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सखी इनबॉक्स

मैं सखी की 60 वर्षीय पाठिका हूं। उम्र के इस मोड़ पर मैं अकेलेपन की वजह से थोड़ा उदास रहने लगी थी। ऐसे में इस पत्रिका से मेरी मुलाकात हुई। इसमें प्रकाशित सेहत और अध्यात्म से जुड़े लेख पढऩे के बाद मेरी जि़ंदगी पहले की तुलना में ज्य़ादा व्यवस्थित

By Edited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 02:25 PM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 02:25 PM (IST)
सखी इनबॉक्स

मैं सखी की 60 वर्षीय पाठिका हूं। उम्र के इस मोड पर मैं अकेलेपन की वजह से थोडा उदास रहने लगी थी। ऐसे में इस पत्रिका से मेरी मुलाकात हुई। इसमें प्रकाशित सेहत और अध्यात्म से जुडे लेख पढऩे के बाद मेरी जिंदगी पहले की तुलना में ज्य़ादा व्यवस्थित और ख्ाुशनुमा बन गई है। अब मैं अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखती हूं और हमेशा ख्ाुश रहने की कोशिश करती हूं। सही मायने में इसने मुझे जीना सिखा दिया। सखी को मैं अपने जीवन की सबसे ख्ाूबसृरत उपलब्धि मानती हूं क्योंकि सच्ची दोस्त बनकर इसने जीवन के बेहद कठिन मोड पर मेरा साथ निभाया है।

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तारा खंडेलवाल, जयपुर

सखी का फरवरी अंक हमेशा की तरह आकर्षक साज-सज्जा और वैविध्यपूर्ण जानकारियों से परिपूर्ण था। कवर स्टोरी 'मुश्किल में प्रेम पढऩे के बाद यह एहसास हुआ कि समय के साथ प्यार के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है और इसकी राह में बाधाएं खडी करने वाले लोग हिंसा पर आमादा हैं। लेख 'सर्द शाम, चाय और अड्डेबाजी में चाय पीने के रोचक अनुभवों को बहुत सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। स्थायी स्तंभ भी जानकारीपूर्ण थे।

नीरा मिश्रा, लखनऊ

सखी का फरवरी अंक प्रेम के रंगों से सराबोर था। कवर स्टोरी 'मुश्किल में प्रेम में इस कोमल भावना का बडी बारीकी से चित्रण किया गया है। 'इंटीरियर के अंतर्गत कैंडल लाइट डेकोरेशन के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। फोटो फीचर 'नायाब प्रपोजल रिंग्स भी काफी रोचक था। 'फेरीटेल मूवीज : घटता रुझान के माध्यम से युवा पीढी की बदलती रुचियों के बारे में जानने का अवसर मिला।

स्वाति शर्मा, चंडीगढ

रोचक और जानकारीपूर्ण रचनाओं ने सखी के फरवरी अंक को बेजोड बना दिया था। लेख 'रिश्तों को करें रीचार्ज में सही कहा गया था कि समय-समय पर मोबाइल की तरह हमें अपने रिश्तों को भी रीचार्ज करने की जरूरत होती है। पहले मुझे व्यावहारिक जीवन में संस्कृत भाषा की अहमियत का अंदाजा नहीं था, लेकिन लेख 'अवसरों के आसमान में संस्कृत का सूरज पढऩे के बाद मेरी यह गलतफहमी दूर हो गई। लेख 'योग से पाएं स्वस्थ त्वचा में दी गई जानकारियां मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं।

नेहा परमार, बडौदा

मैं पहले अंक से ही सखी की नियमित पाठिका हूं। इसका फरवरी अंक ख्ाुशनुमा एहसास करा गया। इसकी सभी रचनाएं लाजवाब थीं। पत्रिका में समाहित दिल्ली डिजायर इसे और भी आकर्षक बना देता है। इसमें प्रकाशित आलेख 'इंटरनेट एडिक्शन : एक ब्रेक तो बनता है! में सही कहा गया है कि इंटरनेट के अत्यधिक इस्तेमाल की लत का युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पडता है। इसके अलावा पत्रिका की अन्य रचनाएं भी रोचक और जानकारीपूर्ण थीं।

