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बचत से संवारें बजट

अगर पल भर के लिए भी आपको ऐसा लगता है कि किसी खर्च को टाला जा सकता है तो उसी वक्त अपना इरादा बदल लें। इससे बचत के साथ बजट भी संतुलित रहेगा।

By Edited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 03:52 PM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2017 03:52 PM (IST)
बचत से संवारें बजट

मौजूदा हालात में बचत की पारंपरिक परिभाषा बदल गई है। अब इसका मतलब यह कतई नहीं है कि आप अपने घर पर कैश बचाकर रखें बल्कि कुछ भी खरीदने से पहले यह सोचना जरूरी है कि क्या वाकई आपको उसकी जरूरत है या नहीं? कल की चिंता में अपना आज खराब क्यों करना? भविष्य के लिए जब भी बचत की बात की जाती है तो अकसर लोग यही सोचते हैं लेकिन खर्च के मामले में अपनाई गई थोडी सी सूझबूझ भविष्य में आपको कई तरह की आर्थिक परेशानियों से बचा सकती है। पैसे खत्म होने के बाद पछताने से बेहतर यही होगा कि घर का बजट बनाते समय अनावश्यक खर्च को शुरू से ही नियंत्रित किया जाए।

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लें परिवार का सहयोग परिवार के सभी सदस्यों की जरूरतें अलग होती हैं। इसलिए बजट बनाने की प्रक्रिया में पति-पत्नी के साथ बच्चों और बुजुर्गों को भी शामिल करना चाहिए। सभी के सुझाव आपके लिए अहमियत रखते हैं। जब लोगों को पहले से ही यह बात मालूम हो जाएगी कि इस महीने किन खर्चों में कटौती की जा रही है तो वे अनावश्यक वस्तुओं की मांग नहीं करेंगे।

किस्तों में भुगतान से बचें अकसर ईएमआइ का प्रलोभन लोगों को आकर्षित करता है। इसके लालच में लोग अपने घर के लिए वैसी महंगी चीजें भी खरीद कर ले आते हैं, जो उनके लिए जरूरी नहीं होतीं। भले ही कंपनियां जीरो परसेंट ब्याज पर सामान बेचने का दावा करती हैं पर लोगों को यह मालूम नहीं होता वे कि पहले ही उस वस्तु की कीमत बढा कर रखती हैं। लोग यह सोचकर खुश होते हैं कि कंपनी उनसे कोई ब्याज नहीं ले रही है पर उन्हें ज्य़ादा कीमत पर चीजें खरीदनी पडती हैं। समझदारी इसी में है कि जब तक अति आवश्यक न हो ईएमआई पर चीजें न खरीदें और सोच-समझकर खर्च करें। भविष्य में की जाने वाली खरीदारी को ध्यान में रखते हुए अपने खर्च में कटौती करें। जब आपके बैक अकाउंट में पर्याप्त पैसे जमा हो जाएं, तभी आप अपनी मनपसंद वस्तु खरीदें। जहां तक संभव हो क्रेडिट कार्ड के बजाय डेबिट कार्ड का इस्तेमाल करें। अगर क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करती हैं तो निर्धारित समय से पहले बकाया राशि का भुगतान करना न भूलें।

खुद बनाएं अपना बजट आप अपने परिवार की फाइनेंस मिनिस्टर हैं और परिवार की जरूरतों को आपसे बेहतर कोई दूसरा नहीं समझ सकता। इसलिए यह जरूरी नहीं है कि घर का बजट बनाने के लिए हमेशा फाइनेंशियल एक्सपर्ट से सलाह ली जाए। आप खुद भी अपने परिवार का बजट बना सकती हैं। हां, इस दौरान अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो आपके लिए बजट बनाना आसान हो जाएगा :

