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जिंदा रहे जिंदगी

जीवन क्षणभंगुर है। कौन जाने अगले पल क्या हो! क्यों न कुछ ऐसा कर जाएं कि दुनिया से विदा होने के बाद भी हम किसी और के शरीर में जिंदा रह सकेें! हमारे बाद हमारी आंखों से कोई दूसरा दुनिया को देख सके या हमारा दिल किसी और के दिल

By Edited By: Published: Fri, 25 Sep 2015 12:41 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2015 12:41 PM (IST)
जिंदा रहे जिंदगी

जीवन क्षणभंगुर है। कौन जाने अगले पल क्या हो! क्यों न कुछ ऐसा कर जाएं कि दुनिया से विदा होने के बाद भी हम किसी और के शरीर में जिंदा रह सकेें! हमारे बाद हमारी आंखों से कोई दूसरा दुनिया को देख सके या हमारा दिल किसी और के दिल में धडकने लगे। ऑर्गन डोनेशन के ज्ारिये जुडें एक नेक कार्य से, ताकि मरने के बाद भी किसी की मुस्कान बन सकेें।

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ऑर्गन डोनेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जो जीवन ख्ात्म होने के बाद भी आपको जीवित रखती है, किसी की सांसें बन कर। आपका नाम जिंदा रहता है, उस व्यक्ति की आंखों में चमक बनकर। अगर आप इस दुनिया से जाते-जाते किसी को जीवनदान दे जाते हैं तो इससे बडा कोई सुख नहीं है। किसी अपने को खो देने से ज्य़ादा दुखद घटना कोई नहीं होती। जीवन की तरह मृत्यु भी एक ऐसा शाश्वत सत्य है जिसे नकारा नहीं जा सकता। जीवन की इस आवाजाही में जिंदगी को जिंदा रखें ऑर्गन डोनेशन के जरिये। ऑर्गन डोनेशन से जुडे हर पहलू को जानिए और इस पहल को आगे ले जाने में योगदान दें।

जिंदगी बचाने की पहल

भारत में ऑर्गन डोनेशन का रेट प्रति दस लाख पर 0.26 डोनर है, जोकि कई बाहरी देशों की तुलना में बहुत कम है। बाहरी देशों में प्रति दस लाख पर तीस डोनर होते हैं। हमें इस बात पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है, क्योंकि डोनर और स्टोरेज की कमी के कारण जरूरतमंद लोग मौत के आगोश में खो रहे हैं। इस दुविधा से निपटने के लिए आप डोनर बन सकते हैं और इस नेक काम को आगे ले जाने में मदद कर सकते हैं। आपकी एक नेक पहल से न जाने कितने घरों के चिराग जल उठेंगे।

कैसे करें मदद

18 साल से ऊपर की उम्र का कोई भी व्यक्ति अपने अंगों को दान कर सकता है जिसकी मौत ब्रेन डेथ से हुई हो। इसके लिए पहले ही से डोनर कार्ड बनवाना होता है। अगर डोनर की उम्र 18 साल से कम है तो अभिभावक या फिर लीगल गार्जियन की सहमति होना जरूरी होता है।

क्या है प्रक्रिया

हेड इंजरी, स्ट्रोक, ब्रेन ट्यूमर और दूसरी कोई भी बडी बीमारी जिसके चलते ब्रेन डैमेज हो गया हो, लेकिन दिल की धडकनें चल रही हों। ऐसे व्यक्ति की मौत को ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है। दिल की धडकनों के चलने के बावजूद ऐसे व्यक्ति को मेडिकली और लीगली मृत करार दिया जाता है। एक सिंगल डोनर हार्ट, लीवर, किडनी, लंग्स, पैंक्रियाज और छोटी आंत दान करके कई लोगों की जान बचा सकता है। नॉर्मल डेथ के बाद डोनर बनना संभव नहीं है क्योंकि दिल की धडकनों के बंद होते ही महत्वपूर्ण अंगों में ख्ाून का प्रवाह बंद हो जाता है। जबकि नॉमर्ल डेथ के कुछ घंटों के बाद ही कार्निया, हार्ट वॉल्व, इयरड्रम्स, बोन्स आदि ऊतक दान किए जा सकते हैं।

क्या कहता है कानून

ह्यूमन ऑर्गंस एक्ट एंड रूल्स में समय-समय पर बदलाव होते रहते हैं। ब्रेन डेथ की प्रक्रिया को समझने के बाद अब इसे लीगल तौर पर डाइग्नोसिस करने की अनुमति दे दी गई है।

