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ज़रूरी है सावधानी

होम लोन की सुविधा ने लोगों का जीवन आसान बना दिया है, पर इसका लाभ उठाते समय सतर्क रहना बहुत ज़रूरी है।

By Edited By: Published: Sat, 01 Aug 2015 02:53 PM (IST)Updated: Sat, 01 Aug 2015 02:53 PM (IST)
ज़रूरी है सावधानी

एक समय ऐसा भी था, जब लोग ताउम्र बचत करने के बाद ही अपने लिए मकान या फ्लैट ख्ारीद पाते थे, लेकिन अब होम लोन की उपलब्धता से नौकरी करने वाले सीमित आय वर्ग के लोगों के लिए भी अपने घर का सपना साकार करना बहुत आसान हो गया है। इस प्रक्रिया के तहत लोन लेने वाले व्यक्ति को बैंक के पास अपने घर का दस्तावेज सुरक्षित रखना पडता है। इसके साथ यह शर्त जुडी होती है कि अगर कजर् लेने वाला व्यक्ति रकम नहीं चुका पाएगा तो कजर् देने वाला बैंक उस संपत्ति का सशर्त मालिक बन जाएगा। इस तरह बैंक उस संपत्ति को बेचकर अपनी रकम वसूल कर लेगा। अत: होम लोन के लिए आवेदन करने से पहले इसकी पूरी प्रक्रिया को समझना बहुत जरूरी है।

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क्या हैं शर्तें

हर बैंक में ऋण लेने वाले व्यक्ति के लिए उम्र की पात्रता अलग-अलग है। ज्य़ादातर सरकारी बैंकों में इसकी न्यूनतम आयु सीमा 18 वर्ष है। यदि लोन लेने वाले व्यक्ति की आर्थिक स्थिति अच्छी है तो इसकी अधिकतम सीमा 58 वर्ष तक हो सकती है। इसके अलावा आवेदनकर्ता की आय, लोन लौटाने की योग्यता, संपत्ति व देनदारियां ख्ारीदी जाने वाली संपत्ति की कीमत भी मायने रखती है। यह मापदंड बैंक और समय के अनुसार अलग हो सकते हैं। जब अर्थव्यवस्था में गिरावट आ रही हो, तब बैंक अपने नियमों को सख्त कर देते हैं, वहीं जब अर्थव्यवस्था में चढाव की स्थिति हो तो बैंक भी अपने नियमों में थोडी ढील देते हैं।

आवेदन का सही तरीका

जब आवेदनकर्ता बैंक द्वारा मांगी जाने वाली बुनियादी जानकारियां उपलब्ध करा देता है तो बैंक उससे लोन के लिए आवेदन पत्र भरने को कहता है। साथ ही वह आवेदनकर्ता से एप्लीकेशन फॉर्म में दी गई जानकारियों को सही साबित करने के लिए उसके सपोर्ट में जरूरी कागजात जमा कराने को भी कह सकता है। मसलन आय की जानकारी के लिए इनकम सर्टिफिकेट या सेलरी स्लिप, उम्र के प्रमाण के लिए मतदाता पहचान पत्र आदि। बैंक को अपने बारे में हमेशा सही जानकारियां उपलब्ध कराएं। अपनी आमदनी, नौकरी की जानकारी, संपत्ति और देनदारियों सहित आदि के बारे में बैंक को कोई भी गलत सूचना नहीं देनी चाहिए। किसी महत्वपूर्ण जानकारी को छुपाना या सही सूचना न देना आवेदनकर्ता के लिए बहुत नुकसानदेह साबित हो सकता है क्योंकि बाद में बैंक एप्लीकेशन फॉर्म में दी गई जानकारियों को क्रॉस चेक भी करता है। कोई गलती पकडे जाने पर बैंक आवेदन को ख्ाारिज कर सकता है। इतना ही नहीं इससे आवेदनकर्ता की साख पर भी बहुत बुरा असर पडता है। कुछ लोग फॉर्म भरने के झंझट से बचना चाहते हैं और ब्लैंक एप्लीकेशन फॉर्म पर हस्ताक्षर करके बैंक के प्रतिनिधि से फॉर्म भरने को कह देते हैं क्योंकि उन्हें डर होता है कि ख्ाुद फॉर्म भरते हुए उनसे कोई गलती न हो जाए। सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा करना अनुचित है। हस्ताक्षर करने से पहले सारी बुनियादी जानकारी ख्ाुद भरें। तारीख्ा और लोन का प्रकार आदि भी स्वयं लिखें। आवेदक को एप्लीकेशन फॉर्म और अन्य कागजात के हर पन्ने पर हस्ताक्षर करने चाहिए। जमा कराने से पहले भरे गए एप्लीकेशन फॉर्म की एक फोटो कॉपी अपने पास सुरक्षित रखें। फॉर्म जमा होने के बाद संपत्ति के अनुमोदन और स्वीकृति से जुडे कागजात बिल्डर की ओर से प्रॉपर्टी ख्ारीदने वाले व्यक्ति को दिए जाते हैं।

