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सोच समझकर खरीदे पॉलिसी

टैक्स बचाने के लिए कई बार लोग जीवन बीमा की कोई भी पॉलिसी खरीद लेते हैं पर निवेश की दृष्टि से यह समझदारी भरा निर्णय नहीं है। पॉलिसी से पहले फायदे-नुकसान पर विचार ज़रूर करें।

By Edited By: Published: Fri, 14 Oct 2016 10:57 AM (IST)Updated: Fri, 14 Oct 2016 10:57 AM (IST)
सोच समझकर खरीदे पॉलिसी
इनकम टैक्स बचाने के मामले में कुछ लोग बहुत ज्य़ादा जल्दबाजी दिखाते हैं और इस मकसद से वे एक साथ कई छोटी-छोटी पॉलिसीज खरीद लेते हैं पर व्यावहारिक रूप से इसका उन्हें कोई विशेष लाभ नहीं मिलता। ऐसे में दो-तीन के बजाय ज्य़ादा कवरेज देने वाली कोई एक पॉलिसी खरीदना अधिक फायदेमंद साबित होता है। केवल निवेश नहीं है बीमा आमतौर पर लोग जीवन बीमा और निवेश के दूसरे तरीकों के बीच अंतर नहीं कर पाते। लाइफ इंश्योरेंश को निवेश के विकल्प के रूप में नहीं देखना चाहिए क्योंकि यह रिटर्न की दृष्टि से आकर्षक नहीं होता। अगर आप इनकम टैक्स में छूट के लिए निवेश करना चाहते हैं तो इस दृष्टि से पीपीएफ, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) और राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) में निवेश करके ज्य़ादा रिटर्न के साथ इनकम टैक्स में छूट का भी पूरा फायदा उठा सकते हैं। अहमियत ज्य़ादा कवरेज की जीवन बीमा का कवरेज इसलिए भी ज्य़ादा अहमियत रखता है क्योंकि इससे किसी अनहोनी के बाद पॉलिसी धारक के परिवार को पूरी वित्तीय सुरक्षा मिलती है। इसलिए बीमा पॉलिसी खरीदते समय सबसे पहले उसके कवरेज पर ध्यान देना चाहिए। कैसे उठाएं अधिक फायदा लाइफ इंश्योरेंश का अधिक फायदा उठाने के लिए पहली जॉब मिलते ही सबसे पहले जीवन बीमा की पॉलिसी खरीदनी चाहिए। वैसे तो आजकल ज्य़ादातर कंपनियां अपने कर्मचारियों के लिए लाइफ इंश्योरेंस की व्यवस्था करवाती हैं पर यह उनके लिए पर्याप्त नहीं होता क्योंकि प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोग अकसर अपनी जॉब बदलते रहते हैं। इसलिए उन्हें निजी तौर पर भी अपना जीवन बीमा जरूर करवाना चाहिए। जल्दबाजी में न लें निर्णय आयकर की धारा 80 सी के तहत अधिकतम 1.50 लाख रुपये की टैक्स छूट में पीपीएफ, बीमा प्रीमियम, ईएलएसएस, होम लोन और एनएससी आदि भी शामिल है। अकसर लोग यह भूल जाते हैं कि निवेश के इन सभी माध्यमों में से किसी एक के जरिये आयकर में 1.50 लाख रुपये तक की छूट लेने के बाद व्यक्ति किसी अन्य प्रकार की छूट का दावा नहीं कर सकता। अगर किसी व्यक्ति ने पहले होम लोन लिया है तो बेहतर यही होगा कि वह उसकी ज्य़ादा किस्तें चुकाकर स्वयं को कर्ज के बोझ से मुक्त करे क्योंकि होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट की तुलना में व्यक्ति को उससे ज्य़ादा ब्याज चुकाना पडता है। होम लोन चुकाने के बाद वह पीपीएफ और ईएलएसएस में निवेश करे और ज्य़ादा कवरेज वाली कोई एक बीमा पॉलिसी ले। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो अपने निवेश पर टैक्स छूट का पूरा लाभ उठाते हुए बेहतर रिटर्न हासिल कर सकते हैं। सखी फीचर्स (वित्तीय सलाहकार एम. के. अरोडा से बातचीत पर आधारित)

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