सबसे पहले राशन के अलावा छोटे हिस्सों में होने वाले खर्चों, मसलन फल-सब्जी, दूध, अंडे, बेकरी प्रोडक्ट्स, प्रतिदिन ऑफिस में होने वाले छिटपुट खर्चों की सूची बना लें। अब आप उन मदों की सूची बनाएं जहां आपको पैसे का भुगतान करना है। मसलन, होम या कार लोन की किस्तें, बच्चों की स्कूल और ट्यूशन फीस, टीवी ब्रॉडबैंड कनेक्शन, बिजली, इंटरनेट और फोन का बिल, घरेलू सहायकों का वेतन आदि। फिर इस सारे खर्च को जोड लें। इससे आपको महीने की शुरुआत में यह मालूम हो जाएगा कि आपकी आय का इतना हिस्सा हर हाल में खर्च होगा।

वैसी आकस्मिक जरूरतों की एक अलग सूची जरूर बनाएं, जिन पर बीच में कभी भी खर्च करना पडता है। मसलन, मामूली बीमारियों के दौरान डॉक्टर की फीस और दवाओं पर होने वाला खर्च, मेहमानों, घर और कार से जुडी छोटी-छोटी मरम्मत पर होने वाला व्यय आदि। मान लीजिए पूरे साल में अनुमानित रूप से होने वाले इस खर्च की कुल राशि 60,000 है तो इसे 12 हिस्सों में बांट दें और हर महीने के बजट में 5,000 रुपये ऐसी आकस्मिक जरूरतों के लिए रखें। ध्यान रहे कि इसका इस्तेमाल किसी भी दूसरे मद में नहीं होना चाहिए। अगर किसी महीने में अचानक ऐसी कोई जरूरत नहीं आई हो, तो भी इस राशि को अलग से सुरक्षित रखें। अपनी मासिक आय में प्रतिमाह कम से कम 5त्न तक बचत जरूर करें और साल के अंत में इस राशि को किसी अच्छे प्लैन में निवेश करें। निवेश के दौरान इस बात का भी पूरा ध्यान रखें कि उसका लॉकइन पीरियड ज्य़ादा लंबा न हो ताकि आकस्मिक स्थिति में आप वहां से बिना किसी नुकसान के अपनी जमा राशि वापस निकाल सकें। सभी बिलों का भुगतान सही समय पर करें ताकि देरी की वजह से फाइन न भरने की नौबत न आए। अगर किसी महीने के अंत में आपको आर्थिक तंगी महसूस हो रही हो तो अगले महीने कुछ गैर जरूरी खर्चों में कटौती करके नुकसान की भरपाई कर लें।

लक्ष्य पर अडिग रहें बजट बनाते समय आप अपने मासिक खर्च की अधिकतम सीमा निर्धारित करें और पूरे महीने इस बात का ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि किसी भी हाल में आप उस निर्धारित सीमा से ज्य़ादा खर्च नहीं करेंगे। जब यह लक्ष्य हासिल हो जाए तो भविष्य में भी इस पर कायम रहें। फिर अपने लिए किसी बडे टारगेट का चुनाव कर सकते हैं। ऐसी छोटी बचत के लिए बैंक में आरडी (रिकरिंग डिपॉजिट) अकाउंट खोलना भी फायदेमंद रहता है। यह कस्टमर के सेविंग अकाउंट से जुडा होता है। प्रतिमाह उसके द्वारा तय की गई निर्धारित तिथि को उसके सेविंग अकाउंट से एक निश्चित राशि आरडी में ट्रांस्फर हो जाती है। इस पर अच्छा ब्याज भी मिलता है। अवधि पूरी होने के बाद वह पैसा अपने आप व्यक्ति के सेविंग अकाउंट में वापस चला आता है। इसके अलावा पीपीएफ भी बचत का अच्छा माध्यम है। इससे इनकम टैक्स में भी छूट मिलती है। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगी तो आपका बजट हमेशा संतुलित रहेगा और महीने के अंत में कोई परेशानी नहीं होगी।


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