मीनल बिंद्रा, दिल्ली

सखी का फरवरी अंक देखकर दिल ख्ाुश हो गया। पहले अकसर मुझसे हर काम में देर हो जाती थी, पर लेख 'देर हो जाती है.. पढऩे के बाद मैंने नए सिरे से टाइम मैनेजमेंट शुरू किया और अब मैं अपना सारा काम सही समय पर ख्ात्म कर पाती हूं। लेख 'आंखों को जरा नम हो जाने दो में ड्राई आई सिंड्रोम की समस्या के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी दी गई थी। लेख 'योग से पाएं स्वस्थ त्वचा पढऩे के बाद मैंने यह निश्चय किया है कि अपनी त्वचा को निखारने के लिए अब मैं नियमित रूप से योग करूंगी। इतनी अच्छी पत्रिका के लिए आप बधाई के पात्र हैं।

कविता शर्मा, लखनऊ

सखी का फरवरी अंक मेरे पूरे परिवार को बेहद पसंद आया। मेरी बेटी अभी छह माह की है। उसकी देखभाल के लिए मुझे घरेलू सहायक रखने की जरूरत महसूस हो रही थी। ऐसे में लेख '10 टिप्स घर में हेल्पर रखने से पहले'पढकर मुझे बहुत उपयोगी जानकारी मिली। लेख 'आज मूड नहीं है...' में पति-पत्नी के अंतरंग रिश्तों से जुडी समस्याओं को संजीदगी से प्रस्तुत किया गया है। लेख 'एक नन्ही सी आशा' संतानहीन दंपतियों के लिए उपयोगी साबित होगी।

नेहा चौबे, वाराणसी

हमारे घर में जैसे ही सखी का नया अंक आता है, परिवार के सभी सदस्यों के बीच इसे पहले पढऩे की होड मच जाती है। पत्रिका का फरवरी अंक भी अपने आप में संपूर्ण था। इसमें नारी जीवन से जुडे सभी पहलुओं को बेहद ख्ाूबसूरती से समेटा गया था। लेख 'बचा तेल : सेहत के लिए ख्ातरा पढऩे के बाद मेरी आंखें ख्ाुल गईं। सही जानकारी के अभाव में पहले मैं कडाही में बचे तेल का कई बार इस्तेमाल करती थी, पर यह लेख पढऩे के बाद अब मैं इस मामले में हमेशा सावधानी बरतती हूं।

निरुपमा सिंघल, चंडीगढ

सखी मेरी प्रिय पत्रिका है। इसके फरवरी अंक में प्रकाशित कवर स्टोरी 'मुश्किल में प्रेम के अंतर्गत प्रेम से जुडे एक ऐसे गंभीर मुद्दे को बडी संजीदगी से उठाया गया, जिसे अकसर लोग नजरअंदाज कर देते हैं। इसके अलावा अन्य रचनाएं भी पठनीय थीं।

संगीता शरण, धनबाद

सखी का फरवरी अंक देखा। इसकी जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। पहले मेरे दोनों बेटों की पढाई केवल होमवर्क पूरा करने तक सीमित थी। लेख 'आपके साथ से बनेगी बात पढऩे के बाद मैं उनकी पढाई पर ध्यान देने लगी और उन्हें रोचक ढंग से ख्ाुद पढाना शुरू किया। इससे उनमें रिवीजन और सेल्फ स्टडी की आदत विकसित होने लगी। इसके लिए मैं सखी को धन्यवाद देना चाहूंगी। आशा है कि आने वाले अंकों में भी ऐसी ही उपयोगी रचनाएं पढऩे को मिलेंगी।

