगों के मोबाइल नंबर हम अपने पास उनके नाम से सेव कर लेते हैं। बाद में हमारे लिए यह याद करना मुश्किल हो जाता है कि अमुक नाम के व्यक्ति का नंबर हमने क्यों सेव किया था। ऐसे लोगों का नंबर सेव करने से पहले उनके नाम के साथ कोई ऐसा की-वर्ड जरूर लिखें ताकि आपको तुरंत याद आ जाए कि वह मोबाइल नंबर हमने क्यों सेव किया था। मसलन आशीष नामक किसी व्यक्ति से आपने बच्चों के ट्यूशन के लिए बात की थी तो अपने मोबाइल में उसका नंबर ट्यूशन आशीष के नाम से सेव कर लें, बाद में आपको कोई परेशानी नहीं होगी। इसी तरह लोगों के शहर, कॉलोनी या उनके परिचतों के नाम को भी आप की-वर्ड बना सकते हैं।

ऐसे याद रखें नंबर : यह ठीक है कि लोगों के पते और फोन नंबर आपके मोबाइल में सेव होते हैं। फिर भी इन्हें याद रखने का एक आसान तरीका यह भी है कि उन्हें संख्या की तरह नहीं बल्कि शब्दों में याद रखा जाए मसलन किसी का मकान नंबर 315 है तो इसे थ्री वन फाइव के बजाय तीन सौ पंद्रह के रूप में याद रखना ज्य़ादा आसान होगा।

प्रमुख तिथियों के लिंक जोडें : भले ही फेसबुक आपको याद दिलाए पर अपने प्रियजनों का जन्मदिन और शादी की सालगिरह जैसे खास अवसरों को खुद भी याद रखने की कोशिश करें। अकसर आपके कुछ दोस्तों या रिश्तेदारों का जन्मदिन एक-दूसरे के आसपास पडता होगा। आप इसे ऐसे याद रख सकते हैं- मई के महीने में तीन लोगों का जन्मदिन है, सबसे पहले 2 तारीख को सौम्या का, 5 को केतन का और अंत में 28 को आकाश का। इस तरह आप अपनों का बर्थडे कभी नहीं भूलेंगे।

रहें व्यवस्थित : अकसर लोग अपनी चीजें इधर-उधर रखकर भूल जाते हैं। ऐसी समस्या से बचने के लिए जो सामान जहां से उठाएं, उसे वापस वहीं रखने की आदत डालें। अगर आप इन टिप्स को याद रखने की कोशिश में कामयाब होंगे तो जल्द ही भूलने की आदत भी भूल जाएंगे।


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