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दर्द से लड़ने का फॉम्र्युला

मांसपेशियों, जोड़ों और रीढ़ की हड्डी का दर्द आज एक बड़ी समस्या है। हममें से ज्यादातर लोगों को दिन के किसी न किसी वक्त इसका सामना करना पड़ता है। क्या हैं इसके कारण और इससे कैसे बचें, आइए जानते हैं सखी से।

By Edited By: Published: Mon, 03 Nov 2014 03:30 PM (IST)Updated: Mon, 03 Nov 2014 03:30 PM (IST)
दर्द से लड़ने का फॉम्र्युला

व्यस्तता के शोर में हमें एहसास ही नहीं हुआ कि कब दर्द हमारी लाइफस्टाइल  का हिस्सा बन गया। दर्द निवारक स्प्रे हमारी शॉपिंग  लिस्ट में शामिल हो गए और हॉट  वॉटर  बॉटल  हमारी नींद की साथी बन गई। कोई भी उपाय करने से जब हमें दर्द से निजात नहीं मिली तो हमने इसके साथ ही जीना सीख लिया। कभी कंधा, कभी कमर, कभी पीठ तो कभी घुटना- दर्द अपनी जगह बदलता रहा और हम बेबसी के साथ कराहते रहे। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ज्यादातर  मामलों में इस दर्द की वजह हमारी निष्क्रिय लाइफस्टाइल  है? दर्द निवारक दवाओं पर निर्भर रहने की जगह अगर हम इन तीन फॉम्र्युलों को अपनाएं तो हमें इससे राहत मिल सकती है।

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फॉम्र्युला नं 1  गतिशीलता है जरूरी

जिस तरह अधिक समय तक रखी रहने वाली चीज खराब  हो जाती है, उसी तरह हमारे शरीर की मशीनरी भी क्रियाशीलता की कमी के चलते समय से पहले ही जाम होने लगती है जिसका नतीजा होता है दर्द। लंबे समय तक लगातार कंप्यूटर पर काम करना, व्यायाम व खेलकूद का अभाव, हमेशा वातानुकूलित माहौल में रहना और धूप में निकलने से बचना दर्द के प्रमुख कारण हैं। लंबे समय तक बैठे-बैठे काम करते रहने से शरीर के विभिन्न प्वाइंट्स  और मांसपेशियों में खिंचाव आ जाता है। उनका लचीलापन खत्म हो जाता है और जरा सा भी झटका लगने से उनमें दर्द शुरू हो जाता है।

फॉम्युला नं 2 पोस्चर सुधारें

गर्दन, कमर, बाजू आदि अंगों में दर्द होने का प्रमुख कारण गलत पोस्चर  है। विशेष रूप से कुर्सी पर बैठकर कंप्यूटर पर काम करने वाले लोग गलत पोस्चर अपनाते हैं। कई लोग आरामदायक सोफे, बीन बैग या बेड पर गलत पोस्चर में बैठकर या लेटकर पढते या कंप्यूटर पर काम करते हैं। कई लोग चलते वक्त भी गलत पोस्चर अपनाते हैं। यह भी बेहद नुकसानदेह है। ऐसे पोस्चर अपनाने से बचना चाहिए। साथ ही काम के दौरान 15-20 मिनट के अंतराल पर टहलने और कुर्सी पर बैठे-बैठे व्यायाम करने की आदत डालनी चाहिए। ऐसा करने से काफी राहत मिलती है। नियमित रूप से मांसपेशियों को लचीला व मजबूत बनाने वाले व्यायाम करें।

फॉम्र्युला नं 3 पौष्टिक  डाइट लें

डाइट में कैल्शियम और मिनरल्स का अभाव होना भी शरीर में दर्द का कारण बनता है। फास्ट फूड पर निर्भर रहने वाले लोग अकसर अनियमित डाइट लेते हैं जिसमें ये पोषक तत्व नहीं होते। दर्द से बचने के लिए नियमित रूप से पौष्टिक आहार लें जिसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा हो। दूध, दही, पनीर जैसे डेरी पदार्थ भरपूर मात्रा में लें। इसके अलावा विभिन्न विटमिंस जैसे ए, सी, के, बी-12 युक्त खाद्य पदार्थ लेना भी जरूरी है। हरी सब्जियां, फिश, एग, टोफू, मूंगफली, ब्रॉक्ली, खुबानी, गाजर आदि लेना भी फायदेमंद रहता है।

कमर के लिए व्यायाम

- पीठ  के बल लेट कर पैरों को ऊपर की दिशा में उठाएं और कमर को पांच सेकंड तक हवा में रोके रखें। ऐसा रोजाना सुबह-शाम दस-दस बार करें। इससे पीठ दर्द और कमर दर्द में आराम मिलता है।

- पेट के बल लेट कर हाथों को जमीन में टिकाकर छाती और सिर को ऊपर की ओर उठाएं। ऐसा रोजाना सुबह-शाम दस-दस बार करें।

- सीधे खडे होकर दोनों हाथ कमर पर टिकाएं और पीछे झुकने की कोशिश करें। यह व्यायाम भी दस बार करें। इसे करने से कमर के साथ ही कंधे और गर्दन के दर्द में भी आराम मिलता है।

घुटने से संबंधित व्यायाम

- पीठ के बल सीधे लेट कर घुटनों के नीचे तीन इंच का टॉवेल रोल बना कर रखें। इसके बाद उसे घुटनों से पांच सेकंड तक दबाए रखें। इसके बाद ढीला छोड दें। ऐसा लगातार दस बार करें। - सीधा लेटकर बारी-बारी से अपने पैरों को 45  डिग्री के एंगल पर सीधा उठाएं। दस सेकंड तक पैरों को इसी स्थिति में रोके रहें। फिर वापस उन्हें नीचे कर लें। यह क्रिया दस बार करें।

खास टिप्स

- नाइट शिफ्ट और ट्रैवलिंग जॉब करने वाले लोगों का स्लीपिंग पैटर्न अकसर अनियमित होता है जिससे सिरदर्द की समस्या होती है। इसलिए उन्हें खाने और सोने का समय निश्चित करना चाहिए।

- कुछ लोग बहुत मोटा तकिया लगाते हैं। वहीं कुछ लोग सिर्फ गर्दन में ही तकिया लगाते हैं। ये दोनों ही तरीके गलत हैं। मध्यम आकार के तकिये को कंधे तक लगाना चाहिए ताकि सोते वक्त कंधों को भी सपोर्ट मिले।

- काम के दौरान गर्दन को क्लॉकवाइज-एंटीक्लॉकवाइज घुमाने की एक्सरसाइज करें।

- एंकल पेन से बचने के लिए गर्म पानी में पैर डालकर एंकल मूवमेंट करें। साथ ही पंजे के बल खडे होने का उपक्रम करें।

(एशियन इंस्टीटयूट ऑफ मेडिकल साइंसेज हॉस्पिटल, फरीदाबाद के फिजियोथेरेपिस्ट डॉ. कमल किशोर से बातचीत पर आधारित।)


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