आय संबंधी प्रमाण

नौकरी करने वालों के लिए : फॉर्म 16 या छह महीने की सेलरी स्लिप

बिजनेस करने वालों के लिए : तीन वर्षों के आयकर रिटर्न की कॉपी, ऑडिट किए हुए प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट की कॉपी और पिछले तीन वर्षों की बैलेंस शीट

साख की जांच : क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के साथ मिलकर बैंक आवेदनकर्ता की साख की जांच करता है। सिबिल (क्रेडिट इन्फॉर्मेशन ब्यूरो इंडिया लिमिटेड) द्वारा की गई जांच से आवेदनकर्ता के क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री की सही जानकारी मिल जाती है। अगर आवेदनकर्ता का क्रेडिट स्कोर 700 या उससे ज्यादा हो और उसकी क्रेडिट हिस्ट्री भी अच्छी हो तो आमतौर पर उसके आवेदन को स्वीकृत कर लिया जाता है। इससे कम स्कोर होने पर लोन का आवेदन अस्वीकृत हो सकता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों से मदद लेने की जरूरत पडती है, लेकिन वहां ब्याज दर बहुत ज्य़ादा होती है। इसके अलावा आवेदक सिबिल से अपने क्रेडिट स्कोर और क्रेडिट हिस्ट्री की जानकारी लेकर अपने कम स्कोर की वजह पूछ सकते हैं। कुछ मामलों में सिबिल द्वारा आवेदन की कुछ मामूली विसंगतियों को हटा दिया जाता है। इससे आवेदक का क्रेडिट स्कोर सुधर जाता है और लोन को मंजूरी मिल जाती है।

जानकारी की जांच

जब बैंक आवेदक के क्रेडिट स्कोर और के्रडिट हिस्ट्री से संतुष्ट हो जाता है तो वह उसके द्वारा मुहैया कराई गई जानकारियों की जांच करता है। इसके लिए बैंक आवेदक के ऑफिस या घर पर फोन करके जांच कर सकता है। आवेदक के घर या ऑफिस में जांच के लिए बैंक का कोई प्रतिनिधि आ सकता है। इसके अलावा बैंक वकील के माध्यम से सब-रजिस्ट्रार ऑफिस से उस प्रॉपर्टी की भी जांच कर सकता है, जिसे आवेदक ख्ारीदने जा रहा है। कुछ बिल्डर पहले से ही सभी औपचारिकताएं पूरी कर लेते हैं, ताकि ख्ारीदार को आसानी से लोन मिल जाए। ऐसी स्थिति मेें आवेदक के लिए प्री-अप्रूवल संबंधी कागजात जमा करवाना अनिवार्य होता है। इसके बाद आता है-आवेदन का सबसे महत्वपूर्ण और अंतिम दौर, जहां पहुंचने के बाद यह तय किया जाता है कि आवेदक को कितना लोन मिलेगा। यह मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता है- पहला मार्जिन और आवेदक द्वारा लोन लौटाने की क्षमता। मार्जिन का तात्पर्य यह है कि बैंक होम लोन लेने वाले से यह सुनिश्चित करता है कि वह व्यक्ति प्रॉपर्टी में ही निवेश करेगा। लोन लौटाने की क्षमता का पता लगाने के लिए बैंक व्यक्ति की आमदनी के सभी साधनों के बारे में दी गई जानकारियों को भी क्रॉस चेक करता है और इससे संतुष्ट होने के बाद लोन को मंजूरी मिल जाती है।

