सुरक्षित और फायदेमंद निवेश
अगर आप थोड़ा जोखिम उठाने को तैयार हैं और निवेश के प्रचलित तरीकों के अलावा कुछ अलग विकल्प की तलाश में हैं तो इसके लिए लंबी अवधि के बॉण्ड में निवेश करना फायदेमंद साबित होगा।
अगर आप थोडा जोखिम उठाने को तैयार हैं और निवेश के प्रचलित तरीकों के अलावा कुछ अलग विकल्प की तलाश में हैं तो इसके लिए लंबी अवधि के बॉण्ड में निवेश करना फायदेमंद साबित होगा।
अगर आप अपनी बचत से अधिक लाभ अर्जित करना चाहते हैं तो इसके लिए एफडी जैसे पारंपरिक तरीके के अलावा कुछ और विकल्प भी चुन सकते हैं। इस दृष्टि से लॉन्ग टर्म बॉण्ड एक बेहतर उपाय है। निश्चित अवधि के निवेश माध्यमों में इसे सबसे सुरक्षित माना जाता है। आम निवेशक के साथ घरेलू और विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआइआइ)भी इसे अपनाना पसंद करते हैं। विदेशी निवेशक कई तथ्यों के आकलन के बाद बॉण्ड में निवेश का फैसला करते हैं। छोटे निवेशक यदि एफआइआइ के निवेश पर नजर रखें तो उनके लिए बॉण्ड में निवेश का फैसला करना आसान हो सकता है।
क्या है बॉण्ड
यह एक तरह का ऋणपत्र है, जिसे आमतौर पर सरकार जारी करती है। विदेशी मुद्रा में जारी किए जाने वाले बॉण्ड को सॉव्रन बॉण्ड कहा जाता है। सरकारी कंपनियां भी बाजार से पूंजी जुटाने के लिए बॉण्ड जारी करती हैं। सामान्यत: इसमें निवेश की अवधि 10 साल या उससे अधिक होती है। घरेलू और छोटे निवेशकों के लिए बॉण्ड में निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है, लेकिन विदेशी निवेशकों के लिए इसकी समय सीमा तय है।
सुरक्षित है निवेश
लंबी अवधि के बॉण्ड पर ब्याज दर स्थिर रहती है। यदि बाजार की ब्याज दरें घट जाती हैं तो बॉण्ड में निवेश करने वाले लोगों को फायदा होता है, लेकिन ब्याज दर बढऩे पर भी कोई नुकसान नहीं होता। ऐसे में निश्चित अवधि पूरी होने के बाद व्यक्ति दूसरी कंपनियों के बॉण्ड ख्ारीद सकता है। कुछ बॉण्ड स्टॉक एक्सचेंज में भी सूचीबद्ध होते हैं। ऐसी स्थिति में निवेशक अपने मौजूदा निवेश की रकम को निकाल कर उसका इस्तेमाल दूसरी जगह कर सकते हैं। इसका सबसे बडा फायदा यह है कि इसमें लंबे समय तक निश्चित ब्याज दर का आशवासन प्राप्त होता है। इस दृष्टि से इसे निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है।
विदेशी निवेशकों के लिए
विदेशी निवेशक किसी भी देश के शेयर बाजार या बॉण्ड में निवेश करने से पहले वहां की अर्थव्यवस्था, ब्याज दरों में उतार-चढाव और सरकार की आर्थिक नीतियों के साथ राजनैतिक स्थिरता जैसे तथ्यों का भी आकलन करते हैं। बॉण्ड भी डेट मार्केट के तहत आता है। शेयर बाजार में तेजी के बावजूद बॉण्ड में विदेशी निवेशकों का रुझान तेजी से बढ रहा है, जो इस बात का संकेत है कि लंबी अवधि के लिए उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था पर अधिक भरोसा है।
हालांकि, बिना सोचे-समझे विदेशी निवेशकों का अनुसरण करना भी सही नहीं है क्योंकि उनकी जरूरतें हम से अलग हो सकती हैं।
विदेशी निवेशकों के निवेश के तरीके को ध्यान में रखते हुए उन्हें कई श्रेणियों में बांटा जाता है। पहली श्रेणी के तहत उन्हें शामिल किया जाता है, जो मुद्रा बाजार में एक साल के लिए निवेश करते हैं और उसी अवधि में मुनाफा कमाकर बाहर निकल जाते हैं। दूसरी श्रेणी के निवेशक एफआइआइ मुद्रा बाजार के साथ ब्याज दरों पर भी नजर रखते हैं और सरकार की ओर से जारी किए जाने वाले 10 साल के बॉण्ड्स में भी निवेश करना पसंद करते हैं। जो निवेशक विदेशी मुद्रा में जारी किए जाने वाले बॉण्ड को तरजीह देते हैं और देश की अर्थव्यवस्था पर भरोसा करते हुए लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं, उन्हें तीसरी श्रेणी के तहत रखा जाता है।
कैसे लें सही निर्णय
लंबी अवधि के बॉण्ड में निवेश करने से पहले आपको अपनी वित्तीय स्थिति, पारिवारिक जिम्मेदारियों और लक्ष्य को ध्यान में रखकर फैसला करना चाहिए। इसके तहत आपके पास मनी मार्केट फंड, शॉर्ट टर्म इनकम फंड और फिक्स्ड मच्योरिटी प्लान आदि में निवेश करने का विकल्प मौजूद होता है। लॉन्ग टर्म के बॉण्ड में वैसी बचत का निवेश करना चाहिए, जिसे िफलहाल कुछ वर्षों तक निकालना जरूरी न हो। यदि आप ब्याज दरों में उतार-चढाव के मद्देनजर थोडा जोखिम उठाने की स्थिति में हैं तो यह आपके लिए बेहतर विकल्प साबित होगा। निवेश के मामले में दूसरों का अनुसरण करने के बजाय अपनी आर्थिक स्थिति और जरूरतों को ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेना चाहिए।
सखी फीचर्स
(वित्तीय सलाहकार एम. के. अरोडा से बातचीत पर आधारित)