सखी इनबॉक्स
सखी के स्तंभ मैं हूं मेरी पहचान के माध्यम से मेरी सोच में बहुत बड़ा बदलाव आया है। अब मैं अपने लिए समय निकालती हूं और परिवार के साथ अपनी बेहतरी के लिए भी सोचती हूं। आज 45 वर्ष की आयु में मैं स्वयं को इतनी ऊर्जावान महसूस कर रही हूं कि अब मैंने अपने अधूरे सपने को साकार करने का निर्णय लिया है।
सखी के स्तंभ मैं हूं मेरी पहचान के माध्यम से मेरी सोच में बहुत बडा बदलाव आया है। अब मैं अपने लिए समय निकालती हूं और परिवार के साथ अपनी बेहतरी के लिए भी सोचती हूं। आज 45 वर्ष की आयु में मैं स्वयं को इतनी ऊर्जावान महसूस कर रही हूं कि अब मैंने अपने अधूरे सपने को साकार करने का निर्णय लिया है। इस साल कॉलेज में एडमिशन लेकर मैं अपनी अधूरी पढाई (एम.एससी.) पूरी करूंगी। सचमुच, मेरी सोच को सकारात्मक बनाने में सखी का बहुत बडा योगदान है।
प्रियंका मेवानी, भोपाल
नारी शक्ति को समर्पित सखी का 13वां एनिवर्सरी स्पेशल अपनी बेहतरीन रचनाओं की वजह से संग्रहणीय बन गया था। कवर स्टोरी सुपर वुमन : परवाह नहीं बैरियर्स की में सही कहा गया है कि आज की स्त्री में विपरीत स्थितियों से जूझने का हौसला है। इसीलिए वह बैरियर्स की परवाह नहीं करती। लेख धीरे-धीरे सही बदल रही है दुनिया में देश-विदेश में स्त्रियों के जीवन में आए सकारात्मक बदलाव पर बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। इतने अच्छे विशेषांक के लिए मेरी बधाई स्वीकारें।
कीर्ति गर्ग, दिल्ली
नए दौर की नई सोच से सुसज्जित सखी के एनिवर्सरी स्पेशल की जितनी भी तारीफ की जाए, कम है। पत्रिका के सभी लेख देश की आधी आबादी के बारे में पूरी जानकारी देते नजर आए। लेख सशक्त स्त्री सफल अर्थव्यवस्था के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था में स्त्रियों के योगदान के संबंध में बेहद सटीक जानकारी दी गई थी। इसके अलावा लेख जैसी जरूरत वैसा निवेश में स्त्रियों के लिए फायदेमंद निवेश योजनाओं के बारे में कई नई और उपयोगी बातें जानने को मिलीं।
सुरभि गोयल, उदयपुर
सखी का 13वां एनिवर्सरी स्पेशल नारी शक्ति की आवाज बनकर सामने आया। इस विशेषांक की सभी रचनाएं विचारोत्तेजक थीं। आलेख बस अब और नहीं.. में विभिन्न राज्यों से संकलित रिपोर्ट के माध्यम से यह तथ्य सामने आया कि आज स्त्रियों की सुरक्षा हमारे लिए सबसे बडी चुनौती है। लेख शादी का फैसला ले रहे हैं तो जरा ठहरें. में स्त्रियों के कानूनी अधिकारों के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी दी गई थी।
नम्रता पाठक, बडौदा
सखी के साथ 13 वर्ष कैसे बीत गए, इसका हमें पता ही नहीं चला। मेरे जीवन के कैनवस को निखारने में इस पत्रिका का बहुत बडा योगदान रहा है। इसने मुझे प्रतिकूल परिस्थितियों में भी शांत रहना सिखाया है। कवर स्टोरी सुपर वुमन : परवाह नहीं बैरियर्स की पढकर उन सभी स्त्रियों को सलाम करने को जी चाहता है, जिन्हें इस आलेख में शामिल किया गया है। इसके अलावा सौंदर्य संबंधी रचनाएं भी उपयोगी थीं। मेरी यही कामना है कि सखी इसी तरह हम पाठिकाओं के जीवन में खुशियां बिखेरती रहे।
करुणा श्रीवास्तव, झांसी
सखी एक कंप्लीट फेमिली गाइड है। चाहे स्वास्थ्य, सौंदर्य या कुकिंग हो या फिर अध्यात्म और सामाजिक सरोकारों से जुडे ज्ञानवर्धक लेख। सखी के माध्यम से हमें घर बैठे सब कुछ सरलता से प्राप्त हो जाता है। मैं अध्यापन से जुडी हूं। अत: इसके वैविध्यपूर्ण लेख मेरी प्रोफेशनल दक्षता को संवारने में मददगार साबित होते हैं।
माया रानी श्रीवास्तव, मिर्जापुर
सखी के फरवरी अंक में प्रेम पर आधारित सभी रचनाएं लाजवाब थीं। लेख न उम्र की सीमा हो में अकेले रहने वाले बुजुर्गो के जीवन से जुडे बेहद संवेदनशील मुद्दे को उठाया गया था। ऐसी स्तरीय रचनाएं ही सखी को अन्य पत्रिकाओं की तुलना में खास बनाती हैं।