अपनों को करें शामिल

डोनर कार्ड की कोई लीगल पहचान नहीं है इसलिए डोनर बनने का फैसला लेते समय अपने इस विचार को परिवार वालों के सामने रखें। आपके इस विचार को वो समझेंगे और आपके लिए निर्णय लेना ज्य़ादा आसान हो जाएगा। कई बार इस तरह के विचार और बातों को लोग तुरंत नहीं समझ पाते इसलिए धैर्य बनाएं रखें। अपने परिवार वालों को भी इस मुहिम से जुडऩे को प्रेरित करते रहें। किसी को जिंदगी देना बडा पुण्य है। अपनों को इस पहल और सोच का हिस्सा बनाएं।

डॉक्टर से करें परामर्श

ख्ाुद को मानसिक रूप से तैयार करने के लिए आप अपने डॉक्टर से परामर्श करें। अपने फैसले को और मजबूत बनाने के लिए डोनर सेंटर जाकर काउंसलिंग भी करा सकते हैं। काउंसलिंग सेंटर में ऑर्गन डोनेशन की सारी जानकारी दी जाती है। लोगों को ज्य़ादा से ज्य़ादा जागरूक बनाने के लिए इन सेंटर्स को खोला जा रहा है। ऑर्गन डोनेशन को लेकर कई लोग भ्रम में घिरे होते हैं जैसे कि अगर शरीर के अंगों को निकाल लिया गया तो मरने के बाद उन्हें मुक्ति नहीं मिलेगी। इस तरह के सवालों और मानसिक उलझनों को दूर करने के लिए यहां पर लोगों की काउंसलिंग की जाती है। इस अभियान को और आगे ले जाने के लिए इसे हर व्यक्ति तक पहुंचना बहुत जरूरी है। जीवन को मूल्यवान बनाने के लिए अंगदान करें क्योंकि जिंदगी है अनमोल।

धर्म भी हैं साथ

इस दुनिया में ऐसा कोई धर्म नहीं, जो अंगदान के ख्िालाफहो। हर धार्मिक ग्रंथ में अंगदान के महत्व के बारे में बताया गया है। जानें, क्या कुछ कहा गया है हमारे धर्मग्रंथों में-

आत्मा अमर है, ये सब जानते हैं इसलिए हमें शरीर का मोह नहीं करना चाहिए। दान स्वार्थ की भावना से परे है।

भगवतगीता, अध्याय 2:25

जो व्यक्ति किसी की जान बचाता है, वो ऐसा करके इंसानियत को बचा लेता है।

कुरान, अध्याय 5:32

मृत व्यक्ति अपने कर्मों के जरिये इस दुनिया से हमेशा जुडा रहता है।

गुरू ग्रंथ साहिब, पेज 143

त्याग और दूसरों की मदद करना हमारे धर्म की नींव है। जीसस क्राइस्ट ने कहा है कि जो दिल से मिले उसे दिल से ही वापस करो।

द हॉली बाइबल, मैथ्यू, चैप्टर 10:8

रक्तदान महादान

जिंदगी को बचाने और इसकी गति को बनाए रखने के लिए रक्तदान को महादान कहा गया है। जिंदगी के बाद क्या होगा, उसका तो पता नहीं होता लेकिन सांसों के चलते रहने तक आप इस दान के जरिए लोगों की मदद जरूर कर सकते हैं। देश भर में रक्तदान हेतु कई संस्थाएं लोगों में जागरूकता फैलाने का प्रयास कर रही हैं परंतु इनके प्रयास तभी सार्थक होंगे, जब हम स्वयं रक्तदान करने के लिए आगे आएंगे और अपने मित्रों व रिश्तेदारों को भी इस विषय पर विचार करने के लिए प्रेरित करेंगे।

कौन कर सकता है रक्तदान

- कोई भी स्वस्थ व्यक्ति जिसकी आयु 18 से 68 वर्ष के बीच हो

- 45 किलोग्राम से अधिक वजन के स्वस्थ लोग

- जिन लोगोंका हीमोग्लोबिन 12 प्रतिशत से अधिक हो ऐसे समय न करें रक्तदान

- पीरियड्स के दौरान

- लैक्टेशन पीरियड में

वंदना यादव

इनपुट : डॉ. अविनाश सेठ, डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पिटल, गुडग़ांव


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