नंदिनी जैन, कोटा

मुझे हर माह बेसब्री से सखी का इंतजार रहता है। पत्रिका का फरवरी अंक हमेशा की तरह बेहतरीन रचनाओं से परिपूर्ण था। लेख 'बहुत कुछ कहता है यह दर्द पढऩे के बाद पीठ और कमर दर्द से जुडी स्वास्थ्य समस्या सायटिका के बारे में बहुत उपयोगी जानकारी मिली। 'जायका के अंतर्गत मॉकटेल्स की रेसिपीज लाजवाब थीं। लेख 'अंगूर खाएं रोग भगाएं पढऩे के बाद मैंने इसे अपनी डाइट का जरूरी हिस्सा बना लिया है।

स्नेहा वर्मा, पटना

मैंने सखी को पहली बार अपने पडोस के घर में देखा था। पहली नजर में ही यह पत्रिका मुझे बेहद अपनी सी लगी और मैं इसकी नियमित पाठिका बन गई। फरवरी अंक में प्रकाशित लेख 'रिश्तों को करें रीचार्ज पढऩे के बाद मुझे अपनी गलती का एहसास हुआ कि अपने सामाजिक संबंधों को सुधारने के लिए मैं अपनी ओर से कोई प्रयास नहीं करती। अब मैंने यह निश्चय किया है कि अपने सभी रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने-जुलने के लिए वक्त जरूर निकालूंगी। 'मनी मैनेजमेंट भी उपयोगी था। लेख 'सुबह के ये सेहतबाज में मॉर्निंग वॉक करने वाले तरह-तरह के लोगों के व्यक्तित्व का चित्रण बडे ही दिलचस्प अंदाज में किया गया था। लेख 'देर हो जाती है.. में बहुत सटीक सुझाव दिए गए थे। मेरे पति को भी यह लेख बहुत पसंद आया। इसे पढऩे के बाद अब वह भी वक्त की पाबंदी का ध्यान रखने लगे हैं।

मधुरिमा रावत, देहरादून

सखी का फरवरी अंक न केवल साज-सज्जा, बल्कि रचनाओं की दृष्टि से भी बेजोड था। लेख 'हो जाएं तरोताजा में स्पा के बारे में बहुत उपयोगी और रोचक जानकारी दी गई थी। 'फैशन जिज्ञासा पढकर फैशन और स्टाइल के बारे में कई नई बातें जानने को मिलीं। 'घर की थाली में दी गई तहरी की स्वादिष्ट रेसिपीज मेरे लिए बहुत उपयोगी साबित हुईं। 'फिल्म ऐसे बनी के अंतर्गत अपने जमाने की मशहूर फिल्म 'शहीद की मेकिंग के बारे में बहुत रोचक बातें जानने को मिलीं। 'पर्यटन के अंतर्गत चित्तौडग़ढ के बारे में जानना बहुत अच्छा लगा। मैंने यह तय कर लिया है कि इस बार छुट्टियों में अपने बच्चों को इस मशहूर ऐतिहासिक स्थल के दर्शन जरूर कराऊंगी।

आभा व्यास, भोपाल

सखी सही मायने में मेरी सच्ची दोस्त है और पिछले सात वर्षों से मैं इसकी नियमित पाठिका हूं। पत्रिका काफरवरी अंक रंग-बिरंगे फूलों से सजे ख्ाूबसूरत गुलदस्ते की तरह था। वैसे तो इसकी सभी रचनाएं पठनीय थीं, पर 'आस्था के अंतर्गत महाशिवरात्रि पर्व के बारे में बहुत अच्छी जानकारी दी गई थी। स्तंभ 'कुछ तो लोग कहेंगे मुझे विशेष रूप से प्रिय है। कहानी 'सभ्य मुखौटे में एक कामकाजी लडकी के जीवन से जुडी समस्याओं का बडा ही यथार्थपरक चित्रण किया गया है। 'अध्यात्म में बिलकुल ठीक कहा गया है कि प्रकृति और पर्यावरण की रक्षा करना हमारा परम धर्म है।

आशा गर्ग, मेरठ


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