यह भी न भूलें

अगर आप प्रॉपर्टी ख्ारीदने की योजना बना रहे हैं तो होम लोन के लिए आवेदन करते समय इन गलतियों से बचने की कोशिश करें :

-अकसर लोग प्रॉपर्टी का चुनाव करने से पहले ही बैंक का चुनाव कर लेते हैं। इसका नुकसान यह हो सकता है कि अगर वह बैंक किसी कारण से उस संपत्ति पर लोन देने से इंकार कर दे तो आपको दोबारा नए सिरे से अपने लिए बैंक का चुनाव करना पडेगा। अगर आप अपने लिए प्रॉपर्टी का चुनाव पहले करते हैं तो आपके सामने कई विकल्प मौजूद होंगे और आपको सबसे सस्ते ब्याज दर पर लोन मिल सकता है।

-कुछ लोग यह सोचकर बेफिक्र हो जाते हैं कि पजेशन मिलने में काफी देर है, लेकिन जरूरत के समय पैसों का इंतजाम न हो पाने के कारण अकसर लोगों को बहुत परेशानी झेलनी पडती है। इसलिए डाउन पेमेंट के लिए आवश्यक धनराशि पहले से ही जुटा कर रखें।

-अपने होम लोन को फिक्स्ड और फ्लोटिंग, दोनों में से कौन से ब्याज दर पर लेना बेहतर होगा? अकसर लोग इस बात पर ज्य़ादा सोच-विचार नहीं करते, पर इससे भविष्य में उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड सकता है। ऐसे मामलों में विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

-अकसर लोग बिल्डर के कहने पर बिना सोचे-समझे उसके द्वारा सुझाए गए बैंक से अपना होम लोन फाइनेंस करवा लेते हैं। इससे उन्हें उचित ब्याज दर पर लोन नहीं मिल पाता। ऐसी स्थिति से बचने के लिए पहले इंटरनेट के माध्यम से यह मालूम करें कि किस बैंक में ब्याज दर सबसे कम है। फिर उसी बैंक से अपना होम लोन फाइनेंस करवाएं। ब्याज दर के अलावा प्रोसेसिंग फीस, प्री-पेमेंट चार्ज, लीगल और वैल्यूएशन फीस आदि सारी जानकारियां हासिल करने के बाद पूरी तरह संतुष्ट होने पर ही बैंक का चुनाव करें। अकसर लोग पैसे बचाने के चक्कर में होम लोन का बीमा करवाने से कतराते हैं, लेकिन होम लोन इंश्योरेंस आपके परिवार की आर्थिक सुरक्षा के लिए बहुत जरूरी है। इसका फायदा यह है कि अगर लोन लेने वाले व्यक्ति के साथ कोई अनहोनी हो जाए तो उसके परिवार को िकस्तें चुकाने की जरूरत नहीं पडती।

-आजकल लोन दिलाने के नाम पर धोखाधडी की घटनाएं बढ रही हैं, इसलिए बैंक के एग्जिक्यूटिव का पहचान पत्र देखे बिना उससे होम लोन के बारे में कोई बातचीत न करें।

-लोन के दस्तावेज पर छोटे अक्षरों में लिखी गई अति आवश्यक जानकारी को ध्यान से पढऩे के बाद ही उस पर हस्ताक्षर करें।

-अगर सारे कागजात जमा कराने के बाद किसी वजह से आप लोन लेने का इरादा बदल देते हैं तो बिना देर किए बैंक को इसकी सूचना दें।

-अगर निर्धारित समय सीमा के भीतर आपको लोन की स्वीकृति या अस्वीकृति की सूचना नहीं मिलती तो कस्टमर केयर या बैंक के ब्रांच से संपर्क करके उसके बारे में पूरी जानकारी हासिल करें।

सखी फीचर्स

(वित्तीय सलाहकार राकेश पोपली से बातचीत पर आधारित)


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