गीता दीवान, नवी मुंबई
फरवरी माह में प्रकाशित कवर स्टोरी अपना गौरव आप सहेजें बेहद सारगर्भित और अनूठे विषय को लेकर लिखा गया है। अपनी प्राचीन विरासत और संस्कृति को सहेजना और उसकी रक्षा करना बेहद जरूरी है। भले ही संरक्षण की कला हमने पश्चिम से सीखी हो, लेकिन यह भी सच है कि हमारी संस्कृति हमेशा से विदेशियों को आकर्षित करता रही है।
डॉ. जागृति राज नायक, जबलपुर
बसंती मौसम में प्यार के विविध पहलुओं से परिचित कराता सखी का फरवरी अंक मेरे लिए एक नायाब तोहफा था। दिल, दोस्ती, प्यार को समर्पित यह अंक संग्रहणीय बन पडा है। यह पत्रिका सही राह दिखाते हुए हमारी सभी समस्याओं का समाधान करती है। सखी ने 13 वर्षो का सफर निहायत खूबसूरती से तय किया है और आगे भी करती रहेगी।
दोयल बोस, दिल्ली
मार्च के महीने में प्रकाशित सखी का एनिवर्सरी स्पेशल देखकर दिल खुश हो गया। पत्रिका का यह विशेषांक रंग-बिरंगे फूलों से सजे गुलदस्ते की तरह था। जायका में प्रकाशित होली के पकवानों ने इस त्योहार को और भी ज्यादा खुशनुमा बना दिया।
स्वाति गुप्ता, चंडीगढ
सखी का एनिवर्सरी स्पेशल भारतीय स्त्री की नई सोच का आईना साबित हुआ। विचार प्रधान लेखों की वजह से पत्रिका का यह विशेषांक संग्रहणीय बन गया था। आशा है कि आगामी अंकों में भी ऐसी ही स्तरीय रचनाएं पढने को मिलेंगी।
आरती शर्मा, मेरठ
सखी शब्द अब मेरे जीवन का अभिन्न अंग बन गया है, जिससे मैं अपने दिल की सारी बातें शेयर कर सकती हूं। प्रेम विवाह के कारण ससुराल और मायके से मेरा कोई संपर्क नहीं है। ऐसे में सखी ही मेरा एकमात्र सहारा है। यह मुझे कुकिंग से लेकर सौंदर्य की देखभाल तक सब कुछ सिखाती है। सही मायने में यह पत्रिका मेरे लिए सच्ची दोस्ती का फर्ज अदा कर रही है।
सबा समीर, लखनऊ
मैं बदायूं जिले के एक छोटे से गांव में रहती हूं। हम तीन भाई-बहन हैं। बचपन में ही मां का स्वर्गवास हो गया था। ऐसे में सखी ने ही हमें सही रास्ता दिखाया। इस पत्रिका में हमारी हर समस्या का हल है। इसने हमें जीना सिखा दिया। इसने मां की तरह मुझे अपने सेहत और सौंदर्य की देखभाल करना सिखाया। मुझे इसका हर अंक बहुत पसंद आता है। इसका फरवरी अंक भी लाजवाब था। पत्रिका के इस अंक में प्रकाशित प्रेम पर केंद्रित सभी रचनाएं दिल को छू गई।
शिखा शर्मा, बदायूं
प्रिय शिखा,
हमें आप जैसी लडकियों पर गर्व है, जो निडर होकर प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करती हैं। अपनी पाठिकाओं का मनोबल बढाते हुए उनका सही मार्गदर्शन करना ही हमारा लक्ष्य है। यह जानकर अच्छा लगा कि जीवन के मुश्किल दौर में सखी आपके लिए मददगार साबित हुई।
-संपादक
अंतर्मुखी स्वभाव के कारण पिछले कुछ दिनों से मेरे भीतर नकारात्मक सोच हावी होती जा रही थी। मेरी जिंदगी ठहर सी गई थी और मुझे निराशा ने घेर लिया था। ऐसे में प्यार के रंगों से सराबोर सखी के फरवरी अंक ने मेरे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार किया। पत्रिका के इस अंक ने मुझे नए दोस्त बनाने के लिए प्रेरित किया तथा अपने प्यार को सहेजना सिखाया। इससे मेरा खोया हुआ आत्मविश्वास वापस लौट आया।
श्रीमती पंकज गुप्ता, ग्वालियर
प्रिय पंकज,
अगर इंसान की सोच सकारात्मक हो तो उसे सब कुछ अच्छा दिखाई देता है और वह मुश्किल हालात में भी खुश रहना सीख जाता है। अपनी रचनाओं के माध्यम से सखी निरंतर अपनी पाठिकाओं को यही संदेश देती है कि हमें हर हाल में अपना दृष्टिकोण सकारात्मक बनाए रखना चाहिए। यह जानकर प्रसन्नता हुई कि सखी की वजह से आपके दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आया है।
-संपादक