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सखी इनबॉक्स

समें इनरवेयर के बारे में दी गई जानकारियां हर आयु वर्ग की स्त्रियों के लिए उपयोगी साबित होंगी।

By Edited By: Published: Sat, 20 Aug 2016 12:40 PM (IST)Updated: Sat, 20 Aug 2016 12:40 PM (IST)
सखी इनबॉक्स
इसमें इनरवेयर के बारे में दी गई जानकारियां हर आयु वर्ग की स्त्रियों के लिए उपयोगी साबित होंगी। इसके अलावा लेख 'थैंक यू समय देने के लिए' पढकर मुझे एहसास हुआ कि आज की भागदौड भरी जिंदगी में सचमुच हमने परिवार के साथ वक्त बिताना छोड दिया है। ऐसी बेहतरीन रचनाओं के लिए सखी टीम को बधाई। अंशु नैथानी, देहरादून सखी मेरी प्रिय पत्रिका है। यह मुझे बहुत कुछ सिखा जाती है। मैं एक टीनएजर बेटी की मां हूं और उसके करियर को लेकर बेहद चिंतित थी। ऐसे में पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी 'सच के आईने में सपने' पढऩे के बाद मेरे मन में उठने वाले सभी सवालों के जवाब मिल गए। वाकई आज का युवा अपने सपनों को लेकर बेहद गंभीर है। कहानी 'वक्त की जवाबदेही' में बेमेल विवाह से उपजी समस्याओं का बडा ही सजीव चित्रण किया गया है। सीमा सिंह, बडौदा मैं सखी की नियमित पाठिका हूं। जल्द ही मेरी शादी होने वाली है। ऐसे में पत्रिका का जुलाई अंक मेरे लिए वरदान साबित हुआ। मैं इनरवेयर की शॉपिंग को लेकर बडी दुविधा में थी। लेख 'वही चुनें जो हो परफेक्ट' ने मेरी सारी परेशानी दूर कर दी। लेख 'अब मिनटों में हो जाएं तैयार' में दिए गए मेकअप टिप्स भी बहुत उपयोगी थे। लेख 'बडा परिवार, सुखी परिवार' में बिलकुल सही कहा गया है कि अब लोग संयुक्त परिवार की अहमियत समझने लगे हैं। लेख 'स्वादिष्ट भी, सुंदर भी' में रेसिपीज की प्लेटिंग और गार्निशिंग के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। तूलिका शर्मा, जयपुर सखी मेरी प्रिय पत्रिका है। इसके जुलाई अंक में प्रकाशित लेख 'रग्स से सजाएं घर' मुझे बहुत पसंद आया। इसे पढऩे के बाद मैंने तरह-तरह के रग्स से अपने घर को सजाया। लोगों को मेरे घर का यह नया लुक बहुत पसंद आया। 'मैं हूं मेरी पहचान' के अंतर्गत दीपिका जिंदल का इंटरव्यू पाठिकाओं के लिए बेहद प्रेरक साबित होगा। कवर स्टोरी भी पठनीय थी। आंचल जोशी, नागपुर मैं पिछले दस वर्षों से सखी की नियमित पाठिका रही हूं। इसमें प्रकाशित होने वाले सेहत और फिटनेस संबंधी लेख केवल मुझे ही नहीं, बल्कि मेरे परिवार के सभी सदस्यों को भी बहुत पसंद आते हैं। पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित लेख 'एक्सरसाइज एक फायदे अनेक' से मुझे पिलेटीज नामक एक्सरसाइज से होने वाले फायदों के बारे में नई बातें जानने को मिलीं। अब तक मैं डिप्रेशन को केवल एक मनोवैज्ञानिक समस्या मानती थी लेकिन लेख 'सेहत का दुश्मन डिप्रेशन' पढऩे के बाद मुझे यह मालूम हुआ कि हमारे शारीरिक स्वास्थ्य पर भी इसका बहुत बुरा असर पडता है। लेख 'हमारे बुजुर्ग दिल से युवा' में बिलकुल सही कहा गया है कि आज के बुजुर्गों ने बदलते वक्त के साथ कदम मिलाकर चलना सीख लिया है। सुजाता सिंह, कानपुर हाल ही में मैं एक स्टूडियो अपार्टमेंट में शिफ्ट हुई हूं। सखी के जुलाई अंक मे प्रकाशित लेख 'जब सजाएं स्टूडियो अपार्टमेंट' मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ। मैंने उस लेख से टिप्स लेकर अपना अपार्टमेंट सजाया। जिसे मेरे घर आने वाले लोग काफी पसंद कर रहे हैं। 'घर की थाली' में दी गईं कॉर्न की रेसिपीज को मैंने अपनी किचन में आजमाया। इसके अलावा 'हेल्थ वॉच' में दी गई जानकारियां बेहद उपयोगी थीं। आशा है, आगामी अंकों में भी ऐसी ही स्तरीय रचनाएं पढऩे को मिलेंगी। मृदुला पाठक, दिल्ली सखी के साथ मेरी दोस्ती काफी पुरानी रही है। इनरवेयर पर केंद्रित पत्रिका के जुलाई अंक की जितनी भी प्रशंसा की जाए, कम है। इस अंक में प्रकाशित लेख 'ए टु जेड जानकारी' में बताई गई बातें मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं। लेख 'बिगाडऩा आसान संवारना मुश्किल' में बिलकुल सही कहा गया है कि हमारे रिश्ते बेहद नाजुक होते हैं और अपनी खुशियों की खातिर उन्हें प्यार से संभालकर रखना चाहिए। सौम्या भार्गव, जबलपुर सखी मेरी प्रिय पत्रिकाओं में से एक है। आकर्षक कवर से सुसज्जित पत्रिका का जुलाई अंक भी पठनीय था। मैं कॉलेज की छात्रा हूं और मुझे मोबाइल पर गाने सुनने की आदत है। लेख 'इयरफोन से हो सकता है नुकसान' पढऩे के बाद अब मैं इसका सीमित इस्तेमाल करती हूं। लेख 'बनाएं हर काम आसान' में मोबाइल के नए एप्स के बारे में अच्छी जानकारी दी गई थी। अंकिता अग्रवाल, गाजियाबाद वास्तव में सखी मेरी अभिन्न सहेली है। मैं इसके पुराने अंकों को भी संभाल कर रखती हूं। पत्रिका का जुलाई अंक हमेशा की तरह बेहतरीन रचनाओं से भरपूर था। मैं दो बच्चों की मां हूं। ऐसे में लेख 'आओ स्कूल चलें' मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुआ क्योंकि छुट्टियों के बाद स्कूल जाते समय मेरा छोटा बेटा बहुत ज्य़ादा रोता है पर इस लेख में दिए गए सुझावों ने मेरी परेशानी दूर कर दी। लेख 'सुनने से बन जाएगा बिगडा काम' में बिलकुल सही कहा गया है कि प्रोफेशनल लाइफ में कामयाबी हासिल करने के लिए केवल अच्छा बोलना ही काफी नहीं है, बल्कि हमें दूसरों की बातें भी ध्यान से सुननी चाहिए। निधि त्रिवेदी, गुडग़ांव सखी का जुलाई अंक शानदार था। इसकी सभी रचनाएं बेमिसाल थीं। लेख 'रिश्तों की बदलती परिभाषा' मुझे बहुत पसंद आया। मैं भी इस बात से सहमत हूं कि समय के साथ लोगों की सोच बदल रही है। अब वे अपने रिश्तों के प्रति व्यावहारिक नजरिया रखते हैं और छोटी-छोटी बातों पर भावुक होने के बजाय तार्किक ढंग से सोचते हैं। लेख 'जब घर में हों पेट्स' में दिए गए सुझावों ने मेरी कई समस्याओं का समाधान कर दिया। अंबिका सिंह, बरेली सखी हमेशा से मेरी प्रिय पत्रिका रही है क्योंकि किसी सच्ची दोस्त की तरह यह हमारी छोटी-छोटी समस्याओं का भी ध्यान रखती है। पत्रिका के जुलाई अंक में प्रकाशित लेख 'ताकि घमौरियां न करें परेशान' ने मेरी इस समस्या का समाधान कर दिया। कहानी 'स्नेह निमंत्रण' पढकर कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई। वाकई यह कहानी मेरे दिल को छू गई। अनामिका पांडे, रायपुर सखी का जुलाई अंक रंग-बिरंगे फूलों से सजे आकर्षक गुलदस्ते की था। वैसे तो इसकी सभी रचनाएं पठनीय थीं लेकिन फैशन फीचर 'कूल और कंफर्टेबल काफ्तान' में दी गई जानकारियां मेरी टीनएजर बेटी को बहुत पसंद आईं। लेख 'स्वादिष्ट ही नहीं सुंदर भी' में फूड प्रेजेंटेशन के बारे में कई उपयोगी और रोचक बातें जानने को मिलीं। 'अध्यात्म' में बिलकुल सही कहा गया है कि ईष्र्या मनुष्य के व्यक्तित्व को कुंठित बना देती है। इसलिए हमें इससे दूर रहना चाहिए। कवर स्टोरी भी पठनीय थी। अमृता प्रसाद, पटना अच्छी पत्रिकाएं और खास तौर पर कहानियां पढऩा मेरी हॉबी है। सखी के जुलाई अंक में छपी तीनों कहानियां बेहद मर्मस्पर्शी थीं लेकिन कहानी 'भंवरा' का अंत बेहद रोचक था कि कैसे दोनों सहेलियों ने मिलकर धोखेबाज पति को सबक सिखाया। इसके साथ ही 'जब जी ललचाए' में डायबिटीज के मरीजों की डाइट के बारे में बहुत उपयोगी जानकारियां दी गई थीं। 'कहने में क्या हर्ज है' ने हंसने पर मजबूर कर दिया। स्मिता मिश्रा, झांसी 'दुनिया इन दिनों' मेरा प्रिय कॉलम है। इसमें दी गई खबरें काफी रोचक होती हैं। लेख 'मैं, मेरी बाइक और यात्राएं' भी दिलचस्प था। वाकई, ट्रैवलर हर्षिनी कान्हेकर ने यह साबित कर दिखाया है कि आज की लडकियां किसी भी मायने में लडकों से कम नहीं है। लेख 'कायदे का फायदा' में टैक्स फ्री बॉण्ड के बारे में अच्छी जानकारी दी गई थी। कुकिंग मेरी हॉबी है। इस बार 'जायका' में दी गई इटैलियन रेसिपीज लाजबाव थीं। कविता चौहान, अलीगढ मेरी सखी है अनमोल इसमें है रिश्तों का ताना-बाना यह स्वाद से है भरा खजाना मीठे हैं इसके सब बोल राय सही यह देती है तभी तो सबकी चहेती है हर माह मेरे घर आती है सबके दिल में जगह बनाती है हर मौसम के साथ नई सीख हमें दे जाती है दिल की हर बात बताती है तभी तो सखी कहलाती है। सोनिया रायजादा, मेरठ

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